लैंसेट पब्लिक हेल्थ के ऑक्टोबर 2018 के एक अध्ययन के अनुसार, 2016 में विश्व में महिला आत्महत्या के 36% मामले मिले हैं। इनमें भारत सबसे आगे हैं और भारत में 15 से 29 साल की महिलाओं में आत्महत्या के कारण मृत्यु के मामले मिले हैं।
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आखिर क्यों भारत में महिलाएं आत्महत्या को जीवन से बेहतर विकल्प मानती हैं?
अगर इस विषय पर बात की जाए, तो समाज के बहुत सारे कारण सामने खुलकर आएंगें। भारतीय समाज में महिला अभी भी भोग की वस्तु ही बनी हुई है। लड़की कुंवारी हो या शादीशुदा, वह आदिकाल से पुरूषों के लिए यौन सुख का साधन बन जाती हैं।
प्राचीन काल से आज के युग में इसके दर में कोई कमी नहीं आई है। भारत के संविधान में कितनी ही धाराएं बन जाएं, फिर भी नारी सुरक्षित नहीं है। आए दिन रेप के केस सुर्खियों में नजर आ ही जाते हैं। इसके कारण महिलाएं हमेशा लांछित होती रहती हैं और बाद में सामाजिक लांछन से बचने के लिए आत्महत्या को चुन लेती हैं।
उसके बाद आता है विवाह के बाद का जीवन। लोग कहते हैं कि बेटी शादी के बाद पराई हो जाती है और यह प्रथा आज भी लोगों के मन बसी हुई है। 21वीं सदी के विकासशील समाज में कदम रखने के बावजूद बेटी अभी भी पराया धन है।
वह भले ही शादी के बाद पति के घर किसी भी हाल में रहे, उसे वहीं रहना पड़ता है। समाज सब देखता है और झूठा रोना रोता है, लेकिन साथ देने कोई नहीं आता।
अक्सर एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के चलते बसा बसाया घर बरबाद हो जाता है लेकिन यहां भी समाज का नजरिया नहीं बदला है। इसके लिए भी पत्नी को ही कसूरवार ठहराया जाता है और घर में ऐसे हालात बना दिए जाते हैं कि वह घर छोड़ने को मजबूर हो जाती हैं।
लेकिन तब भी उसकी जिंदगी की परेशानियां खत्म नहीं होती हैं। घरवालों से लेकर समाज सब उसके सामने ऐसे हालात तैयार कर देते हैं कि उसे आत्महत्या बेहतर विकल्प लगने लगता है।
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अब आपके दिमाग में चल रहा होगा कि यदि महिला आत्महत्या करने का विचार कर रही है, तो उसके लक्षण क्या होते हैं? यहां हम आपको महिलाओं में आत्महत्या के लक्षणों के बारे में बता रहे हैं –