परिचय
रूमेटाइड आर्थराइटिस, आर्थराइटिस का ही एक प्रकार है, जिसमें शरीर की हड्डियों और जोड़ों में दर्द होता है। रूमेटाइड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून डिजीज है। इसके लिए खुद हमारा इम्यून सिस्टम ही जिम्मेदार होता है। ऑटोइम्यून शब्द दो शब्दों से मिल कर बना है- ऑटो और इम्यून। ऑटो का मतलब है खुद से और इम्यून का मतलब है, हमारे शरीर की प्रतिरक्षा। हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम खुद ही कमजोर हो जाता है और हमारा शरीर बीमार होने लगता है। इसी कारण से रूमेटाइड आर्थराइटिस भी हो जाता है। रूमेटाइड आर्थराइटिस में आयुर्वेदिक इलाज भी प्रभावकारी है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस क्या है?
रूमेटाइड आर्थराइटिस हड्डियों के जोड़ों में दर्द से संबंधित समस्या है। रूमेटाइड आर्थराइटिस क्रॉनिक इन्फ्लमेटरी डिजीज यानी पुरानी सूजन की बीमारी है, जो अक्सर जोड़ों को ही प्रभावित करती है। रूमेटाइड आर्थराइटिस में शरीर के कई अंग भी प्रभावित हो सकते हैं, जिसमें त्वचा, आंख, लंग्स, हार्ट और खून की नसें शामिल हैं।
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि रूमेटाइड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून डिजीज है। रूमेटाइड आर्थराइटिस तब होता है, जब इम्यून सिस्टम गलती से शरीर की मसल्स पर अटैक करती है। यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है।
आयुर्वेद में रूमेटाइड आर्थराइटिस क्या है?
आयुर्वेद में रूमेटाइड आर्थराइटिस को आमवात कहते हैं। आयुर्वेद में रूमेटाइड आर्थराइटिस के होने का कारण वायु का हड्डियों के जोड़ों में घुस जाना माना गया है। रूमेटाइड आर्थराइटिस के कारण भूख में कमी, अपाचन, शरीर में जकड़न, कमजोरी, जोड़ों में दर्द आदि समस्या होती है।
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लक्षण
रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षण क्या हैं?
रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षण निम्न हैं :
- शरीर में अकड़न महसूस होती है, खासकर के ये सुबह ज्यादा महसूस होता है।
- थकान
- बुखार
- वजन कम होना
- कमजोरी
- अपाचन
- भारीपन महसूस होना
- कब्ज
- नींद न आना
रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षण को लेकर आप अपने डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं।
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कारण
रूमेटाइड आर्थराइटिस का कारण क्या है?
रूमेटाइड आर्थराइटिस होने के लिए हमारा खुद का इम्यून सिस्टम ही जिम्मेदार होता है। इम्यून सिस्टम सीनोवियम पर अटैक करती है। जिसके कारण जोड़ों में सूजन की समस्या हो जाती है। टेंडॉन और लिगामेंट हड्डियों को जोड़ने के लिए होते हैं। इम्यून सिस्टम टेंडॉन और लिगामेंट को ही अटैक करने लगता है। जिससे रूमेटाइड आर्थराइटिस होने लगता है और हड्डियों के जोड़ों में दर्द होने लगता है।
इलाज
रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज पंचकर्म, तेलों, थेरिपी, जड़ी-बूटी और औषधियों के द्वारा किया जाता है :
रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज पंचकर्म के द्वारा
रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए पंचकर्म किया जाता है। पंचकर्म एक आयुर्वेदिक थेरिपी है, पंचकर्म में तेल की मदद से जोड़ों के दर्द में सिकाई की जाती है। पंचकर्म थेरिपी निम्न तरीके से की जाती है:
- रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए पंचकर्म में पहले चने के आटे को पानी से गूथा जाता है।
- इस आटे को रूमेटाइड आर्थराइटिस से प्रभावित स्थान पर लोई के चारों ओर घेरे बना कर लगाएं।
- इसके बाद उसमें औषधीय या जड़ी-बूटियों से बने तेल को डाला जाता है।
- इसके बाद ऊपर से सिकाई के लिए इलेक्ट्रिक बल्ब को लटकाया जाता है।
- जब बल्ब की आंच से तेल गर्म होने लगता है, तो उससे सिकाई होती है।
- इसके बाद त्वचा पर तेल की गर्माहट ज्यादा महसूस होने लगती है, तो उसे किसी चम्मच की सहायता से निकाल लिया जाता है।
- इस प्रक्रिया को एक्सपर्ट की मदद से किया जाता है। इसे खुद से करने का प्रयास न करें।
रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज तेलों के द्वारा
रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज निम्न तेलों की मालिश से किया जाता है :
महानारायण तेल
रूमेटाइड आर्थराइटिस में महानारायण तेल काफी असरदार होता है। महानारायण तेल कई तरह की जड़ी-बूटियों से बना होता है। इसे एक दर्द निवारक तेल के रूप में प्रयोग किया जाता है। अक्सर देखा गया है कि डॉक्टर रूमेटाइड आर्थराइटिस के पंचकर्म में महानारायण तेल का इस्तेमाल करते हैं।
कोट्टमचुकादि तेल
कोट्टमचुकादि तेल एक आयुर्वेदिक तेल है, इसका प्रयोग मालिश के लिए किया जाता है। कोट्टमचुकादि तेल कई गंभीर विकारों के इलाज के लिए प्रभावकारी है। इससे एक महीने तक दिन में दो बार प्रभावित हिस्से पर मालिश करने से रूमेटाइड आर्थराइटिस में राहत मिलती है।
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मुरिवेन्ना तेल
मुरिवेन्ना तेल आयुर्वेदिक औषधीय तेल है। जो रूमेटाइड आर्थराइटिस में हड्डियों के जोड़ो में होने वाले दर्द से राहत दिलाता है। इससे रूमेटाइड आर्थराइटिस से प्रभावित स्थान पर मालिश करने से राहत मिलती है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज जड़ी-बूटियों के द्वारा
रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज निम्न जड़ी-बूटियों की मदद से किया जाता है :
अमलतास
अमलतास एक फूल वाला पेड़ है, जिसकी पत्तियां खाने से रूमेटाइड आर्थराइटिस में होने वाले दर्द से राहत मिलती है। 12 से 24 ग्राम तक अमलतास की पत्तियों को घी या सरसों के तेल के साथ मिलाकर या पका कर खाने से इस समस्या में आपको काफी आराम महसूस होगा।
सोंठ या सूखी अदरक
सूखी हुई अदरक को ही सोंठ कहते है। सोंठ में एंटी-इन्फ्लमेटरी गुण पाए जाते हैं, जिससे रूमेटाइड आर्थराइटिस के कारण जोड़ों पर आने वाली सूजन में आराम मिलता है। इसके लिए 2 ग्राम सोंठ को 50 मिलीलीटर गर्म पानी में मिलाकर दिन में दो बार पीने से रूमेटाइड आर्थराइटिस की समसया ठीक हो सकती है।
हरड़ और गुडुची
हरड़ या हर्रे का सेवन गुडुची के साथ करने से रूमेटाइड आर्थराइटिस में आराम मिलता है। इसके आयुर्वेदिक इलाज के लिए सोंठ और गुडुची की जड़ को पीस कर 6 ग्राम हरड़ पाउडर के साथ मिला कर सेवन करने से दर्द कम होता है।
गुड़
6 से 12 ग्राम तक गुड़ को 6 से 12 ग्राम घी के साथ मिला कर खाने से आमवात आर्थराइटिस में राहत मिलती है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज औषधियों के द्वारा
रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज निम्न औषधियों के द्वारा किया जाता है :
योगराज गुग्गुल
योगराज गुग्गुल एक ऐसी औषधि है, जिसे कफ, वात और पित्त सभी दोषों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। डॉक्टर के परामर्श पर आप योगराज गुग्गुल की दो गोलियां दिन में दो या तीन बार ले सकते हैं। आमवात में योगराज गुग्गुल के सेवन से आराम मिलता है।
रसनादि कषायम
रसनादि कषायम रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए एक बेहतरीन लिक्विड औषधि है। 12 से 24 मिलीलीटर रसनादि कषायम 12 से 24 मिलीलीटर पानी में मिला कर दिन में दो बार पीने से रूमेटाइड आर्थराइटिस में आराम मिलता है।
आमवातरि रस
आमवातरि रस रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए एक बेहतरीन दवा है। इसमें पुनर्नवा, दशमूला, गुग्गुल, त्रिफला, अमृतु, शहद आदि जड़ी-बूटियां मिली होती है। इसके सेवन से दर्द और सूजन से राहत मिलती है। लेकिन इसमें इस्तेमाल होने वाली औषधियों में कुछ धातु गुण भी होते हैं, जिससे ये आपकी सेहत पर बुरा प्रभाव भी डाल सकता है। इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के आमवातरि रस का सेवन न करें।
सिंहनाद गुग्गुल
सिंहनाद गुग्गुल रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए एक अच्छी औषधि है। रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए सिंहनाद गुग्गुल की एक से दो गोलियों को पानी के साथ दिन में तीन बार ले सकते हैं।
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साइड इफेक्ट
रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज करने वाली औषधियों से कोई साइड इफेक्ट हो सकता है?
- अगर आप गर्भवती महिला हैं या बच्चे को स्तनपान करा रही हैं, तो रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज में इस्तेमाल होने वाली औषधियों के सेवन से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।
- अगर आप किसी अन्य रोग की दवा का सेवन कर रहे हैं, तो भी आपको आयुर्वेदिक इलाज की शुरुआत करने से पहले आपको अपने डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी है।
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जीवनशैली
आयुर्वेद के अनुसार आहार और जीवन शैली में बदलाव
आयुर्वेद के अनुसार रूमेटाइड आर्थराइटिस के लिए डायट और लाइफ स्टाइल में बदलाव बहुत जरूरी है। हेल्दी लाइफ स्टाइल और हेल्दी खाने के लिए :
क्या करें?
- वात को बढ़ाने वाले भोजन को न करें।
- संतुलित आहार लें।
- पर्याप्त मात्रा में नींद लें।
- योग और एक्सरसाइज नियमित रूप से करें। इसके लिए अपने डॉक्टर से पूछ लें कि कौन सी एक्सरसाइज आप कर सकते हैं या कौन-सी एक्सरसाइज से आपको दूर रहने की जरूरत है।
- मछली के तेल का सेवन या मछली के तेल से रूमेटाइड आर्थराइटिस से प्रभावित स्थान पर मालिश करें।
क्या ना करें?
- रूमेटाइड आर्थराइटिस में वात और पित्त को असंतुलित करने वाले आहार न लें।
- इस समस्या के मरीजों को ज्यादा भारी एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए।
- सुबह देर से न उठें। थोड़ा जल्दी उठ कर थोड़ा बहुत टहलें। इससे जोड़ों की जकड़न से राहत मिलती है।
हमें उम्मीद है कि आपको रूमेटाइड आर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज से जुड़ी पर्याप्त जानकारी इस आर्टिकल से मिल गई होगी। अगर आप इन औषधियों या तरीकों का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो एक बात का ध्यान जरूर रखें कि बेशक ये आयुर्वेदिक औषधियां अधिकतर लोगों के लिए सुरक्षित होती हैं। लेकिन इन से कुछ खास स्थिति या लोगों में दुष्प्रभाव भी दिख सकते हैं। इन दुष्प्रभावों और स्थितियों के बारे में पर्याप्त जानकारी लेने के लिए आपको किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट या अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा करना चाहिए। वह आपके स्वास्थ्य की अच्छी तरह जांच करके आपके लिए सबसे सुरक्षित और प्रभावकारी उपाय बताएंगे।