अगर आपसे कोई कहे कि बोन फ्रैक्चर और ब्रेक में अंतर (फ्रैक्चर vs ब्रेक) होता है, तो आप क्या कहेंगे? वैसे अगर आपका तालमेल मेडिकल फिल्ड से नहीं है या कभी किसी ब्रोकन बोन (Broken bone) के बारे में समझने की कोशिश ना कि हो, तो आप कहेंगे बोन फ्रैक्चर और ब्रेक में अंतर (Difference between Fracture and break) नहीं है और दोनों एक ही शब्द हैं। हालांकि अमेरिकन एकैडमी ऑफ ऑर्थोपेडिक सर्जन्स (American Academy of Orthopaedic Surgeons) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार बोन फ्रैक्चर और ब्रेक में अंतर होता है। यही नहीं कई ऐसे रिसर्च रिपोर्ट्स बताते हैं कि फ्रैक्चर और ब्रेक में अंतर होता है, भले ही ये शब्द एक जैसे क्यों ना दिखते हों।
आज इस आर्टिकल में फ्रैक्चर vs ब्रेक (Fracture vs break) से जुड़ी पूरी जानकारी आपसे शेयर करें।
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आर्टिकल में बोन फ्रैक्चर vs ब्रेक (Fracture vs break) में सबसे पहले आपको ये जरूर बताना चाहुंगी कि फ्रैक्चर और ब्रेक में अंतर (Difference between Fracture and break) ठीक वैसे ही है जैसे ‘हेयर लाइन फ्रैक्चर’ हो।
फ्रैक्चर vs ब्रेक (Fracture versus break)
हम अपने आसपास के लोगों से कई बार हड्डी टूटने जैसे शब्दों को सुनते रहते हैं। दरअसर ज्यादातर लोग हड्डी टूटना यानी ब्रेक होना ही बोलते हैं, लेकिन फ्रैक्चर vs ब्रेक की जब हम बात कर रहें हैं, तो फ्रैक्चर (Fracture) शब्द का प्रयोग मेडिकल फिल्ड से रिलेटड या डॉक्टर्स ज्यादा करते हैं। बोन फ्रैक्चर अत्यधिक गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन अगर ऐसी स्थिति आती है, तो जल्द से जल्द इलाज शुरू करवाना ही समझदारी होती है। वैसे इस आर्टिकल में फ्रैक्चर vs ब्रेक (Fracture versus break) से जुड़ी जानकारी आपसे शेयर करने की बात हुई, तो मुझे भी फ्रैक्चर और ब्रेक में अंतर (Difference between Fracture and break) लगा क्या होगा! हालांकि फ्रैक्चर vs ब्रेक के हरेक बिंदुओं को समझना जरूरी है, जो आर्टिकल में हम आपसे साझा कर रहें हैं।
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बोन फ्रैक्चर और ब्रेक में अंतर क्या है? (Difference between Fracture and break)
बोन फ्रैक्चर और ब्रेक में अंतर को समझें से लिए दोनों के लक्षणों को समझना पहले जरूरी है, जो इस प्रकार हैं-
बोन फ्रैक्चर के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Bone Fracture)
यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया (University of Pennsylvania) द्वारा पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार बोन फ्रैक्चर के लक्षण निम्नलिखित हैं। जैसे:
- चोट वाली जगह पर निशान पड़ना।
- चोट वाली जगह पर सूजन (Swelling) आना या ब्लीडिंग (Bleeding) होना।
- चोट लगने के साथ ही तेज दर्द (Intense pain) महसूस होना।
- सुन्न होना (Numbness) और सिहरन (Tingling) महसूस होना।
- मांस फटना (Broken skin) या हड्डी खिसकी हुई महसूस होना।
- मूवमेंट में परेशानी महसूस (Limited mobility) होना।
- नर्व (Nerve damage) डैमेज होना।
- ऑर्गेन (Organ damage) डैमेज होना।
ये लक्षण बोन फ्रैक्चर के हो सकते हैं। चलिए अब आगे जानते हैं ब्रेक बोन से जुड़ी जानकारी।
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बोन ब्रेक के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Broken Bone)
बोन ब्रेक यानी हड्डी टूटने पर निम्नलिखित लक्षण देखे या महसूस किये जा सकते हैं। जैसे:
- जब हड्डी (Bone) को अपने बॉडी पावर से हिला ना सकें।
- टूटी हुई हड्डी (Broken bone) की वजह से अत्यधिक तेज दर्द महसूस होना।
- हड्डी का दो टुकड़ों में बट जाना।
- मूवमेंट ना कर पाना।
ऐसे लक्षण हड्डी के टूटने पर महसूस किये जाते हैं। बोन फ्रैक्चर और ब्रेक में अंतर (Difference between Fracture and break) के तौर पर इन्हीं ऊपर बताये बिंदुओं को ध्यान में रखा जाता है।
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बोन फ्रैक्चर और ब्रेक का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Bone Fracture and break)
हेल्थ एक्सपर्ट बोन फ्रैक्चर और ब्रेक के निदान के लिए पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री जानने के साथ ही बॉडी चेकअप करेंगे। डॉक्टर पेशेंट को थोड़ा सा चलने के लिए भी कह सकते हैं, जिससे डॉक्टर पेशेंट के मूवमेंट की जानकारी लेते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर फ्रैक्चर या ब्रेक की जांच के लिए कई प्रकार के इमेजिंग परीक्षण के लिए भी कह सकते हैं। जैसे:
- एक्स-रे (X-Ray)
- हड्डी का स्कैन (Bone Scan)
- सीटी स्कैन (CT Scan)
- एमआरआई स्कैन (MRI Scan)
एक्स-रे बोन फ्रैक्चर या ब्रेक के निदान करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामान्य तकनीकों में से एक है। फ्रैक्चर या ब्रेक के लिए बोन स्कैन और अन्य इमेजिंग परीक्षण की आवश्यकता पड़ सकती है।
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बोन फ्रैक्चर और ब्रेक का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Bone Fracture and break)
जिस तरह से फ्रैक्चर और ब्रेक में अंतर होता है, ठीक वैसे ही इलाज भी अलग-अलग तरह से की जाती है। दरअसल बोन फ्रैक्चर या ब्रेक की स्थितियों को देखते हुए डॉक्टर इलाज शुरू कर सकते हैं। वैसे बोन फ्रैक्चर और ब्रेक के इलाज निम्नलिखित तरह से की जा सकती है। जैसे:
- कास्ट (Cast)
- स्पलिंट (Splint)
- स्लिंग (Sling)
या इनसभी का कॉम्बिनेशन कॉम्बिनेशन (Combination)
नोट: किसी भी फ्रैक्चर के इलाज में 3 से 6 महीने का समय ठीक होने में लग सकता है। इसलिए इस दौरान डॉक्टर की हर एक बातों को ध्यान से समझें और उन्हें फॉलो करें। इसके साथ यह भी ध्यान रखें कि फ्रैक्चर (Fracture) ठीक होने में 6 महीने या 1 साल से ज्यादा का भी वक्त लग सकता है। इसलिए पैनिक ना हों और अपना ख्याल रखें।
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फ्रैक्चर और ब्रेक में अंतर समझने के साथ ही दोनों ही स्थितियों में प्राथमिक उपचार (First aid) क्या करें?
बोन फ्रैक्चर होने पर या ब्रेक होने पर प्राथमिक उपचार (First aid) के तौर पर निम्नलिखित स्टेप्स फॉलो करें। जैसे:
स्टेप 1: सबसे पहले पेशेंट की ब्रीदिंग (Breathing) चेक करें। अगर ब्रीदिंग से जुड़ी समस्या है, तो व्यक्ति को कार्डियो पल्मोनरी- रेसूसिटेशन (CPR) दी जा सकती है। इस दौरान CPR देने के साथ-साथ हॉस्पिटल के इमरजेंसी नंबर पर कॉन्टेक्ट भी करें।
स्टेप 2: पेशेंट को पेनिक होने ना दें
स्टेप 3: इंजरी (Injury) एरिया पर ध्यान दें।
स्टेप 4: कोशिश करें जल्द से जल्द मेडिकल हेल्प मिल सके।
स्टेप 5: सूजन वाली जगहों पर आइस पैक (Ice pack) अप्लाई करें।
फर्स्ट एड स्टेप्स फॉलो करने के साथ-साथ जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें।
फ्रैक्चर और ब्रेक में अंतर को ध्यान में रखते हुए, यह जरूर ध्यान रखें कि इसे इग्नोर ना करें। फर्स्ट एड के साथ-साथ डॉक्टर से जल्द से जल्द कंसल्ट करें। वहीं अगर आप बोन फ्रैक्चर (Bone Fracture) या ब्रोकन बोन (Broken Bone) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। ध्यान रखें किसी भी चोट या फ्रैक्चर का इलाज खुद से ना करें, क्योंकि डॉक्टर पेशेंट की हेल्थ कंडिशन को ध्यान में रखते हुए इलाज करते हैं।
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किन स्थितिओं में डॉक्टर से कंसल्टेशन जरूरी है?
फ्रैक्चर और ब्रेक में अंतर (Difference between Fracture and break) भले ही कम हो, लेकिन निम्नलिखित स्थितियों में जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें। जैस:
- व्यक्ति रिस्पॉन्ड ना करें या समझने (Consciousness) की क्षमता कम होने लगे।
- हड्डियों के टूटने की समस्या किसी भी शारीरिक हिस्से में हो सकती है। इसलिए अगर मांसपेशियों (Muscles) से जुड़ी समस्या महसूस होती है, तो इसे इग्नोर ना करें।
- स्किन से हड्डियों का बाहर की ओर निकला दिखाई देना।
- ब्लीडिंग (Bleeding) होना।
- स्किन के रंग में बदलाव आना या सूजन आना।
इन स्थितियों के अलाव अन्य स्थितिओं में भी डॉक्टर से कंसल्टेशन बेहद जरूरी है।
मांसपेशियों (Muscles) और हड्डियों (Bone) को मजबूत बनाने के लिए आप क्या करते हैं? नीचे दिए इस क्विज को खेलिए और जानिए मत्वपूर्ण बातें। इसके साथ ही जानें आपकी जानकारी है कितनी सही और कितनी गलत।