के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
सीपीआर को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (Cardiopulmonary Resuscitation [CPR]) कहते हैं। अगर किसी कारण कोई व्यक्ति बेहोश हो गया हो, दिल की धड़कन बंद हो गई हो या पल्स नहीं चल रहा हो, तो ऐसी स्थिति में सीपीआर ही दी जाती है। इसकी मदद से पेशेंट को सांस लेने में सहायता मिलती है। दरअसल सीपीआर (CPR) देने के दौरान हार्ट और ब्रेन में ब्लड सर्क्युलेशन (Blood circulation) में सहायता मिलती है। सीपीआर की मदद से व्यक्ति को एक नया जीवन भी मिल सकता है। कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) से जुड़ी कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में जानेंगे, जो इस प्रकार हैं:
और पढ़ें : सीने में दर्द, पैरों में सूजन और थकावट कहीं आपको दिल से बीमार न बना दे!
रिसर्च के अनुसार कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) एक लाइफ सेविंग टेक्निक है, जो हार्ट अटैक (Heart attack) जैसी मेडिकल इमरजेंसी के दौरान अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। अगर किसी व्यक्ति का हृदय गति रुक जाए और घर से हॉस्पिटल पहुंचने के दौरान सीपीर जीवन रक्षक की तरह काम करता है। इसलिए हाल ही के दिनों में देखा गया है कि एम्बुलेंस में काम करने वाले कर्मचारियों को भी सीपीआर की ट्रेनिंग (CPR Training) दी जाती है। आर्टिकल में आगे समझेंगे कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) देने की तकनीक क्या है।
और पढ़ें : फाइब्रोमस्कुलर डिसप्लेसिया और स्ट्रोक का क्या संबंध है?
सीपीआर देने के 2 अलग-अलग तरीके होते हैं और दोनों ही तरीके अलग-अलग तरह से काम करते हैं। जैसे:
1. एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति (पेशेंट) को दिया जाता है।
2. मेडिकल इक्विपमेंट की मदद से भी सीपीआर दी जाती है।
सीपीआर उम्र के अनुसार अलग-अलग तरीकों से दिया जाता है। बच्चों और बड़ों में सीपीआर देने का तरीका अलग होता है। यहां जानते हैं सीपीआर देने का सही तरीका क्या है।
और पढ़ें : जानें महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों की तुलना में कैसे अलग होते हैं?
सीपीआर उम्र के अनुसार अलग-अलग तरीकों से दिया जाता है। बच्चों और बड़ों में सीपीआर देने का तरीका अलग होता है। यहां जानते हैं सीपीआर देने का सही तरीका क्या है।
सीपीआर देने के दौरान इन निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करें। जैसे:
स्टेप 1: सबसे पहले बच्चे के पास घुटने के बल बैठ जाएं।
स्टेप 2: अगर नवजात शिशु को सीपीआर देने की नौवत आ पड़ी हो, तो हाथों की हथेलियों की बजाए उंगलियों का इस्तेमाल करें।
स्टेप 3: चेस्ट पर दवाब डालने के दौरान 1/2 से 2 इंच तक ही प्रेशर डालें।
अब इस स्टेप को दोहराएं और जल्द से जल्द बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे और डॉक्टर को जानकारी दें की आपने बच्चे को सीपीआर दिया है।
और पढ़ें : कार्डिएक अरेस्ट से बचने के लिए रखें इन बातों का खास ख्याल
सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) देने के दौरान इन निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करें। जैसे:
स्टेप 1: व्यक्ति को सबसे पहले सीधा लिटा दें। ध्यान रखें कि शरीर का कोई अंग मुरा हुआ ना हो।
स्टेप 2: अब हाथों की हथेलियों को एक दूसरे के ऊपर रखते हुए सीने को दबाएं। चेस्ट पर प्रेशर डालने के दौरान ध्यान रखें कि दो या ढ़ाई इंच से ज्यादा दवाब ना डालें।
हाथों के अलावा आप मुंह से भी सीपीआर दे सकते हैं। मुंह से सीपीआर देने के दौरान निम्नलिखित स्टेप्स फॉलो करें। जैसे:
सटेप 1: पेशेंट को मुंह से सीपीआर देने वाले व्यक्ति को अपना मुंह इस प्रकार लॉक करना होगा, जिससे माउथ टू माउथ ऑक्सिजन सप्लाई ठीक तरह से हो सके।
स्टेप 2: अब आप पेशेंट को मुंह से ऑक्सिजन देना शुरू करें।
इन दो अलग-अलग तरीकों से वयस्कों को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) दिया जा सकता है।
और पढ़ें : Cholesterol Injection: कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने का इंजेक्शन कम करेगा हार्ट अटैक का खतरा
कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (Cardiopulmonary Resuscitation) निम्नलिखित स्थितियों में दिया जाना चाहिए। जैसे:
इन स्थितियों में सीपीआर दिया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें इसके साथ-साथ पेशेंट को लेकर हॉस्पिटल भी जल्द पहुंचें।
और पढ़ें : खतरा! वजन नहीं किया कम तो हो सकते हैं हृदय रोग के शिकार
कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (Cardiopulmonary Resuscitation) के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे:
सीपीआर देने के दौरान इन ऊपर बताये 3 प्रमुख बातों को ध्यान में रखकर ही सीपीआर दें।
नोट: प्रत्येक वर्ष 17.9 मिलियन लोगों की मौत कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular Disease) की वजह से होती है, जिनमें हार्ट एवं स्ट्रोक (Strok) की बीमारी सबसे ज्यादा देखी जाती है। एक रिसर्च के अनुसार भारत में तकरीबन 20 प्रतिशत लोगों की मौत का कारण कॉरोनरी हार्ट डिजीज (Coronary Heart Disease) है। साल 2020 में अगर कोरोना वायरस से डेथ रेट छोड़कर देखा जाए, तो भारत में ज्यादातर लोगों की मौत हार्ट से जुड़ी बीमारियों की वजह से हुई।
और पढ़ें : Atrial Flutter : एट्रियल फ्लटर क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और उपाय
ये ऊपर बताई गलतियां प्रायः लोग घबराहट में कर देते हैं, जबकि अगर ऐसी गलती ना की जाए, तो पेशेंट बचाया जा सकता है। इसलिए इस दौरान परेशानी या घबराहट को अपने से दूर रखते हुए सबसे पहले पेशेंट को पीसीआर ठीक तरह से दें। अगर आप कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
आप अपने दिल को कितने अच्छे से जानते हैं? जानने के लिए खेलें ये क्विज
डिस्क्लेमर
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।