के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
क्रेस्ट सिंड्रोम को लिमिटेड स्क्लेरोडर्मा भी कहते हैं। इस सिंड्रोम में कनेक्टिव टिश्यू में बदलाव होते हैं, जिसके कारण खून की नसों, हड्डियों की मांसपेशियों और आंतरिक अंगों में बदलाव होने लगते हैं। क्रेस्ट सिंड्रोम सिस्टेमिक स्क्लेरोसिस का सामान्य प्रकार है। क्रेस्ट कैल्सिनोसिस, रेनॉड्स फेनामेनन, इसोफेजियल डिसफंक्शन, स्क्लेरोडेक्टाइल और टेलैंगिक्टेसिया है।
क्रेस्ट सिंड्रोम कितना सामान्य है, इसकी जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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क्रेस्ट सिंड्रोम के सामान्य लक्षण निम्न हैं :
जिन लोगों को क्रेस्ट सिंड्रोम होता है, उनमें ऊपर बताएं गए लक्षणों में से दो लक्षण तो दिखाई ही देते हैं। इसके अलावा क्रेस्ट सिंड्रोम के ज्यादा लक्षणों की जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
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अगर आप में ऊपर बताए गए लक्षण सामने आ रहे हैं तो डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही क्रेस्ट सिंड्रोम से संबंधित किसी भी तरह के सवाल या दुविधा को डॉक्टर से जरूर पूछ लें। क्योंकि हर किसी का शरीर क्रेस्ट सिंड्रोम (CREST Syndrome) के लिए अलग-अलग रिएक्ट करता है।
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क्रेस्ट सिंड्रोम से ग्रसित लोगों में फाइब्रोब्लास्ट सेल पाई जाती है, जो ज्यादा मात्रा में कोलैजन का निर्माण करती है। ऊतकों में फाइब्रोसिस का बढ़ना ही स्क्लेरोडर्मा की पहचान है। सामान्यतः फाइब्रोब्लास्ट ऐसे कोलैजन बनाती है जो घाव को भरने का काम करती है। लेकिन, स्क्लेरोडर्मा के मामले में ये कोलैजन के जगह प्रोटीन का निर्माण करने लगता है। जिसके कारण कनेक्टिव टिश्यू के बैंड त्वचा के कोशिकाओं के आसपास बनने लगते हैं। इसके अलावा ये कनेक्टिव टिश्यू के बैंड आंतरिक अंगों और खून की नसों में भी जमा होने लगती है।
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क्रेस्ट सिंड्रोम होने के लिए कई तरह के रिस्क फैक्टर जिम्मेदार होते हैं, जैसे :
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
क्रेस्ट सिंड्रोम का पता लगाना थोड़ा कठिन होता है। क्योंकि ये पांच तरह के समस्याओं का एक सिंड्रोम है। साथ ही कनेक्टिव टिश्यू और ऑटोइम्यून डिजीज की एक बीमारी है। इसके साथ ही इसमें पॉलीमायोसाइटिस, ल्यूपस और रयूमेटॉइड आर्थराइटिस की समस्याएं भी होती है।
क्रेस्ट सिंड्रोम का पता लगाने के लिए डॉक्टर निम्न तरह के टेस्ट करते हैं :
दुर्भाग्यवश, क्रेस्ट सिंड्रोम का कोई सटीक इलाज नहीं है। इस बीमारी से ग्रसित लोगों को शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से सामंजस्य बैठाने की जरूरत होती है। क्रेस्ट सिंड्रोम का इलाज लक्षणों के आधार पर होता है, रोकथाम ही इस समस्या का सबसे बड़ा इलाज है :
कैल्सिनोसिस : त्वचा पर कैल्शियम के उभार हो जाते हैं, जिसमें दर्द (Pain) होता है। इसका कोई सटीक इलाज नहीं है। वहीं कुछ मामलों में ये छाले जैसे भी बन जाते है और इनके लक्षण अलग-अलग लोगों पर अलग होता है। कुछ दवाएं हैं, जिससे कैल्सिनोसिस में होने वाले दर्द से राहत मिलती है :
रेनॉड्स फेनामेनन : रेनॉड्स फेनामेनन का इलाज निम्न तरह से किया जाता है :
इसोफेजियल डिसफंक्शन : मुंह से पेट तक जाने वाली नली को इसोफेगस कहते हैं। इस समस्या में खाना या पानी निगलने समस्या होती है। इसके इलाज के लिए आपको अपने व्यवहार में बदलाव, एच 2 ब्लॉकर और इसोफेजियल डाइलेशन किया जाता है। इसोफेजियल डाइलेशन तब मददगार साबित होता है जब खाना निगलने में परेशानी होती है।
स्क्लेरोडेक्टाइल : इसमें अंगुलियां और अंगूठे टाइट और मोटे हो जाते हैं। जिस कारण अंगुलियों को मोड़ने में तकलीफ होती है। इसका इलाज कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेट्री दवाएं, डी-पेनिसिलामीन, आईएफएन-गामा, साइक्लोस्पोराइन और साइटोस्टैटिक ड्रग दे कर किया जाता है।
टेलैंगिक्टेसिया : हाथ, हथेली, चेहरे और होंठों पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। इन चकत्तों का इलाज पल्स्ड-डाई लेजर ट्रीटमेंट से किया जाता है। इसके अलावा एस्ट्रोजेन-प्रोजेस्ट्रॉन या डेसमोप्रेसिन, लेजर एब्लेशन या स्क्लेरोथेरिपी (Sclerotherapy) की जाती है। इन लक्षणों के इलाज के बावजूद 45 प्रतिशत लोग डिप्रेशन (Depression) के शिकार हो जाते हैं, इसके साथ ही 64 प्रतिशत लोग को चिंता हो जाती है कि स्क्लेरोसिस के कारण उनका शरीर विकृत हो रहा है। क्रेस्ट सिंड्रोम के लिए आप फिजियोथेरिपी का सहारा भी ले सकते हैं।
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क्रेस्ट सिंड्रोम (CREST Syndrome) के लिए निम्न घरेलू उपाय अपना सकते हैं :
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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