के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
माता-पिता बनना एक सुखद अनुभव है। परिवार में एक नए सदस्य के आ जाने के बाद आपकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपना समय और ध्यान नवजात शिशु पर केंद्रित करें।
इस दौरान हो सकता है कि कई ऐसे पल भी आएंगे, जब आप अपने शिशु को घंटों तक निहारते रहेंगे और वो आपको दुनिया में सबसे प्यारा लगेगा। शिशु के हाथ और पैर अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं, हो सकता है कि ये देखकर आपको थोड़ा अलग लगे। लेकिन, इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है। नौ महीने गर्भ में रहने के बाद, आपके शिशु को निश्चित रूप से स्ट्रेच आउट करने के लिए कुछ समय की आवश्यकता होती है, जिसमें छ: महीने के करीब समय लग जाता है।
नवजात शिशु का वजन लगभग 2.5 किग्रा और 4.5 किग्रा के बीच होता हैं, लंबाई 48 सेमी से 51 सेमी तक हो सकती है। शिशुओं का औसतन अच्छा वजन आमतौर पर 3.5 किलोग्राम माना जाता है, जबकि औसत लंबाई 50 सेमी है। अगर शिशु का वजन कम है तो कोई घबराने की बात नहीं है। हां, बस आप इस बात का ख्याल रखें कि आपके शिशु के विकास के लिए उसे स्वस्थ आहार और बेहतर देखभाल मिलती रहे।
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शिशु का नौ महीने मां के गर्भ में रहने के बाद उसे बाहर के वातावरण में अनुकूलन होने में कुछ समय लगता है। इसलिए जरूरी है कि पहले सप्ताह में आप शिुश और खुद को कंबल से ढ़क कर रखें ताकि इससे आपके बच्चे को गर्माहट मिल सके। इसके अलावा, बच्चे को अपने सीने के करीब रखें। त्वचा से त्वचा का संपर्क और आपसे मिलने वाली गर्माहट शिशु को सुरक्षित महसूस कराने में मदद करेगी।
आपको अपने 1 सप्ताह के शिशु के विकास के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिसमें शामिल हैंः
1 सप्ताह के शिशु यानी सात दिन के नवजात बच्चे। 1 सप्ताह के शिशु की त्वचा बहुत ही नाजुक होती है। उसकी हड्डियां भी काफी नाजुक होती हैं। इनका इम्यूनिटी भी विकास की स्थिति में होता है। ऐसे में इन्हें सर्दी और गर्मी लगने की समस्या बहुत तेजी से हो सकती है। आपको अपने 1 सप्ताह के शिशु को नहलाने से बचना चाहिए। हालांकि, आपको हर दिन अपने नवजात शिशु के शरीर की त्वचा को साफ करना चाहिए। इसके लिए आप किसी स्पंज या किसी कॉटन के कपड़े को पानी में भिगोकर उसके शरीर को हल्के हाथों से पोंछ सकते हैं। इसके बाद अपने 1 सप्ताह के शिशु को कॉटन के बने मुलायम और हल्के कपड़े पहना सकते हैं।
1 सप्ताह के शिशु दिन में लगभग 18 से 20 घंटे सो सकते हैं। इसलिए अपने 1 सप्ताह के शिशु के शिशु को सोने दें। अगर आपका 1 सप्ताह के शिशु सो रहा है, तो उसके आस-पास किसी भी तरह का शोर-शराबा न करें जिससे उसकी नींद प्रभावित हो। ध्यान भी रखें कि जब आपका बच्चा सो रहा हो, तब उसे खिलाने का भी प्रयास न करें। बच्चे को तभी खिलाएं जब वो नींद से जाग गया हो।
इन बातों का भी रखें ख्याल
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शिशु के जन्म के बाद उसके कई तरह के टेस्ट जरूरी होते हैं। यदि आपके बच्चे में पीलिया, मुंह में इन्फेक्शन जैसे लक्षण नजर आते हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। अधिकांश नवजात शिशुओं को ये बीमारियां हो सकती हैं, इसलिए घबराएं नहीं और अपने शिशु को डॉक्टर के पास ले जाएं ताकि सही समय पर शिशु का इलाज हो जाए।
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कई बार शिशु की देखभाल करते समय आपको चिंता और तनाव भी हो सकता है। यदि आप भी ऐसी स्थिति में हैं, तो यहां कुछ बातें हैं, जो आपके काम आ सकती हैं :
अधिकांश लोग शिशुओं के डायपर एक ही तरह से बदलते हैं, लेकिन, आपको डायपर बदलने के अन्य तरीके भी आने चाहिए। इनमें से जो बच्चे के लिए सबसे आरामदायक तरीका हो आप उसका इस्तेमाल करें। शुरुआत में शायद आपके लिए ये थोड़ा कठिन हो सकता है, लेकिन आदत हो जाने के बाद आप नींद में भी बच्चे का डायपर आराम से बदल पाएंगे।
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डायपर बदलने और उन्हें स्तनपान कराने के बाद आप बच्चे को नहला सकती हैं। लेकिन रोज अपने बच्चे को नहलाने की जरूरत नहीं है। शुरुआती 1 सप्ताह में, अपने बच्चे को सप्ताह में दो से तीन बार नहलाएं। बाकी के दिनों में गीले तौलिये शिशु के शरीर को पोछें। वैसे तो आप अपने बच्चे को कभी भी नहला सकते हैं। लेकिन आप रात में सोने से पहले बच्चे को नहलाएंगे तो वो असानी से सो सकता है।
नियमित रूप से बच्चे के बाल धोना आवश्यक नहीं है। सप्ताह में एक या दो बार बाल धो सकते है। कोशिश करें कि रोजाना तेल लगाने की वजह से बच्चे का बाल जब ज्यादा ऑयली हो जाए, तब शैंपू करें।
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पहले सप्ताह में शिशु की देखभाल करते हुए ऐसी बहुत सी बातें हैं, जो आपको चिंता में डाल सकती हैं, उनमें से एक आपके बच्चे का ज्यादा सोना है, ऐसा होना स्वाभाविक भी है। शुरूआती महीने में बच्चा ज्यादा सोता है और फिर धीरे-धीरे यह सामान्य होने लगता है। शुरूआती कुछ हफ्तों में, कुछ बच्चों को उल्टी या कफ जैसी समस्या हो सकती है। फेफड़ों में बलगम भी इसका कारण हो सकता है।
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