मां बनने के बाद स्तनपान एक नेचुरल प्रोसेस है और अधिकांश मां धीरे-धीरे बच्चे को सही तरह से ब्रेस्टफीड कराना सीख जाती हैं, लेकिन हर मां और बच्चे के साथ ऐसा नहीं होता है। कभी बच्चे के सामान्य से अलग होने तो कभी मां को किसी तरह की समस्या होने की वजह से बच्चे को बेस्टफीडिंग कराने में दिक्कत आ सकती है और वह सामान्य तरीके से स्तनपान नहीं करा पाती हैं। ऐसे में उसे लैक्टेशन कंसल्टेंट की मदद लेनी पड़ सकती है। चलिए आपको बताते हैं लैक्टेशन कंसल्टेंट क्या है और कैसे कोई भी मां इसकी मदद ले सकती है।
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लैक्टेशन कंसल्टेंट कौन होते हैं?
लैक्टेशन कंसल्टेंट प्रोफेशनल्स होते हैं जो मां की ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं, जैसे लैचिंग की समस्या, स्तनपान के समय दर्द होना, स्तन में दूध की आपूर्ति कम होना जैसी समस्याओं को दूर करने में यह ब्रेस्टफीडिंग एक्सपर्ट्स मां की मदद करते हैं। इसके अलावा, नर्स, आया और दाइयों को भी लैक्टेशन कंसल्टेंट के लिए ट्रेनिंग दी जा सकती है। जो मां बनने पर होनी वाली परेशानियों को दूर करने में महिला की मदद कर सकती हैं।
लैक्टेशन कंसल्टेंट की जरूरत क्यों होती है?
कई अध्ययनों के मुताबिक, करीब एक चौथाई से दो तिहाई स्तनपान कराने वाली महिलाओं को डिलिवरी के बाद एक हफ्ते तक ब्रेस्टफीडिंग में समस्या आती है। उनकी सबसे बड़ी परेशानियां होती है निप्पल में दर्द होना, नवजात का ठीक से दूध न खींच पाना, जन्म के समय बच्चे का वजन बहुत कम होना और स्तनों में दूध न उतरना आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लैक्टेशन कंसल्टेंट नई मांओं के लिए उम्मीद की एक किरण की तरह होते हैं जो उन्हें ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी समस्याओं से निजात दिलाते हैं। आज के दौर पर जहां एकल परिवारों की संख्या अधिक है नई मांओं को सही जानकारी और सलाह देने के लिए बुज़ुर्ग कम ही होते हैं, ऐसे में लैक्टेशन कंसल्टेंट ही उनकी मदद करते हैं। इन्हें ब्रेस्टफीडिंग के बारे में पूरी जानकारी होती है, यह प्रशिक्षित प्रोफेशनल होते हैं।
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किस तरह से मदद करते हैं?
लैक्टेशन कंसल्टेंट कई तरह की सेवाएं प्रदान करते हैं, जैसे नई मांओं को ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई बढ़ाने के तरीके बताने के साथ ही ब्रेस्ट इंफेक्शन से निपटने के तरीके भी बते जाते हैं। साथ ही प्रिमेच्योर, जुड़वा या इससे अधिक बच्चे या गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं वाले शिशुओं को किस तरह से स्तनपान करना है इस बारे में भी मां को समझाते हैं। जरूरी नहीं कि सिर्फ नई मां ही लैक्टेशन कंसल्टेंट को हायर करें, कई महीनों से ब्रेस्टफीडिंग करा रही मांओं को भी यदि किसी तरह की परेशानी होती है या वह बच्चे को सॉलिड फूड देने से पहले किसी की सलाह या मदद चाहती हैं तो लैक्टेशन कंसल्टेंट उनकी मदद कर सकते हैं। इस सबके साथ ही यह एक मां को आश्वासन देते हैं कि वह मां होने की अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह से निभा रही है।
कैसे ढूंढ़ें लैक्टेशन कंसल्टेंट?
लैक्टेशन कंसल्टेंट को कई तरह से तलाशा जा सकता है। सबसे पहले तो आपको बता दें कि अपने हॉस्पिटल में ही इसके बारे में पूछें क्योंकि वहां एक स्टाफ यह काम जरूर करता है। इसलिए मां के लिए अच्छा होगा कि वह अस्पताल से ही लैक्टेशन कंसल्टेंट हायर करने के बारे में बात करें। इसके अलावा आप लैक्टेशन कंसल्टेंट एसोसिएशन की वेबसाइट के जरिए भी उनकी तलाश कर सकते हैं। आसपास के हेल्थ केयर सेंटर में जाकर भी आप इस बारे में जानकारी जुटा सकते हैं।
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सर्टिफाइड प्रोफेशनल ही हायर करें
कई लैक्टेशन कंसल्टेंट नर्स या अन्य हेल्थ प्रोफेशनल्स होते हैं। कंसल्टेंट का प्रशिक्षण और स्टैंडर्ड सुनिश्चित करने के लिए सिर्फ उसी कंसल्टेंट को अपॉइंट करें जो इंटरेशनल बोर्ड ऑफ सर्टिफाइड लैक्टेशन कंसल्टेंट (IBCLC) से सर्टिफाइड हो। IBCLC का सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, सोशियोलॉदी और काउंसलिंग, न्यूट्रिशन और मेडिकल टर्मिनोलॉजी में 1000 घंटे का अनुभव और ट्रेनिंग लेना अनिवार्य है।
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लैक्टेशन कंसल्टेंट की फीस
लैक्टेशन कंसल्टेंट की फीस अनुभव और स्थान के हिसाब से अलग-अलग होती है।
ध्यान से सुनें
लैक्टेशन कंसल्टेंट जब आपको किसी तरह की सलाह या सुझाव दे तो ध्यान से सुनें। उस दौरान टीवी बंद कर दें, मोबाइल साइड में रख दें और यदि घर में बाकी लोग शोर मचा रहे हैं तो उन्हें शांत रहने या फिर बाहर जाने के लिए कहें ताकि आप कंसल्टेंट की बातों को अच्छी तरह सुन और समझ सकें। यदि आपको किसी तरह का कन्फ्यूजन है तो उससे पूछने से हिचकिचाए नहीं। किसी तरह की शर्म और झिझक आपके लिए ही परेशानी खड़ी कर देगी।
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महिलाओं को होने वाली स्तनपान संबंधी आम समस्याएं
पहले बच्चे के जन्म के बाद आमतौर पर कुछ दिनों तक महिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी परेशानी जैसे स्तनों का सख्त होना, दर्द होना, बच्चे का ठीक से दूध न पीना आदि होती है, लेकिन 1-2 हफ्ते में ही यह परेशानी हल हो जाती है, लेकिन कुछ महिलाओं के साथ ऐसा नहीं होता।
निप्पल में दर्द होनाः दूध पिलाते समय कुछ महिलाओं को निप्पल में दर्द महसूस होता है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है, ब्रेस्ट में अधिक दूध भरा होने या फिर निप्पल सी स्किन ड्राई होकर फट जाने की वजह से भी ऐसा हो सकता है। इस तरह की परेशानी को दूर करने में लैक्टेशन कंसल्टेंट आपकी मदद करते हैं।
स्तनों का सख्त होनाः डिलिवरी के बाद कुछ हफ्तों तक स्तनों में दूध की आपूर्ति बहुत अधिक होती है, ऐसे में यदि बच्चा ठीक तरह से दूध नहीं पीता है तो ब्रेस्ट में दूध जमा होने के कारण वह सख्त हो जाते हैं और दर्द भी होता है।
स्तनों में भारीपन महसूस करनाः जब ब्रेस्ट मिल्क पूरी तरह से खाली नहीं हो पाता है तो स्तनों में भारीपन महसूस होने लगता है। ऐसे में आप पंप या हाथ से भी ब्रेस्ट मिल्क निकाल सकते हैं जिससे थोड़ी राहत मिलती है। यदि आपको ऐसा करने में दिक्कत हो रही है तो लैक्टेशन कंसल्टेंट की मदद ले सकती हैं।
समस्या हो तो लें एक्सपर्ट की मदद
शिशु के जन्म के शुरुआती दिनों में यदि उसे मां का दूध न मिले, तो वह कमजोर हो जाता है। ऐसे में जरूरी है कि शिशु को मां का गाढ़ा पीला दूध ही पिलाएं। यदि माता को शिशु को दूध पिलाने में समस्या आ रही है, तो ऐसे में एक्सपर्ट की मदद लेनी चाहिए। ताकि किसी प्रकार की समस्या न हो। यदि ऐसा न किया जाए तो शिशु सामान्य बच्चों की तुलना में कमजोर हो जाएगा, उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी आएगी। इसलिए जरूरी है कि अपनी तरफ से पूरी कोशिश करनी चाहिए ताकि शिशु को मां का दूध मिल सके और उसका सर्वांगीण विकास हो सके।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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