डायबिटीज भले ही एक बार लाइफस्टाइल डिजीज है और कई लोगों में इसके होने का कारण जेनेटिक होता है। शिशु के जन्म के बाद, उसके लिए सबसे पहला और पौष्टिक आहार मां का दूध माना जाता है। स्तनपान कराना जितना शिशु के लिए फायदेमंद है, उतना ही मां की हेल्थ के लिए भी अच्छा है। लेकिन कई बार कारणवश मां, शिशु को स्तनपान नहीं करवा पाती हैं, जैसे की डायबिटीज में ब्रेस्टफीडिंग को लेकर चिंता रहती है। डायबिटीज-2 की शिकार माओं के मन में सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि क्या डायबिटीज में ब्रेस्फीडिंग (Breastfeeding in diabetes) बच्चे के लिए सेफ होता है? जिसके कारण मां बच्चे को अपना दूध नहीं दे पाती हैं। आज हम यहां बात करें कि डायबिटीज के दौरान किन परिस्थितियों में ब्रेस्ट फीडिंग कराना फायदेमंद (Breastfeeding Benefits) है और कब नुकसानदेह है? तो आइए जानें, डायबिटीज में ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding in diabetes) के बारे में:
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टाइप 2 डायबिटीज (Diabetes Type 2) क्या है?
टाइप 2 डायबिटीज, मधुमेह का सबसे आम प्रकार है, जिसके शिकार सबसे ज्यादा लोग होते हैं। डायबिटीज, एक क्रॉनिक हेल्थ कंडिशन ( Chronic condition) है। इस स्थिति में मरीज के शरीर में ब्लड में ग्लूकोज का लेवल सामान्य से अधिक बढ़ा हुआ हाेता है। फिर धीरे-धीरे शरीर रक्त में शर्करा को नियंत्रित करने की क्षमता खो देता है। टाइप-2 डायबिटीज को अगर कंट्रोल न किया जाए तो यह मरीज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसमें कोशिकाएं रक्त शर्करा से एनर्जी का निमार्ण नहीं कर पाती हैं। टाइप 1 मधुमेह (Type 1 diabetes)के विपरीत, टाइप 2 में इंसुलिन (Insulin) का उत्पादन करने के लिए अग्न्याशय होता है, लेकिन कोशिकाएं इसका उपयोग कर नहीं कर पाती हैं। यानि कि जब किसी व्यक्ति को डायबिटीज की समस्या होती है, तो उसके शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निमार्ण नहीं हो पाता है। इस कारण से रक्त में ग्लूकोज जमा होने लगता है।
टाइप 2 मधुमेह (Type 2 diabetes) के पीछे कारण हैं:
- एक्सरसाइज में कमी (Lack of exercise)
- तनाव और एंग्जायटी का अधिक होना (Stress and anxiety)
- खराब लाइफस्टाइल के कारण (Lifestyle Problem)
- मोटापा के शिकार होने पर (Obesity)
- जेनेटिक का एक बड़ा कारण है (Genetics)
जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes)
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं अपने अंदर कई तरह के बदलाव भी महसूस करती हैं। अक्सर देखा गया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) का शिकार हो जाती हैं। यानि उनके शरीर में ब्लड शुगर का लेवल सामान्य से बहुत ज्यादा बढ़ गया होता है। प्रेगनेंसी के 24 से 28वें हफ्ते के बीच जेस्टेशनल डायबिटीज होने का खतरा मां में सबसे ज्यादा अधिक होता है, जोकि बच्चे के जन्म के बाद खुद ही खत्म हो जाता है। यह भी जरूरी नहीं है कि प्रेग्नेंसी में सभी महिलाएंश् जेस्टेशनल डायबिटीज की शिकार हों। ऐसा कुछ ही महिलाओं में देखा जाता है, जोकि भविष्य में टाइप 2 के खतरों को बढ़ा देता है। इसका सही समय पर इलाज बहुत जरूरी है, थोड़ी सी लापरवाही से भी इसका बुरा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ेगा और बच्चे को आगे चल कर डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाएगा इसके अलावा, प्रेगनेंसी और डिलीवरी में दूसरी कई दिक्कतें पेश आएंगी
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जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) के लक्षण:
जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भकालीन मधुमेह) के लक्षण आमतौर पर पहचान पाना मुश्किल होता है, आप इनमें से किसी लक्षण का अनुभव कर सकती हैं:
- थकान महसूस होना (fatigue)
- चक्कर आना
- धुंधली दृष्टि होना (blurred vision )
- प्यास अधिक लगना (thirstier)
- अत्यधिक भूख लगना (hungrier )
- बार-बार यूरिन जाना(Urine Problem)
- नींद में खराटे लेना (Snoring while sleeping)
डायबिटीज में ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding in diabetes)
शिशु के जन्म के बाद, मां का दूध बच्चे के लिए बहुत जरूरी होता है, जोकि शिशु को स्वस्थ रखता है। बच्चे को स्तनपान कराना मां के लिए भी खास अनुभव होता है। बच्चे के जन्म के बाद कई मां में डायबिटीज की समस्या (Diabetes Problem) बढ़ जाती है। ऐसे में मां के मन में भी यही डर और सवाल उठता है कि क्या डायबिटीज के दौरान बच्चे को स्तनपान कराना उसकी सेहत के लिए सही है। कुछ लोग डायबिटीज में ब्रेस्टफीडिंग को नुकसानदायक मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। यह अलग-अलग स्थितियों पर निर्भर करता है। डायबिटीज के दौरान ब्रेस्ट फीडिंग फायदे और नुकसान, दोनों ही हो सकते है। तो आइए जानते डायबिटीज में ब्रेस्टफीडिंग के फैक्ट्स के बारे में:
- अगर हम डायबिटीज में ब्रेस्टफीडिंग की बात करें, तो डायबिटीज के दौरान स्तनपान कराने से मां को कुछ स्थितियों में फायदा भी हो सकता है।
- डायबिटीज में ब्रेस्टफीडिंग कराने से बच्चे को वो जरूरी पोषक तत्व मिल रहे होते हैं। जैसे जब-जब आप ब्रेस्ट फीडिंग कराती हैं, तब-तब आपके शरीर से 500 कैलोरी घटती है और यह आपको स्वस्थ रखता है।
- अगर मां बच्चे को डायबिटीज में ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) करा रही है, तो जरूरी नहीं कि उसे नुकसान पहुंचे। डायबिटीज का खतरा इस बात पर भी निर्भर करता है कि मां कितने लंबे समय तक स्तनपान कराती है। डायबिटीज की शिकार मां कोशिश करें कि वो बच्चे को सिर्फ 6 महीने तक ही फीड करवाएं।
- ब्रेस्टफीड कराने वाली माताओं को डायबिटीज होने की संभावना 50 प्रतिशत कम होती है और 5 महीने तक स्तनपान कराने वाली मांएं डायबिटीज से बचकर आगे निकल जाती हैं। दरअसल इसके पीछे की वजह ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान घटने वाले वजन की मात्रा को भी माना जाता है।
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डायबिटीज में ब्रेस्टफीडिंग के नुकसान (Disadvantages of breastfeeding in diabetes)
अगर मां को टाइप-2 डायबिटीज है, तो कई केस में बच्चे को स्तनपान (Baby breastfeed) कराना नुकसानदायक भी होता है। दरअसल टाइप-2 डायबिटीज में शरीर पर्य़ाप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है। इसके अलावा यह इंसुलिन का विरोध भी करता है। इस वजह से शुगर का लेवल भी बढ़ता है और यह हृदय (Heart) और किडनी (Kidney) जैसी कई बीमारियों का कारण बन सकता है। इसके अलावा गंभीर स्थिति में अंग विच्छेद भी हो सकता है।
जिन महिलाओं को टाइप-2 डायबिटीज हो, उनके लिए बच्चे को स्तनपान कराना नुकसान देह हो सकता है। इस डायबिटीज में शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनाता और साथ ही में इंसुलिन का विरोध भी करता है। इस कारण शरीर में शुगर लेवल बढ़ता है और यह कई बीमारियों का भी कारण बन सकता है।
डायबिटीज में ब्रेस्टफीडिंग कराना काफी फायदेंमद होता है। वह जब-जब ब्रेस्ट फीडिंग कराती हैं, तब-तब शरीर से 500 कैलोरी घटती है और वह महिला स्वस्थ रहती है। जिन महिलाओं को पहले डायबिटीज था, उन्हें स्तनपान के दौरान ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए कम इंसुलिन की जरूरत पड़ी। डायबिटीज में ब्रेस्टफीडिंग कराना सही है या नहीं इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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