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ऑटिस्टिक बच्चों से दोस्ती करने के कुछ आसान टिप्स

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Suniti Tripathy द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/07/2022

    ऑटिस्टिक बच्चों से दोस्ती करने के कुछ आसान टिप्स

    ऑटिज्म से पीड़ित लोग दुनिया से काफी कटे हुए रहते हैं। ऐसे लोग अक्सर अकेले रहना पसंद करते हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आप उनसे दोस्ती नहीं कर सकते। ऑटिस्टिक से पीड़ित बच्चों से दोस्ती करना मुश्किल हो सकता है लेकिन ये बच्चे सबसे भरोसेमंद दोस्त बन सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये खुद किसी और से प्रभावित नहीं होते। जो भी इनके करीब रहता ये उनसे बहुत अधिक लगाव और जुड़ाव रखते हैं। पहले जानिए कि ऑटिज्म की बीमारी क्या है।

    ऑटिज्म (Autism) क्या है?

    ऑटिज्म एक विकास डिसेबिलिटी है, जो किसी व्यक्ति की बातचीत करने और अपने भाव व्यक्त करने की क्षमता को प्रभावित करती है। इस बीमारी में व्यक्ति की सीखने और समझने की क्षमता ठीक से विकसित नहीं होती। यही नहीं, इसमें व्यक्ति अपनी बातें भी ठीक से व्यक्त नहीं कर पाता।

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    ऑटिज्म के लक्षण क्या हैं? (Autism Symptoms)

    ऑटिज्म की परेशानी ज्यादातर बचपन से ही होती है, जो उम्र भर रहती है। इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इस पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है :

    • अगर बच्‍चा आंख मिलाकर आपसे बात नहीं करता, तो ये ऑटिज्म के लक्षण हो सकते हैं।
    • बच्चा सबसे अलग होकर खेलता है। उसे बाकी बच्चों के साथ खेलने में असहजता है महसूस होती है।
    • खिलौनों को वह लाइन से सजाता है लेकिन उनसे वैसे नहीं खेलता, जिस तरह से दूसरे बच्‍चे खेलते हैं।
    • बच्चा शोर की आवाज सुनकर इरिटेट होने लगता है।

    ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों से दोस्ती के लिए अपनाएं ये तरीके

    ऑटिस्टिक बच्चों को ऐसे लोग बहुत जल्दी पसंद आते हैं जो उनकी सहायता करते हैं और उनके अलग होने के बावजूद भी उनसे बात करने की कोशिश करते हैं। दोस्ती का आधार केवल पसंद, अच्छा व्यवहार और आपसी समझ होता है।

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    ऑटिज्म से पीड़ित दोस्त के साथ शांत रहें 

    जाहिर सी बात है कि ऑटिस्टिक दोस्त आपके बाकी दोस्तों से अलग ही होगा। हालांकि, वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगा कि आपकी बातों को समझे लेकिन अगर कोई गड़बड़ होती है या फिर आपके अनुसार व्यव्हार नहीं हो पा रहा तो शांत रहे। गुस्सा करने के बजाय उससे शांति से बात करें और उसे अपनी बात समझाने की कोशिश करें। वह जैसा है, उसे वैसा ही अपनाने की कोशिश करें क्योंकि आपके हिसाब से बनना उसके लिए मुश्किल होगा और इससे आपके संबंध  खराब हो सकते हैं। जब आप उसे उसी रूप में एक्सेप्ट कर लेंगे तो वह भी आपकी पसंद के अनुसार व्यवहार करेगा।

    ऑटिस्टिक दोस्त के साथ साफ शब्दों में बात करें

    मैसेज वाली भाषा में बात न करें, साफ शब्दों में बात करें जिससे आपका दोस्त आसानी से समझ पाए। अगर आपने कोई सवाल पूछा है तो तुरंत जवाब न मांगे उसे सोचने और समझने के लिए बाकी दोस्तों की अपेक्षा थोड़ा अधिक समय दें। अगर वो देर से रिप्लाई कर रहा है तो चिढ़े नहीं। धैर्य के साथ इस परिस्थिति को हैंडल करें। 

    ऑटिज्म से पीड़ित दोस्त के साथ बाहर घूमने का प्लान बनाएं

    घूमना फिरना सबको पसंद होता है इसलिए अपने दोस्त के साथ फिल्म, पिकनिक आदि का प्लान बनाएं। ऑटिस्टिक बच्चे दूसरे बच्चों में शामिल होना चाहते हैं, लेकिन साफ तौर पर जाहिर न कर पाने के कारण ऐसा करना मुश्किल होता है। अगर आप रोजाना उसके साथ कुछ समय बिताते हैं तो भी आपकी दोस्ती गहरी हो सकती है। उसका मूड में बेहतर हो सकता है और आपका भी।

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    ऑटिज्म से पीड़ित दोस्त के साथ उसके डर का रखें खास ख्याल

    ऑटिज्म (Autism) से पीड़ित

    अक्सर ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में किसी रंग, आवाज या फिर महक को लेकर डर होता है। इस डर का ख्याल रखें और इसे लेकर उसे न चिढ़ाएं क्योंकि इससे आपकी दोस्ती टूट सकती है। अकसर ये बच्चे मैथ्स या संगीत जैसे विषयों में कुशलता रखते हैं इसलिए इन्हें कम न समझें। उनका पूरा सम्मान करें।

    ऑटिज्म से प्रभावित दोस्त (Autistic child) के साथ किसी प्रोजेक्ट के जैसा व्यवहार न करें

    ऑटिस्टिक बच्चे आम बच्चों जैसा ही व्यव्हार चाहते हैं। वह भी आपके साथ खेलना चाहते हैं, मस्ती करना चाहते हैं इसलिए उनके साथ अलग व्यव्हार न करें। किसी आम दोस्त के जैसे ही उसके साथी बने और हर परेशानी में उसका साथ दें।

    अपने ऑटिज्म से पीड़ित दोस्त की सहायता करें 

    ऑटिस्टिक लोगों को परेशान करने की या फिर उन्हें मारने के कई मामले सामने आते हैं। अगर आपके दोस्त के साथ भी ऐसी कोई समस्या आती है तो आवाज उठाएं और उसका साथ दें। इस तरह की प्रताड़ना ऑटिस्टिक बच्चों को  मानसिक रूप से और अधिक कमजोर कर देती है। अगर आपका दोस्त बता नहीं पा रहा हो तो भी किसी आशंका के होने पर छानबीन करें और उसकी सहायता जरूर करें। ऑटिस्टिक लोग अपने अकेलेपन में दोस्त पाकर बहुत खुश होते हैं। हमारी दी हुई टिप्स से आप भी बन सकते हैं इनके दोस्त।

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    जैसा कि हमने ऊपर बताया कि ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे जन्म से ही इस समस्या का शिकार होते हैं। ऐसे में गर्भवती को ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे न हों, उसके लिए गर्भावस्था में कई चीजों का ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है। नीचे जानिए कि आप अपने होने वाले बच्चे को ऑटिज्म से बचाने के लिए क्या कर सकते हैं :

    • एक स्वस्थ जीवन शैली जीना और किसी व्यक्ति को प्रभावित करने वाली किसी भी बीमारी के लिए उचित देखभाल और उपचार प्राप्त करना.

      जो लोग इन दिशानिर्देशों का पालन करते हैं, वे गारंटी नहीं दे सकते कि उनके बच्चे आत्मकेंद्रित से प्रभावित नहीं होंगे। इसके अलावा, यदि किसी बच्चे में ऑटिज्म पाया जाता है, तो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।

    • गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल, जिसका अर्थ है दवाओं और दवाओं से बचना जो गर्भवती महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं हैं, गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान या शराब नहीं पीना है।
    • ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों और किशोरों की लगातार निगरानी की जानी चाहिए. लंबे समय तक उन्हें अकेला छोड़ देना सुरक्षित नहीं है।
    • ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों और युवा वयस्कों के सुरक्षित वातावरण से बाहर निकलने या भागने की संभावना है. माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चों को ऐसे अवसर न मिले।
    • ऑटिज्म की समस्या से राहत पाने के लिए बिहेवियरल मैनेजमेंट पर जोर दिया जाता है। यानी पेशेंट का कुछ थेरेपी की सहायता से करने की कोशिश की जाती है। चुंकि ऑटिज्म से ग्रसित व्यक्ति या बच्चे का व्यवहार अन्य लोगों की तरह नहीं होता है, इसलिए कुछ थेरिपी की मदद से उनके व्यवहार को सुधारने का प्रयास किया जाता है। थेरिपी विभिन्न प्रकार की होती हैं और इसे बचपन से ही शुरू कर दिया जाता है।

    उम्मीद करते हैं कि आपको ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों से दोस्ती कैसे कर सकते हैं इससे संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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