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ऑटिज्म के लक्षण को दूर करने में मददगार हैं ये थेरेपी

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Pooja Bhardwaj


Piyush Singh Rajput द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/07/2021

    ऑटिज्म के लक्षण को दूर करने में मददगार हैं ये थेरेपी

    ऑटिज्म विकास संबंधी एक ऐसा विकार है जो जिंदगीभर समस्या पैदा करता है। यूं तो इस बीमारी का कोई खास इलाज नहीं है हालांकि, ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of autism) को कम करके रोगी में कुछ हद तक सुधार लाए जा सकते हैं। सही ट्रीटमेंट मिलने से ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of autism) धीरे-धीरे कम होने लगते हैं और रोगी अपनी जिंदगी बेहतर तरीके से जी सकते हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको आज ऐसी ही कुछ थेरिपी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जो ऑटिज्म के लक्षणों (Symptoms of autism) को कम करने में मदद कर सकती है। 

    व्यवहार संबंधी थेरेपी (behavioral management)

    व्यवहार प्रबंधन थेरेपी या (Behavioral management therapy) थेरेपी मुख्य रूप से रोगी के व्यवहार को सकारात्मक दिशा देती है। इस ट्रेनिंग से ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of autism) को कम किया जा सकता है। इसमें रोगी को ट्रेनिंग देने के साथ-साथ अच्छे और बुरे व्यवहार में फर्क सिखाया जाता है, जिसके बाद वो खुद इसे समझ सके। इस ट्रीटमेंट में ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of autism) को कम करने के लिए अप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस यानी (ABA) की मदद ली जाती है।

    पीबीएस (Positive behavioral support)

    पीबीएस यानी पॉजिटिव बियेवियरल सपोर्ट एक ऐसी तकनीक है जिसमें ऑटिज्म प्रभावित व्यक्ति के व्यवहार को उसके आसपास के वातावरण में बदलाव कर उसे सकारात्मक बनाने के प्रयास किए जाते हैं। पहले देखा जाता है कि किस वजह से रोगी के व्यवहार में बदलाव आ रहा है। इसके बाद रोगी को नई चीजें सिखाई जाती हैं और अच्छा व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

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    संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा (Cognitive behavior therapy)

    ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of autism) से निजात मिल सके इसके लिए कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपरी (cognitive behavior therapy)  में सोच, भावनाओं और व्यवहार के बीच संबंध के आधार पर ऑटिज्म रोगी की मदद की जाती है। इसकी मदद से रोगी को चिंता, भावनात्मक समस्याएं और दूसरी सामाजिक परेशानियों से निपटने में मदद मिलते है। इस चिकित्सा में डॉक्टर, ऑटिज्म रोगी और उसके परिवार के लोग साथ मिलकर ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of autism) को कम करने की दिशा में काम करते हैं।

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    ऑटिज्म के लक्षणों (Symptoms of autism) को कम करने के लिए अन्य ऑटिज्म थेरेपी

    (EIBI) Early intensive behavioral intervention

    बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of autism) को कम करने के लिए ऑटिज्म थेरेपी में अर्ली बियेवियरल इंटरवेंशन का उपयोग किया जाता है। जो 5 साल से कम के बच्चों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बच्चों को छोटे-छोटे इंस्ट्रक्शन दिए जाते हैं।

    (PRT) Pivotal response training

    इसे पाइटल रिस्पॉन्स ट्रेनिंग कहते हैं। इस तकनीक में ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of autism) को कम करने के लिए रोगी को रोज एक तरह की ट्रेनिंग दी जाती है, जिसमें उसे अपने व्यवहार को कंट्रोल करने, नई चीजें सीखने के लिए और दूसरे लोगों से घुलने-मिलने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जाता है।

    (DTT) Discrete trial training

    डिस्क्रीट ट्राइल ट्रेनिंग एक ऐसी ट्रेनिंग है जिसमें एक टीचर रोगी को एक के बाद एक लेसन देता है। इसके बाद रोगी से इसके जवाब और सही व्यवहार के बारे में पूछा जाता है। सही जवाब देने और उचित व्यवहार करने पर उसे गिफ्ट देकर प्रोत्साहित किया जाता है।

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    शिक्षात्म, आहार, क्यूपेशन थेरेपी

    ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of autism) को कम करने के लिए शिक्षात्मक चिकित्सा (Educational therapy)

    इस चिकित्सा में ऑटिज्म रोगी के कौशल विकास और संचार कौशल को विकसित करने की दिशा में काम किया जाता है। इसमें एक्सपर्ट्स की टीम खासतौर पर रोगी के लिए केंद्रित प्रोग्राम तैयार करते हैं।

    आहार चिकित्सा (Dietary approaches)

    कई वजहों से ऑटिज्म के रोगियों में जरूरी पोषक तत्वों की कमी होती है और कई कुपोषित होते हैं। इसकी वजह से भी उनके विकास में परेशानी आती है। कुछ रोगी किसी एक ही प्रकार का खाना खाते हैं, तो कुछ खाना खाने से डर लगता है। डर की वजह डाइनिंग टेबल, तेज लाइट या वातावरण हो सकता है। कुछ इसलिए भी नहीं खाते क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी बीमारी की वजह उनका खाना है। ऐसी स्थिति में बच्चे के माता-पिता या केयरटेकर किसी डाइटीशियन की मदद लेकर उसके खाने का प्लान बना सकते हैं। डाइटीशियन बच्चे का चेकअप कर उसके लिए पौष्टिक खाने का चार्ट बनाते हैं, जिससे बच्चा कुपोषण और उससे संबंधित बीमारियों से बच सकता है। इस तरह से निश्चित रूप से ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of autism) को कम करने में मदद मिलेगी।

    क्यूपेशनल थेरेपी (Occupational therapy)

    इस थेरेपी में ऑटिज्म रोगी को दैनिक जीवन से जुड़े काम पूरे करने के लिए दिए जाते हैं। इसकी मदद से वे भविष्य में इन चीजों को करने में सक्षम हो जाते हैं। उदाहरण के तौर पर शुरुआती अवस्था में बच्चों को कपड़े पहनना या चमच्च का इस्तेमाल जैसी चीजें सिखाई जाती हैं।

    फैमिली थेरेपी (Family therapy) से दूर होंगे ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of autism)

    फैमिली थेरेपी में ऑटिज्म रोगी के परिवार, उसके दोस्त और देखभाल करने वाले लोगों को सिखाया जाता है कि कैसे रोगी के साथ व्यवहार, बातचीत और खेलकूद करें। इसकी मदद से वो तेजी से चीजें सीखता है और रोगी में ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of autism) के तौर पर दिखने वाला नकारात्मक व्यवहार खत्म होता है।

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    दवाइयां और अन्य तरीके

    ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of autism) को कम करने में मददगार दवाईयां (Medications)

    यूं तो ऑटिज्म के मरीजों पर दवाईयों का कम ही असर होता है पर ये इसके लक्षणों जैसे डिप्रेशन की समस्या, सोने के परेशानी, चिंता, मिरगी और व्यवहार संबंधी परेशानियों से निपटने में मदद करती हैं।

    ऑटिज्म थेरेपी:  फिजिकल थेरेपी (Physical therapy)

    कुछ ऑटिज्म रोगियों को चलने फिरने में भी परेशानी आती है। ऐसी स्थिति में फिजिकल थेरेीप का सहारा लिया जाता है। इसमें रोगी को कुछ एक्सरसाइज सिखाई जाती हैं, जिससे उसके स्वास्थ, ताकत, बॉडी बैलेंस आदि में सुधार आए।

    सामाजिक कौशल चिकित्सा (Social skills training)

    इस तरह की ट्रेनिंग में ऑटिज्म रोगी को समाज में लोगों से बातचीत का तरीका और दैनिक जीवन की समस्याओं से निपटना सिखाया जाता है।

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    स्पीच थेरेपी (Speech therapy)

    कई ऑटिज्म रोगी बोलचाल में बेहद कमजोरी होते हैं और उन्हें भाषा संबंधी परेशानी आती हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें छोटे बच्चों की तरह शुरुआत से बोलचाल का तरीका सिखाया जाता है।

    अगर शुरुआत में ही मिल जाए इलाज…

    ऑटिज्म का इलाज जितनी शुरुआत में होगा ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of autism) उतनी जल्दी ठीक होंगे। शुरुआत में बच्चे को उपरोक्त में से कई ट्रेनिंग दी जा सकती हैं जो कि बाद में कठिन हो जाती हैं। ये सभी थेरेपी ऑटिज्म रोगी के विकास में बेहद लाभकारी हैं। ऐसे में कोई भी ऑटिज्म रोगी है तो डॉक्टरी सलाह लेकर इन थेरेपी को आजमाया जा सकता है। आपको ट्रीटमेंट के दौरान धैर्य की अधिक आवश्यकता है क्योंकि धीरे-धीरे ही इस बीमारी का

    अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना ना भूलें। हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms of autism) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको  हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

    डिस्क्लेमर

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