इसके अलावा, अगर कोई बच्चा गलती करे या किसी कारण से पानी में गिर जाता है, तो वह घबरा जाता है। जिसके कारण भी उसके सांस की नली में पानी भर सकता है। अधिकतर ऐसी स्थितियों में लोग बच्चे को पानी से बाहर निकाल कर बचा लेते हैं। उन्हें लगता भी है कि अब बच्चे की जान सुरक्षित है और उस समय बच्चा बिल्कुल सुरक्षित नजर भी आता है। लेकिन, नाक या मुंह के जरिए सांस की नली में गया हुआ पानी फेफड़ों में चला जाता है, जो धीरे-धीरे मांसपेशियों के कार्य को ब्लॉक कर देता है। डॉक्टर इस घटना को “पोस्ट-इमर्शन सिंड्रोम” (Post immersion syndrome) कहते हैं और यह बहुत ही दुर्लभ स्थिति होती है। इसके अलावा मेडिकली तौर पर अभी तक इसका कोई उचित उपचार भी नहीं है।
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ड्राई ड्राइविंग या पोस्ट-इमर्शन सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Dry Drowning)
पोस्ट-इमर्शन सिंड्रोम के निम्न लक्षण हो सकते हैं। हालांकि, ये सारे लक्षण तभी इससे संबंधित हो सकते हैं, अगर बच्चा किसी कारण से पानी में गिर गया हो या वो तैरने का अभ्यास करना हो। इसमें शामिल हो सकते हैंः