शिशु की अच्छे स्वास्थ्य के लिए मां का दूध सबसे अच्छा माना जाता है। लेकिन कभी-कभी बहुत से कारणों से मां बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग नहीं करा पाती हैं। इसलिए कई बार उन्हें फॉमूर्ला मिल्क देना, मां की मजबूरी बन जाती है। वैसे तो हर मुकाबले में मां का दूध काफी अच्छा होता है। लेकिन कुछ स्थितियों में विकल्प के तौर पर शिशु को फॉर्मला मिल्क दिया जा सकता है। इसके अपने कई फायदे हैं। इसके लिए सबसे पहले जानें कि फॉर्मूला मिल्क क्या है और आपके के शिशु के लिए इनमें से क्या बेस्ट है। बेबी के लिए फॉर्मूला मिल्क क्या होता है, जानें यहां:
फॉर्मूला मिल्क (Formula Milk) क्या होता है?
फॉर्मूला मिल्क (Formula Milk) एक कृत्रिम दूध का पाउडर होता है यानी कि पाउडर बेस्ड मिल्क होता है। वैसे भी आजकल कई हेल्थ प्रॉब्लम की वजह से मांओं के लिए इसे अपने बच्चे को देना मजबूरी की तरह हो गई है। जबकि डॉक्टर इसका इस्तेमाल कम से कम करने की सलाह देते हैं। इसके अलावा कई बच्चे मां का दूध पीते ही नहीं हैं, तो उन्हें भी फॉर्मूला मिल्क देना पड़ता है। फॉर्मूला मिल्क एक बच्चे के शरीर को वो सभी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं, जो उन्हें मां के दूध से मिलते हैं। वैसे तो इसकी मां के दूध से किसी प्रकार की तुलना नहीं है। लेकिन फिर भी इसे विकल्प के तौर पर दिया जा सकता है। फॉर्मूला मिल्क में भी कई तरह के विटामिन और प्रोटीन पाए जाते हैं, जो बच्चे के लिए जरूरी हैं।
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फॉर्मूला मिल्क के प्रकार
बेबी के लिए फॉर्मूला मिल्क में भी कई प्रकार मौजूद हैं। बेबी फॉर्मूला मिल्क में विभिन्न प्रकार के गुड फैट्स, कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, विटामिन और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो मां के दूध में पाए जाते हैं। लेकिन फॉर्मूला मिल्क में भी कई प्रकार पाए जाते हैं:
गाय के दूध का फॉर्मूला मिल्क (Cow’s Milk Based Formula)
अमेरिकन एकैडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएपी) के अनुसार,आज अधिकतर पैरेंट्स 80 प्रतिशत काउ बेसड फार्मूला मिल्क अपनाते हैं। इसमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा पायी जाती है, जोकि मां के दूध की कमी को थोड़ा पूरा करता है। इसमें लैक्टोज और मिनरल मौजूद होते हैं। इससे शिशु के शरीर में जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं।
हाइड्रोलाइज्ड फॉर्मूला (Extensively Hydrolyzed Formula)
प्रोटीन की अच्छी मात्रा के लिए शिशु के लिए हाईड्रोलाइज्ड फॉर्मूला मिल्क भी अच्छा है। इस हाइड्रोलाइज्ड फॉर्मूले मिल्क को गाय के दूध के प्रोटीन को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करके बनाया जाता है ।जिससे शिशु को इसे पचाने में आसानी होती है। इस प्रकार का फॉर्मूला मिल्क उन शिशु के लिए ज्यादा होता है, जो कमजोर होते हैं या उन्हें किसी प्रकार की एलर्जी की समस्या होती है। जिन बच्चों को गाय और सोया मिल्क दोनों से एलर्जी होती है।
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सोया फॉर्मूला मिल्क (Soy-Based Formula)
सोया फॉर्मूला मिल्क प्रोटीन से तैयार किया जाता है। यह उन शिशु के लिए है,जिन्हें लैक्टोस से एलर्जी होती है। इसमें विटामिन और कई जरूरी पोषक तत्वों का भंडार होता है। हालांकि, सोया-आधारित फार्मूला केवल कुछ स्थितियों में उपयोग किया जाना चाहिए। इसे आसानी से पचाया जा सकता है। तो ऐसे बच्चों को डॉक्टर भी लैक्टोज फ्री फॉर्मूला मिल्क देने की सलाह देते हैं।
हाइपोएलर्जेनिक फॉर्मूला (Hypoallergenic formulas)
कुछ ऐसे भी बच्चे होते हैं, जिन्हें दूध के प्रोटीन से एलर्जी होती है। इसलिए कई बार उनमें सांस की प्रॉब्ल्म और रैरेज आदि की समस्या देखी गई है। यहफॉर्मूला मिल्क, दूसरे फॉर्मूला मिल्क की तुलना में महंगे बैठते हैं।
स्पेशलाइज्ड फॉर्मूला मिल्क (Specialized Formulas)
कुछ ऐसे भी बच्चे होते हैं, जो अपने समय से पहले पैदा हो जाते हैं। जिन्हें हम प्रीमैच्योर बेबी भी कहते हैं। यह स्पेशलाइज्ड मिल्क उनके लिए होता है। खासतौर पर उन बच्चों के लिए जिन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। इसमें एनर्जी, एनर्जी, कार्बोहाइड्रेट, फैट से समृद्ध होते हैं।
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बेबी के लिए फॉर्मूला मिल्क के फायदे ( Benefits of formula milk for babies)
फॉर्मूला मिल्क के अपने कई हेल्थ बेनेफिट्स भी हैं। आजकल कई माओं में ठीक से दूध नहीं बनता है, जिसके कारण वे शिशु को ब्रेस्टफीडिंग नहीं करा पाती हैं। तो ऐसे में यह मां का दूध न मिलने पर, यह सबसे अच्छा विकल्प है।
- काउ फॉमूर्ला मिल्क में मस्तिष्क और शारीरिक विकास के लिए आवश्यक फैटी एसिड पाया जाता है।
- वर्किंग विमन के लिए फॉर्मूला मिल्क सबसे बेहतर विकल्प साबित होता है।
- ट्रैवलिंग के दौरान भी फॉर्मूला मिल्क सबसे बेस्ट माना जाता है। आप इसे गर्म बॉयल पानी में कहीं भी बना सकते हैं। ।
- कुछ बच्चो को मां के दूध से एलर्जी होती है, तो ऐसे में उनमें लैक्टोजन इन्टॉलरेंस की समस्या आ जाती है ।
- इसमें कई प्रकार के और भी मिटामिन ओर जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं।
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फॉर्मूला मिल्क के नुकसान
- फॉर्मूला मिल्क बनाने से पहले अपने हाथों को अच्छे से धो लें और हाईजीन का पूरा ध्यान रखें। ताकि शिशु को किसी तरह का इंफेक्शन न हो।
- अब फॉर्मूला मिल्क को शिशु के लिए बनाने के लिए दिए गए स्टेप्स का इस्तेमाल करें। इसी के साथ ही यह चैक कर लें कि उसकी एक्सपायरी डेट क्या है।
- इसी के साथ ही यह भी कोशिश करें कि पैकेज खोलने के एक महीने के अंदर ही पाउडर का उपयोग करें। उसे ज्यादा लंबा समय न चलाएं।
- आपके शिशु को ओवर डोज न हो, नहीं तो पाचन में भी समस्या आ सकताी है। इसलिए जितनी मात्रा बताया गया हो, उतनी मात्रा में फॉर्मूला मिल्क बनाएं।
- पाउडर को निकालने के लिए आप सिर्फ दिए गए स्कूप का ही उपयोग करें। दूसरे ब्रांड के पाउडर के स्कूप का उपयोग न करें, क्योंकि वह बड़ा या छोटा हो सकता है, इससे मैजर बिगड़ सकता है।
- मैजर के साथ उसे बनाने का सही तरीका भी बहुत जरूरी है। अब आप बेबी की फीड बोतल में फॉर्मूला डालें और बंद कर के तब तक मिक्स करें जब तक कि वो अच्छे से मिल न जाए।
- शिशु को अधिक देर तक रखा हुआ फॉर्मूला मिल्क न पिलाएं। एक बार में शिशु को जितनी जरूरत हो उतना ही फॉर्मूला मिलाएं। अधिक देर तक बनाकर रखने देने से बॉटल में बैक्टीरिया हो सकते हैं और बच्चे को इंफेक्शन भी हो सकता है।
- फाॅर्मूला मिल्क का इस्तेमाल हमेशा बच्चे की उम्र के अनुसार ही करें। ज्यादा देना, शिशु के पेट को गड़बड़ा सकता है।
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ब्रेस्टफीडिंग बनाम फॉर्मूला मिल्क
वैसे तो मां के दूध के मुकाबले फॉर्मला मिल्क की तुलना करना उचित नहीं रहेगा। लेकिन कई स्थितियों में इसे दिया जा सकता है। फॉर्मूला मिल्क के अपने कई साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। जरूरी नहीं है कि यह सभी बच्चों को भाए। कुछ में इसके अलग-अलग साइफ इफेक्ट भी हो सकते हैं। इसके अलावा दोनों के अपने-अपने अलग गुण भी हैं।
- जिन बच्चों को मां के दूध की आदत होती है, उन्हें अचानक से फॉर्मूला मिल्क दिया जाए, तो उन्हें इसका स्वाद पसंद नहीं आता है। जिसकी वजह से वो पर्याप्त डायट नहीं लेते हैं। कई बार इसका प्रभाव उनकी हेल्थ पर भी पड़ता है।
- मां के दूध में जो एंटीबॉडी होते हैं, जो पाउडर मिल्क में नहीं होते हैं। एंटीबॉडी शिशु के शरीर को बीमारियों से रक्षा के लिए काम करती है। हम यह भी कह सकते हैं कि फॉर्मूला मिल्क टाइम टेकिंग है।
- अगर कीमत की बात करें, तो कुछ फॉर्मूला मिल्क महंगे होते हैं। और अपके बेबी के लिए कौन सा बेस्ट है, यह उसकी जरूरत और उम्र पर निर्भर करता है।
- जो शिशु फॉर्मूला दूध का सेवन करते हैं, उन्हें कब्ज या गैस आदि की समस्या हो सकती है। लेकिन मां के दूध से बच्चों को यह समस्या कम होती है।
- ब्रेस्ट मिल्क की तुलना में शिशुओं को बॉटल मिल्क में में बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है।
- ब्रेस्ट मिल्क की तुलना में शिशुओं को बॉटल मिल्क में में बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है।
एक बार में शिशु को जितनी जरूरत हो उतना ही फॉर्मूला बनाए। एक बार में ज्यादा बनाकर रख देने से बोतल में बैक्टीरिया (कीटाणु) पनप सकते हैं, जिसके सेवन से बच्चा बीमार हो सकता है। कभी भी बचा हुआ फॉर्मूला मिल्क बच्चे को न दें। जब भी इसे बनाएं इसके पैकेट में दिए गए निर्देशों का पालन करें और उसी अनुसार बनाएं।
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