हम लोग जो कुछ भी खाते हैं, उसका असर हमारे शरीर पर पड़ता है। घर पर बना पौष्टिक आहार बच्चों के शरीर के लिए जरूरी न्यूट्रीएंट्स प्रदान करता है। अगर कोई भी बच्चा या व्यक्ति बैलेंस्ड डायट (Balanced diet) लेता है, तो शरीर को अलग से पोषण लेने की जरूरत नहीं पड़ती है। अगर बैलेंस्ड डायट नहीं ली जाती है, तो शरीर में पोषण की कमी होने लगती है। पोषण की कमी के कारण शरीर में कमजोरी के साथ ही बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको आम पोषक तत्वों की कमी (Nutritional deficiencies) के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। साथ ही ये भी जानिए कि इन पोषक तत्वों की कमी (Nutritional deficiencies) को पूरा करने के लिए डायट में क्या शामिल करना चाहिए। जानिए पोषक तत्वों के बारे में।
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पोषक तत्व (Nutrients) से क्या मतलब है?
न्यूट्रिएंट्स कम्पाउंड होते हैं, जो खाने में पाए जाते हैं और शरीर के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं। न्यूट्रीएंट्स शरीर में रिपेयर, ग्रोथ, केमिकल प्रोसेस को रेग्युलेट करना, शारीरिक क्रियाओं को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। अगर शरीर में इनकी कमी हो जाए, तो शरीर की कई क्रियाएं बाधित हो सकती हैं। शरीर में छह मुख्य न्यूट्रिएंट्स जैसे कि कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates), लिपिड या फैट (Lipids), प्रोटीन (Proteins), विटामिन (Vitamins), मिनिरल्स (Minerals) और वॉटर आदि होते हैं। वैसे तो शरीर के लिए बहुत से न्यूट्रिएंट्स की जरूरत होती है। इन्हें मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (Macronutrients) और माइक्रोन्यूट्रीएंट्स (Micronutrients) में डिवाइड किया गया है। जानिए कॉमन न्यूट्रिएंट्स और पोषक तत्वों की कमी के कारण होने वाली समस्याओं के बारे में
बच्चों में इन पोषक तत्वों (Nutrient Deficiencies ) की हो सकती है कमी
बच्चों को कुछ पोषक तत्वों की कमी का सामना अक्सर करना पड़ता है। बच्चों में आयरन की कमी, आयोडीन की कमी, विटामिन डी की कमी, विटामिन B12 की कमी, कैल्शियम की कमी, विटामिन ए की कमी, मैग्नीशियम की कमी का सामना करना पड़ सकता है। जानिए बच्चों में आम पोषत तत्वों की कमी के बारे में।
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कैल्शियम की कमी (Calcium deficiency)
बॉडी के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी पोषक तत्व है। बोंस हेल्थ को मेंटेन करने के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी होता है। मांसपेशियों का निर्माण और उनकी मरम्मत में कैल्शियम महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सेल्स कैल्शियम का किसी न किसी तरह से इस्तेमाल करती हैं। रोजाना की डायट से बच्चे कैल्शियम की प्रचुर मात्रा प्राप्त कर सकते हैं। कैल्शियम दूध, दही पनीर आदि में पाया जाता है। कैल्शियम की कमी होने पर कैल्शियम सप्लिमेंट लेने की सलाह डॉक्टर देते हैं। बोंस और टीथ में कैल्शियम की सबसे ज्यादा मात्रा पाई जाती है। शरीर में कैल्शियम की कमी होने पर शरीर बोंस से कैल्शियम लेने लगता है, इस कारण से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis), बच्चों में सॉफ्ट बोंस यानी रीकेट्स (Rickets) की समस्या हो सकती है।
कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए डायट में शामिल करें इन्हें :
फिश (Boned fish) – सार्डिन (92 ग्राम) में 44% डीवी (Daily Value) कैल्शियम पाया जाता है।
डेयरी प्रोडक्ट – एक कप दूध (240 एमएल) में 35% डीवी कैल्शियम होता है। आप डायट में दही पनीर, चीज आदि भी शामिल कर सकते हैं।
ग्रीन वेजीटेबल्स – खाने में ग्रीन लीव्स वेजीटेबल्स जैसे कि पालक, ब्रोकली आदि शामिल कर सकते हैं। आप बच्चों की डायट में दिए गए आहार को शामिल कर कैल्शियम की कमी को दूर कर सकते हैं।
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विटामिन ए की कमी (Vitamin A deficiency)
विटामिन ए वसा में घुलनशील विटामिन है। ये हेल्दी स्किन, दांत, हड्डियों और सेल मेंबरेन को बनाने में मदद करता है। इसके अलावा, विटामिन ए आंखों के पिगमेंट का प्रोडक्शन भी करता है, जो विजन के लिए जरूरी होती है। विटामिन ए दो प्रकार के होते हैं। पहला प्रिफॉर्म्ड विटामिन ए (Preformed vitamin A), जो कि एनिमल प्रोडक्ट जैसे कि मीट, फिश या डेयरी प्रोडक्ट में पाया जाता है। प्रो-विटामिन ए प्लांट बेस्ड वेजीटेबल्स और फ्रूट्स में पाया जाता है। डेवलपिंग कंट्रीज में विटामिन ए की कमी बहुत कॉमन है। करीब 40 से 50% प्रीस्कूलर्स एज चिल्ड्रन में विटामिन ए की कमी होती है। विटामिन ए की कमी से आंखों संबंधित समस्या या अंधेपन की समस्या भी हो सकती है। विटामिन ए की कमी को पूरा करने के लिए खाने में ऑर्गन मीट, स्वीट पटैटो, कैरेट, डार्क ग्रीन और लीफी वेजीटेबल्स (Dark green, leafy vegetables) आदि को शामिल करना चाहिए।
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मैग्नीशिय की कमी ((Magnesium deficiency))
मैग्नीशियम बोंस, दांतों की संरचना के लिए जरूरी होता है। मैग्नीशियम शरीर में 300 से ज्यादा एंजाइम रिएक्शन में भाग लेता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि शरीर के लिए मैग्नीशियम कितना जरूरी होता है। मैग्नीशियम का कम सेवन करने से ऑस्टियोपोरोसिस, टाइप 2 डायबिटीज, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, हार्ट संबंधित समस्याएं आदि का सामना करना पड़ सकता है। मैग्नीशियम की कमी से हार्ट रिदम एब्नॉर्मल हो जाती है और साथ ही थकान का भी अधिक एहसास होता है। मैग्नीशियम की कमी को दूर करने के लिए खाने में व्होल ग्रेन, हरी पत्तियों वाली सब्जियां, डार्क चॉकलेट, आलमंड्स आदि का सेवन करना चाहिए।
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शरीर में आयरन की कमी (Iron deficiency)
आयरन की कमी के कारण बच्चों में सुस्ती और चिड़चिड़ेपन की समस्या हो सकती है। बच्चों के शरीर के डेवलपमेंट के लिए आयरन बहुत जरूरी होता है। आयरन हीमोग्लोबिन की मात्रा को मेंटेन रखता है और सभी अंगों में ऑक्सिजन ले जाने का काम करता है। बच्चों में आयरन की कमी के कारण एनीमिया (Anemia) की समस्या हो सकती है। चार से आठ साल के बच्चों को एक दिन में 10 मिलीग्राम आयरन की जरूरत होती है। आयरन की कमी को पूरा करने के लिए खाने में पोर्क, मछली, रेड मीट, बीन्स और दाल, पालक, तिल के बीज, मेवे, टोफू, साबुत अनाज आदि शामिल करना चाहिए। आयरन के अवशोषण के लिए विटामिन सी युक्त आहार लेना भी जरूरी है। खाने में खट्टे फल जैसे कि संतरे का जूस, मुसम्मी, स्ट्रॉबेरीज आदि को शामिल करना चाहिए।
आयोडीन की कमी ( Iodine deficiency)
आयोडीन शरीर के लिए बेहद जरूरी पोषक तत्व है। एक दिन में 150 एमसीजी आयोडीन खाने की सलाह दी जाती है। अगर आयोडीन की कमी हो जाए, तो थायरॉइड ग्लैंड में सूजन या हाइपोथायरायडिज्म की समस्या हो सकती है। आयोडीन की कमी से वीक मसल्स, थकान, वजन बढ़ने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। आयोडीन की कमी को रेग्युलर डायट से पूरा किया जा सकता है। खाने में आयोडाइज्ड साल्ट का इस्तेमाल आयोडीन की कमी को पूरा कर सकता है। साथ ही खाने में झींगा का सेवन, अंडे का सेवन, आलूबुखारा, कॉड फिश, डेयरी प्रोडक्ट आदि का सेवन किया जा सकता है। आयोडीन का सेवन अधिक करने से शरीर को समस्या भी हो सकती है। बेहतर होगा कि आप बच्चे को रोजाना दी जाने वाली डायट के माध्यम से ही आयोडीन की कमी को पूरा करें।
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शरीर में विटामिन डी की कमी (Vitamin D deficiency)
विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए आपको सुबह की धूप में बैठना चाहिए। विटामिन डी का प्रमुख स्त्रोत सूर्य की किरणों को माना जाता है। सूरज कि किरणें जब हमारे शरीर पर पड़ती हैं, तो शरीर पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी बना लेता है। एक दिन में व्यक्ति को 10 से 20 माइक्रोग्राम विटामिन डी आवश्यकता होती है। विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियों को नुकसान होता है और मसल्स में दर्द की समस्या भी रहती है। डायट के माध्यम से भी विटामिन डी (Vitamin D) मिल सकता है। मछली और अंडे, अंकुरित अनाज, डेयरी प्रोडक्ट में विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है।
विटामिन B12 की कमी (Vitamin B12 deficiency)
विटामिन बी 12 बॉडी में लाल रक्त कोशिकाओं के प्रोडक्शन में अहम भूमिका निभाती हैं। नर्वस सिस्टम की कार्य प्रणाली को बेहतर बनाने में भी विटामिन B12 की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विटामिन बी 12 की कमी के कारण हाथ- पैर में झुनझुनी की समस्या, ऑक्सीजन की मात्रा में कमी के साथ ही जल्दी थक जाने की समस्या भी हो सकती है। चार से आठ साल के बच्चे को एक दिन में 1.2 माइक्रोग्राम विटामिन B12 की जरूरत होती है। विटामिन बी 12 की कमी को पूरा करने के लिए खाने में चिकन, दूध, टूना फिश, अंडा आदि शामिल करना चाहिए। आप इस बारे में डॉक्टर से भी अधिक जानकारी ले सकते हैं।
बच्चे मे पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए आपको उसे पौष्टिक आहार देने की जरूरत है। अगर बच्चे में किसी तरह की समस्या नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
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