हिप का डेवलपमेंटल डिस्प्लेसिया एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें शिशु के कूल्हे की हड्डी अपनी जगह से हिल जाती है। इसे कई बार कंजेनिटल डिस्प्लेसिया या हिप का डिस्लोकेशन (Hip dysplasia) भी कहा जाता है। यह एक क्रोनिक रोग होता है जो व्यक्ति को बचपन में प्रभावित करता है। बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया (Hip dysplasia in babies) होना गंभीर स्थिति होती है जिसका सही समय पर इलाज न करवाया जाए तो यह विकलांगता का कारण बन सकती है।
बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया (Hip dysplasia in babies) 1000 में हर 10 को प्रभावित कर सकता है। यह आमतौर पर कूल्हों के जोड़ की हड्डी के अलग होने या ढीलेपन से जुड़ा होता है। बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया एक या दोनों कूल्हों को प्रभावित कर सकता है। कूल्हे एक बॉल और सॉकेट कॉम्पोनेन्ट का जोड़ होते हैं। नजवात शिशु के कूल्हे का ज्यादातर जोड़ मुलायम होता है जिसके कारण उसमें ढीलापन आने की आशंका रहती है। बच्चे के एक साल का होने पर मुलायम कार्टिलेज की जगह हड्डी (Bone) आ जाती है।
कूल्हों के सामान्य विकास में बॉल कॉम्पोनेन्ट सॉकेट कॉम्पोनेन्ट से पहले बढ़ता है। कई विभिन्न प्रकार के कारक हिप जॉइंट के विकास को प्रभावित कर सकते हैं। बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया में सॉकेट कॉम्पोनेन्ट (ऐसीटैबुलम) के अविकसित रहने के कारण बॉल कॉम्पोनेन्ट सॉकेट के साथ स्थिर नहीं रह पाता है। इस स्थिति में कूल्हों में डिस्लोकेशन होने की आशंका अधिक हो जाती है। इसके कारण कूल्हों में सही तरीके से खून नहीं पहुंच पाता है और उसके चलने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।
इस आर्टिकल में आगे पढ़ें कि बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया (Hip dysplasia in babies) क्यों होता है और इसे कैसे रोका जा सकता है।
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बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया क्यों होता है? (Cause of Hip dysplasia in babies)
यदि किसी भी कारणवश शिशु अपने कूल्हे नहीं हिला पाता है तो इसकी वजह से उसमें हिप डिस्प्लेसिया होने का खतरा बढ़ जाता है। बड़े बच्चे, एमनियॉटिक फ्लूइड (Amniotic fluid) में कमी या पहली बार गर्भावस्था होने में शिशु को पेट के अंदर हिलने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती है। इन सभी कारणों की वजह से बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया होने की आशंका बढ़ जाती है।
प्रसव के दौरान उल्टा बच्चा (Breech baby) होना और जन्म के बाद बच्चे को टाइट कपड़े में लपेटने से बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया होने का जोखिम बढ़ जाता है।
बच्चों के करीबी रिश्तेदारों में हिप डिस्प्लेसिया (Hip dysplasia) होने से उनके प्रभावित होने की आशंका बढ़ जाती है। महिलाओं में हिप डिस्प्लेसिया (Hip dysplasia in women) पुरुषों के मुकाबले चार गुना अधिक सामान्य होता है। यह मां द्वारा उत्पादित किए गए हार्मोन के कारण हो सकता है, जिसकी वजह से जन्म के समय लिगामेंट बेहद मुलायम होता है। लड़कियां लड़को के मुकाबले इन हार्मोन के अधिक संवेदनशील होती हैं।
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बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया (Hip dysplasia) को कैसे पहचाने?
बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया (Hip dysplasia in babies) होने पर माता-पिता को निम्न संकेत दिखाई दे सकते हैं :
- बच्चे के कूल्हे से पॉपिंग या क्लिक जैसी आवाज सुनाई देना।
- बच्चे के पैरों की लंबाई में असमानता।
- एक कूल्हा या पैर दूसरे पक्ष के समान नहीं चल पाते हैं।
- त्वचा नितंबों के नीचे या जांघों पर रहती है।
- बच्चा लंगड़ा कर चलना शुरू करता है।
यदि आपको अपने बच्चे में इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यदि बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया (Hip dysplasia in babies) का सही समय पर इलाज करवा लिया जाता है तो उन्हें विकलांगता से बचाया जा सकता है।
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हिप डिस्प्लेसिया के उपचार (Treatment for Hip dysplasia)
स्वैडलिंग (Swadling)
माता-पिता को लगता है कि स्वैडलिंग से बच्चे को आराम और अच्छी नींद प्राप्त होती है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में यह बात सच भी है लेकिन यदि स्वैडलिंग को टाइट किया जाए तो वह बच्चे के लिए खतरनाक भी हो सकती है। स्वैडलिंग एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें शिशु को कपड़े के अंदर लपेटा जाता है लेकिन स्वैडलिंग बेहद सावधानी के साथ की जानी चाहिए नहीं तो यह बच्चों के हिप जॉइंट को प्रभावित कर सकती है।
बच्चे को कपड़े में लपेटने के कई तरिके होते हैं। बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया के खतरे को कम करने व कूल्हों के बेहतर विकास के लिए स्वैडलिंग (Swadling) के बाद शिशु के पास पैरों को मोड़ने व कूल्हों को हिलाने के लिए थोड़ी जगह होनी चाहिए। पैरों को एक दूसरे के ऊपर व कपड़े के अंदर कस कर न बांधे। गलत तरह से की गई स्वैडलिंग से बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया (Hip dysplasia in babies) का जोखिम बढ़ जाता है।
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ब्रेसेस (Braces)
बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया के इलाज के लिए कई प्रकार के उपकरण उपलब्ध हैं। सभी प्रकार के ब्रेसेस कूल्हे को उसकी बेस्ट पोजीशन में बनाए रखने में मदद करते हैं ताकि उसका सही विकास हो सके। इस प्रकार के उपकरणों को हिप ऐब्डक्शन ऑर्थोसिस (Hip abduction orthosis) कहा जाता है। शिशु को ब्रेसेस पहनाने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखें :
- डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी प्रकार के उपकरण का इस्तेमाल न करें। साथ ही डॉक्टर से पूछें कि शिशु को ब्रेस कब पहनना और उतारना है।
- ब्रेस के साथ डायपर कैसे बदलने हैं और उसे कैसे पहनाया व उतारा जाता है, इस बात की संपूर्ण जानकारी हासिल करे बिना क्लीनिक से बाहर न आएं।
- ब्रेसेस के साथ शिशु को गतिविधि करने की अनुमति होती है। बड़ी उम्र के बच्चे ब्रेसेस (Braces) के साथ चलना और खड़े होना सीख पाते हैं।
- यदि आपके शिशु को ब्रेसेस में दर्द (Pain) हो रहा है तो इसका मतलब है की वह सही तरीके से पहनाया नहीं गया है।
- ब्रेसेस के अलावा सोते समय शिशु के पैरों को सहारा देने के लिए तकिये का इस्तेमाल करें।
किसी भी प्रकार के सवाल या समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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पावलिक हार्नेस (Pavlik harness)
पावलिक हार्नेस बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया के इलाज के लिए बनाया गया एक खासतौर का उपकरण है। यह पावलिक हार्नेस शिशु के कूल्हों को सही पोजीशन में रखता है ताकि उसके जोड़ का विकास सही तरिके से हो पाए। इससे कूल्हे का जोड़ अन्य प्रकार की क्षति से भी बचता है। पावलिक हार्नेस (Pavlik harness) में एक कूल्हे को सेट करना नामुमकिन होता है इसलिए इस उपकरण में शिशु की दोनों टांगों को डाला जाता है।
दोनों कूल्हों के सही ढंग से फिट होने पर इसका ज्यादा प्रभाव देखा जा सकता है। हालांकि, दोनों कूल्हों को हार्नेस में डालने का यह मतलब नहीं है कि आपके शिशु के दोनों हिप्स प्रभावित हैं। यह केवल सामंजस्य और स्थिरता बनाए रखने के लिए किया जाता है। इससे कूल्हे का जोड़ एक लाइन में रहता है और उसका विकास सामान्य शिशु के कूल्हों की तरह हो पाता है। पावलिक हार्नेस (Pavlik harness) के फायदों और आवश्यकता के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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