उम्र- नवजात और 2 साल तक की उम्र के बच्चों में बड़े बच्चों की तुलना में वेसिकोरेट्रल रिफ्लक्स का रिस्क अधिक होता है।
पारिवारिक इतिहास- यदि वेसिकोरेट्रल रिफ्लक्स की समस्या परिवार में पहले भी किसो को रही है या बच्चे के माता-पिता इससे पीड़ित रहे हैं तो बच्चे में इसका खतरा बहुत अधिक होता है।
निदान
वेसिकोरेट्रल रिफ्लक्स का निदान कैसे किया जाता है? (Vesicoureteral Reflux diagnosis)
पेशाब की जांच से यह पता चल जाता है कि बच्चे को यरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन है या नहीं। वेसिकोरेट्रल रिफ्लक्स के निदान के लिए किए जाने वाले दूसरे टेस्ट में शामिल हैः
किडनी और ब्लैडर का अल्ट्रासाउंड- इस तकनीक में हाई फ्रिक्वेंसी वाली ध्वनी तरंगों से किडनी और ब्लैडर की इमेज उभारी जाती है। अल्ट्रासाउंड से किसी तरह की सरंचनात्मक असमान्यता का पता लगाया जाता है। बच्चे की किडनी में सूजन का पता भी इससे चलता है, जो वेसिकोरेट्रल रिफ्लक्स का प्रारंभिक संकेत है।
यूरिनरी ट्रैक्ट सिस्टम का स्पेशलाइज्ड एक्स-रे- ब्लैडर फुल होने और खाली होने के बाद दोनों स्थितियों में ब्लैडर का एक्स-रे निकालकर असमान्यताओं का पता लगाया जाता है। बच्चे को टेबल पर पीठ के बल लिटाकर एक लचीली ट्यूब को उसकी मूत्रवाहिनी से ब्लैडर में डाला जाता है।
न्यूक्लियर स्कैन- इस टेस्ट में ट्रेसर जिसे रेडियोआइसोटोप कहा जाता है, का इस्तेमाल होता है। स्कैनर ट्रेसर का पता लगाकर बताता है कि यूरिनरी ट्रैक्ट सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं।
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उपचार
वेसिकोरेट्रल रिफ्लक्स का उपचार कैसे किया जाता है? (Vesicoureteral Reflux treatment)
वेसिकोरेट्रल रिफ्लक्स के निदान के बाद डॉक्टर आपको नंबर स्कोर देता है जो 1 से 3 और 1 से 5 तक होता है। ये नंबर जितना अधिक होता है वेसिकोरेट्रल रिफ्लक्स उतना ही गंभीर होता है। वेसिकोरेट्रल रिफ्लक्स का उपचार इन नंबरों और बच्चे के संपूर्ण स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। यदि नंबर स्कोर कम है तो इसका मतलब है कि बिना उपचार के ही वेसिकोरेट्रल रिफ्लक्स कुछ दिनों में ठीक हो जाएगा। इसलिए वेसिकोरेट्रल रिफ्लक्स मामलों में डॉक्टर इंतजार करके केस की निगरानी करते हैं।
उपचार के तरीकों में शामिल हैः
डिफ्लक्स- जेल की तरह दिखने वाला यह लिक्विड ब्लैडर में इंजेक्ट किया जाता है, जहां मूत्रवाहिनी का मार्ग खुलता है। इंजेक्शन के एक उभार बनता है जिसकी वजह से मूत्र वापस किडनी तक नहीं जा पाती।