अक्सर पेरेंट्स कहते हैं कि मेरे बच्चा कमजाेर है, पर क्या कभी आपने इसका कारण सोचा है? जी हां, इसका एक कारण बच्चाें में ईटिंग डिसऑर्डर (Eating Disorders in Children) भी हो सकता है, जो उनकी हेल्थ पर भारी पड़ सकता है। कई बच्चे ईटिंग डिसऑर्डर के शिकार होते हैं, यह भोजन संबंधी विकार है, जो कि एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है।किसी भी उम्र के बच्चे इस विकार की चपेट में आ सकते हैं। लेकिन यह समस्या टीएनज बच्चों में विकसित होने का खतरा ज्यादा रहता है। लेकिन यह बच्चे के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है। सभी उम्र के बच्चे के अच्छे विकास के लिए उनकी अच्छी डायट और उनके डायट में सभी पोषक तत्वाें का शामिल होना आवश्यक है। जानिए यहां बच्चों में ईटिंग डिसऑर्डर (Eating Disorders in Children) का कारण और उपचार।
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बच्चों में ईटिंग डिसऑर्डर क्या है? (Eating Disorder in children)
बच्चों में ईटिंग डिसऑर्डर क्या है, यह जानने के लिए आपको यह भी जानना होगा कि बच्चे के शरीर में सभी पोषक तत्व की क्या भूमिका है। अगर बच्चे को सभी आवश्यक पोषक तत्व और सही मात्रा में नहीं मिल रहा है, तो इससे उसके हेल्थ पर प्रभाव पड़ने लगेगा। बच्चा अपने बढ़ती उम्र के साथ कई शारीरिक परेशानियों की चपेट में आ सकता है। बच्चे का ठीक से डायट न लेने का प्रभाव उनकी हाइट से समझौता करने जैसा हो सकता है, क्योंकि बच्चों के अच्छी हाइट, उनके शरीर में मिलने वाले पोषक तत्वों पर निर्भर करता है। इसलिए पेरेंट्स को शुरूआत से ही बच्चे की डायट और उनकी इस आदत पर ध्यान देना आवश्यक है। बच्चों में ईटिंग डिसऑर्डर होने पर वो खाना खाने में आना-कानी करने लगता है। खाने से भागता है।
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बच्चों में ईटिंग डिसऑर्डर का लक्षण (Eating Disorders Symptoms in Children)
बच्चों में ईटिंग डिसऑर्डर (Eating Disorder in children) की वजह से उन्हें बहुत तरह की शरीरिक परेशानियां हो सकती हैं, जो उनकी हेल्थ के लिए सही नहीं है। इससे उनके विकास पर भी बुरा असर पड़ता है और फिजिकल ग्रोथ भी रूक जाती हे। बच्चों में ईटिंग डिसऑर्डर होना एक गंभीर चिंता का विषय है। जिस पर समय रहते पेरेंट्स काे ध्यान देना बहुत आवश्यक है। पिछले कुछ वर्षो में, खासतौर पर कोविड की इस महामारी के दौरान बच्चों में इटिंग डिसऑर्डर के मामले काफी बढ़ गए हैं। टीनएजर्स के अलावा, खाने की आदत में कम उम्र के बच्चे भी ईटिंग डिसऑर्डर (Eating Disorder) का शिकार हो सकते हैं और छोटे बच्चों में यह डिसऑर्डर तेजी से बढ़ता जा रहा है। यह बात साफ नहीं है कि छोटे बच्चों को ईटिंग डिसऑर्डर (Eating Disorder) क्यों हो रहा है, यह भी जानना है जरूरी है।
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बच्चों में ईटिंग डिसऑर्डर कितने तरह का होता है (Type of Eating disorder in children)
बच्चों में ईटिंग डिसऑर्डर तीन प्रकार के हो सकते हैं, जो कि बच्चों में अलग-अलग रूप में दिखायी देते हैं, जानिए इसके बारे में:
बिंज ईटिंग (Binge eating) : यह बच्चे में होने वाली ईटिंग डिसऑर्डर की एक ऐसी स्थिति है, जिसमें एक बच्चा खाना खाता तो है, लेकिन उसे ठीक से चबाता नहीं है। ऐसे वो खाना केवल नाम के लिए खाता है। इस स्थिति में उसका पेट तो भर जाता है, लेकिन उसे खाने का पोषण नहीं मिलता है।
एनोरेक्सिया (Anorexia ): यह बच्चों में होने वाल इटिंग डिसऑर्डर का एक मुख्य प्रकार है। इस ऐसी स्थिति में बच्चा ओबसिटी के कारण से पर्याप्त कैलोरी खाने से मना करता है।
बुलिमिया (Bulimia ) : एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बच्चा बहुत कम खाना खाता है । जिस कारण उसे जरूरी पोषण मिल नहीं पाते हैं।
जैसा कि हमनें ऊपर भी बात किया था कि बच्चों में ईटिंग डिसऑर्डर का सबसे ज्यादा लक्षण टीन्स पर नजर आते हैं। हालांकि, यह परेशानी छोटी उम्र के बच्चों को भी हो सकती है। बच्चाें में भी लड़कियां इस डिसऑर्डर की ज्यादा शिकार होती है। एनोरेक्सिया से पीड़ित बच्चों में केवल 5% से 20% ही लड़के होते हैं। बिंज ईटिंग वालों की संख्या लड़कों में 35% तक देखी गई है।
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ईटिंग डिसऑर्डर के कारण (Eating Disorder Causes)
अधिकतर मामलों में बच्चों में होने वाले ईटिंग डिसऑर्डर के सही कारणों के बारे में पता नहीं चल पाया है। टीएनजर्स में ईटिंग डिसऑर्डर का कारण, उनकी मेंटल हेल्थ और लुक को लेकर चिंता देखी गई है। मानसिक कारणों में शामिल हैं, परफेक्ट दिखने की चाहत और अपनी बॉडी इमेज को लेकर परेशान रहना। बच्चों में एंग्जायटी और डिप्रेशन की वजह भी यह हो सकती है। लुक्स को लेकर आजकल बच्चों में हीनभावना ज्यादा बढ़ती जा रही है। इसलिए बच्चों में ईटिंग डिऑर्डर का सबसे बड़ा कारण बच्चों में लुक कॉन्शियस देखा गया है। इसके अलावा बच्चों में ईटिंग डिसऑर्डर के और भी कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि कोई अंनरूनी बीमारी, स्वाद को लेकर दिक्कत या खाना खाने की इच्छा न होना आदि।
बच्चों को ईटिंग डिसऑर्डर से कैसे बचाएं (Eating Disorder Treatment)
पेरेंट्स और बच्चों के बीच बातचीत से भी इस विकार को पैदा होने से रोका जा सकता है। बच्चों को ईटिंग डिसऑर्डर से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में समझाएं। उन्हें बताएं कि इसका असर उनके विकास और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ेगा। बच्चों को अपने विचारों और भावनाओं को अपने साथ शेयर करने के लिए कहें। बॉडी इमेज और रंग को लेकर होने वाली नेगेटिव बातों से दूर रहने की आदत डालें। अगर कोई व्यक्ति उन्हें गलत बोलता है, तो बच्चे को इस तरह की स्थिति से निपटना सिखाएं। बच्चों को भोजन और पोषण के महत्व के बारे में बताएं ताकि वो खाने से जी न चुराए।
क्या है इलाज (Eating Disorder Treatment)
कई मामलों में ईटिंग डिसऑर्डर से ग्रस्त 120 बच्चों में से एक तिहाई बच्चों में 8 महीने की ट्रीटमेंट के बाद सुधार देखा गया। इसमें कुछ बच्चों को साइकोथेरेपी तो वहीं दो तिहाई बच्चों को साइकोएक्टिव दवाएं दी गई थीं। इससे पता चलता है कि ईटिंग डिसऑर्डर का संबंध मानसिक स्वास्थ्य से ज्यादा है। साइकोथेरेपी जैसे कि कॉग्नीटिव बिहेवरियल थेरेपी या फैमिली थेरेपी बच्चों को इस विकार से निकलने में मदद कर सकती है। इसमें बच्चे अपने परिवार के सदस्यों से खुलकर अपने मन की बात कहते हैं। मानसिक समस्याओं जैसे कि एंग्जायटी और डिप्रेशन अक्सर ईटिंग डिसऑर्डर का कारण बनते हैं। ऐसे में एंटीडिप्रेसेंट और एंटीसाइकोटिक दवाएं दी जाती हैं।
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