हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बीमारियों के रूप में नहीं गिना जाता है। अगर उम्र अधिक हो गई है, तो मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लोग आम मानते हैं। वहीं बच्चों में मेंटल हेल्थ संबंधी कोई प्रॉब्लम हो सकती है, इस बात को लेकर पेरेंट्स अक्सर इंकार कर देते हैं या फिर मानना ही नहीं चाहते हैं। सच ये हैं कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना किसी भी उम्र में करना पड़ सकता है। मेंटल हेल्थ के लिए स्कूल स्क्रीनिंग (School screening for Mental Health) एक बेहतर उपाय है।
आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि स्कूली उम्र के बच्चों और किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी डिसऑर्डर होना आम बात है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की रिपोर्ट के मुताबिक 3 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों में, लगभग 3.2% में डायग्नोजेबल डिप्रेशन है, जबकि 7.1% में एंग्जायटी की समस्या है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको मेंटल हेल्थ के लिए स्कूल स्क्रीनिंग (School screening for Mental Health) के बारे में अधिक जानकारी देंगे और साथ ही इससे संबंधित अन्य बातों के बारे में भी विस्तार से बताएंगे।
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मेंटल हेल्थ के लिए स्कूल स्क्रीनिंग (School screening for Mental Health)
जब माता-पिता के लिए बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं कोई बीमारी नहीं है, तो ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को झेल रहे बच्चों की जांच या फिर बीमारी को डायग्नोज करना वाकई कठिन काम हो सकता है। ऐसे में मेंटल हेल्थ (Mental health) के लिए स्कूल स्क्रीनिंग एक बेहतरीन कदम साबित हो सकता है। स्कूल स्क्रीनिंग के माध्यम से यह जानकारी मिल जाती है कि बच्चे कहीं मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ तो नहीं रहा है। अगर ऐसा है तो उन्हें क्या उपाय या ट्रीटमेंट देना चाहिए, इस पर विचार किया जा सकता है। आइए जानते हैं मेंटल हेल्थ स्क्रीनिंग (Mental Health screening) क्या होती है।
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मेंटल हेल्थ के लिए स्कूल स्क्रीनिंग: बच्चों के मेंटल हेल्थ स्क्रीनिंग का क्या मतलब है?
मेंटल हेल्थ के लिए स्कूल स्क्रीनिंग (Mental Health screening) एक प्रकार का इमोशनल एग्जामिनेशन है, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से संबंधित असामान्यताओं की जांच की जाती है। जिन लोगों को मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर होता है, उन्हें मेंटल हेल्थ स्क्रीनिंग की जरूरत पड़ती है। जिन लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं संबंधित लक्षण दिख रहे हो, तो मेंटल हेल्थ स्क्रीनिंग जरूरी हो जाती है। कुछ लक्षण जैसे कि
- अचानक से डर जाना या फिर किसी चीज को लेकर चिंता करना
- बहुत अधिक उदास होना
- अचानक से व्यवहार में बदलाव आना
- खाने या फिर सोने की आदतों में बदलाव
- बच्चे का अचानक से गुस्सा हो जाना या चिड़चिड़ा स्वभाव
- थकान का एहसास अधिक होना
- सोशल गैदरिंग में बच्चों का शामिल ना होना
दिए गए उपरोक्त लक्षण मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े लक्षण (Symptoms associated with mental health problems) है। अगर बच्चों में इस प्रकार के लक्षण दिखते हैं, तो ऐसे में मेंटल है ट्रेनिंग बेहतर विकल्प साबित होता है।
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स्टूडेंट्स के कॉमन मेंटल हेल्थ इश्यू कौन-से होते हैं?
मेंटल हेल्थ स्क्रीनिंग के दौरान कई मेंटल डिसऑर्डर के बारे में जानकारी मिल जाती है। ए डी एच डी सीखने में समस्या ईटिंग डिसऑर्डर या दो डिसऑर्डर
- डिप्रेशन (Depression)
- एंग्जायटी (Anxiety)
- एडीएचडी (ADHD)
- लर्निंग डिसएबिलिटी (Learning disabilities)
- ईटिंग डिसऑर्डर (Eating disorders)
- डुअल डिसऑर्डर (Dual Disorders)
मेंटल हेल्थ के लिए स्कूल स्क्रीनिंग के फायदे (Benefits of School screening for Mental Health)
मेंटल हेल्थ के लिए स्कूल स्क्रीनिंग (School screening for Mental Health) के आखिर क्या फायदे हो सकते हैं, यह आपके लिए जानना बहुत जरूरी है। बच्चों का ज्यादातर समय स्कूल में ही बीतता है। ऐसे में बच्चों का स्वभाव कब बदल रहा है या फिर बच्चे किस बात को लेकर परेशान हैं, इस बात की जानकारी कई बार पेरेंट्स को नहीं मिल पाती है। स्कूल में मेंटल हेल्थ स्क्रीनिंग (Mental Health creening) का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का जल्द ही पता चल जाता है और साथ ही उसका ट्रीटमेंट भी जल्द शुरू कर दिया जाता है। मेंटल हेल्थ स्क्रीनिंग के कारण पेरेंट्स, टीचर, या एजुकेटर को बच्चों की समस्याओं के बारे में जानकारी मिल जाती है। इस तरह से बच्चों को पढ़ाते समय, एक्टिविटीज के दौरान कई सावधानियों का ध्यान रखा जाता हैं। साथ ही वह भविष्य में होने वाले किसी भी समस्या को आसानी से सुलझाया जा सकता हैं।
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मेंटल हेल्थ के लिए स्कूल स्क्रीनिंग: आखिर क्या होता है स्क्रीनिंग में?
स्कूल में होने वाले मेंटल हेल्थ स्क्रीनिंग आम हेल्थ स्क्रीनिंग की तरह ही होती है। इस स्क्रीनिंग में जांच के लिए बाल रोग विशेषज्ञ के साथ में ही नर्स रहती हैं। इस दौरान फिजिकल एग्जामिनेशन के साथ ब्लड टेस्ट (Blood test) किया जाता है। ब्लड टेस्ट में मुख्य रूप से थायरॉइड की जांच की जाती है। बच्चों से साथ ही कुछ क्वेश्चन भी पूछे जा सकते हैं, जिससे उनके मेंटल स्टेट और इंटरेस्ट के बारे में जानकारी मिलती है। कुछ प्रश्न लिखित भी होते हैं, जो बच्चे की हैबिट या कॉमन बिहेवियर से जुड़े हुए हो सकते हैं। आप चाहे तो डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं कि बच्चों से मेंटल हेल्थ स्क्रीनिंग के दौरान कौन-से क्वेश्चन पूछे जाते हैं।
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मानसिक स्वास्थ्य विकार या मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर स्कूली बच्चों और किशोरों सहित सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। जागरूकता बढ़ाने और संपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए मेंटल हेल्थ के लिए स्कूल स्क्रीनिंग (School screening for Mental Health) बेहतर विकल्प साबित होता है।
मेंटल हेल्थ के लिए स्कूल स्क्रीनिंग (School screening for Mental Health) के बहुत से फायदे होते हैं। एक ओर जहां बच्चे की मेंटल हेल्थ के बारे में पता चलता है, वहीं दूसरी ओर जरूरत पड़ने पर ट्रीटमेंट भी आसानी से हो जाता है। जो डॉक्टर स्कूल में जांच करते हैं, वो आगे की प्रोसेस के लिए आपको बेहतर हॉस्पिटल या क्लीनिक का नाम भी बता सकते हैं। आप बच्चे की अच्छी मेंटल हेल्थ के लिए उनसे राय भी ले सकते हैं। ऐसे में स्कूल टीचर्स को भी पता चल जाता है कि बच्चे को स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में क्या मदद की जा सकती है।
इस आर्टिकल में हमने आपको मेंटल हेल्थ के लिए स्कूल स्क्रीनिंग (School screening for Mental Health) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपकोइस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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