बच्चे हैं, तो शैतानी तो करेंगे ही। पेरेंट्स को बच्चे की शैतानी कुछ पल के लिए भाती हैं लेकिन कुछ ही पलों में गुस्सा सांतवे आसमान पर पहुंच जाता है। अगर बच्चा दिनभर खेलता है और पढ़ता नहीं है या फिर बात करने का तरीका सही नहीं है, बच्चा खेलने के दौरान घर की चीजों को नुकसान पहुंचाता है, तो पेरेंट्स हाथ उठाना ही बेहतर विकल्प मानते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चों को मारपीट करके सुधारा जा सकता है या फिर उनसे मन का काम कराया जा सकता है, जो कि बिल्कुल सही नहीं है। बच्चे मारपीट से सुधरते नहीं हैं बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका सीधा असर देखने को मिलता है। मारपीट का बच्चों पर असर कभी सकारात्मक नहीं हो सकता है।
इस बारे में सायकोलॉजिस्ट अनुजा कपूर कहती हैं, ‘ मारपीट का बच्चों पर असर बहुत बुरा होता है। बच्चों की पिटाई करने से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है। अगर आप बच्चे को मारते हैं, तो उन्हें लगता है कि वो बेकार हैं या फिर उन्हें कोई प्यार नहीं करता है। कुछ बच्चों को तो ये भी लग सकता है कि घर में उनकी जरूरत नहीं है। एग्रेशन के कारण बच्चों का माइंड फ्रेम यानी दिमागी ढांचा डिस्टर्ब हो सकता है। इस कारण से बच्चे का कॉन्फिडेंस भी कम हो सकता है। अगर बच्चे के साथ ऐसा लगातार किया जाए, तो उन्हें लगता है कि शारीरिक आक्रामकता समाज में स्वीकार है। ये मेंटल इफेक्ट बच्चे के शैक्षणिक और सामाजिक विकास को बाधित करता है और उन्हें भविष्य में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।’ मारपीट का बच्चों पर असर (Spanking Children) हमेशा बुरा ही होता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको मारपीट का बच्चों पर असर (Spanking Children) कैसा होता है, इस बारे में जानकारी देंगे।
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मारपीट का बच्चों पर असर: रिचर्स में सामने आई ये बात
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (The American Academy of Pediatrics) की ओर से जारी की गई स्टडी में ये बात सामने आई है कि बच्चों को हमेशा डांटने या फिर मारने से उनमें अनुशासन नहीं आता है बल्कि बच्चों के व्यवहार पर बुरा असर पड़ता है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने नए आंकड़े जारी कर ये कहा कि जिन बच्चों को शुरुआती दौर में पिटाई का सामना करना पड़ा, वो बच्चे अधिक जिद्दी और शैतान हो गए। उन बच्चों में एग्रेसिव बिहेवियर की संभावना बढ़ गई। बाल रोग विशेषज्ञ का कहना है कि इस कारण से बच्चों में मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर (Mental health disorder) और लोअर सेल्फ स्टीम का खतरा भी बढ़ गया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब बच्चों की पिटाई की जाती है, तो उनके मन में डर बैठ जाता है और उनके बिहेवियर में सुधार करना मुश्किल हो जाता है। अगर बच्चों की रोजाना पिटाई की जाती है, तो पेरेंट्स और बच्चों के बीच व्यवहार सामान्य नहीं रह जाता है। बच्चों में एग्रेशन का मेंटल हेल्थ (Mental health) पर असर बहुत बुरा होता है, जो लंबे समय तक सुधारा नहीं जा सकता है। बच्चे माता-पिता को रोल-मॉडल के रूप में देखते हैं, लेकिन बच्चों को पीटने से उनका व्यवहार माता-पिता के प्रति नकारात्मक हो जाता है। ऐसे में बच्चे अपनी बातों को पेरेंट्स से शेयर भी नहीं करते हैं और न ही उनका किसी चीज में मन लग पाता है।
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इन कारणों से की जाती है अक्सर बच्चों की पिटाई
बच्चों की पिटाई किसी एक कारण से नहीं होती है। पेरेंट्स के पास बच्चों को मारने के कई कारण होते हैं। पेरेंट्स मारते वक्त इस बात का ख्याल नहीं रखते हैं कि मारपीट का बच्चों पर असर नकारात्मक हो सकता है। कई बार ज्यादा मारपीट से बच्चों को चोट लगने का खतरा भी रहता है। बच्चों के मन में खौफ बैठ जाता है। ऐसे में बच्चे भले ही पेरेंट्स की बात मान लें, लेकिन उनके व्यवहार में बदलाव आसानी से देखा जा सकता है।
चिंता के कारण बच्चों की पिटाई
बच्चों की परफॉर्मेंस और फ्यूचर को लेकर अक्सर पेरेंट्स चिंता में रहते हैं। जब बच्चे पेरेंट्स की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते हैं, तो ऐसे में बच्चों को मारपीट कर पेरेंट्स पढ़ाने की कोशिश करते हैं। पेरेंट्स सोसाइटी की प्रेशर भी ज्यादा फील करते हैं। न चाहते हुए भी कई बार बच्चों को माता-पिता की पिटाई का शिकार होना पड़ता है।
स्ट्रिक्ट पेरेंट्स (Strict parents)
कई पेरेंट्स के मन में ये बात रहती है कि अगर वो स्ट्रिक्ट पेरेंट्स नहीं बनेंगे, तो उनका बच्चा बिगड़ जाएगा। इस कारण से भी पेरेंट्स बच्चों की पिटाई करते हैं, ताकि बच्चों के मन में माता-पिता डर बना रहे। जबकि ये बिल्कुल गलत धारणा है।
डिस्प्लिन के साथ पेन है जरूरी
कुछ पेरेंट्स ये भी मानते हैं कि बच्चों को डिस्प्लिन सिखाने में अगर पिटाई करना पड़े, तो ये उनके लिए अच्छी बात है। बच्चों को डिस्प्लिन सिखाना अच्छी बात है लेकिन बच्चों को भी उतनी ही रिस्पेक्ट की जरूरत होती है, जितनी बाकी लोगों को। अगर आपका व्यवहार गलत होगा, तो आगे चलकर आप बच्चे से अच्छे व्यवहार की उम्मीद बिल्कुल न करें।
खुद की परेशानियों को बच्चों पर थोपना
मारपीट का बच्चों पर असर कैसा होगा, अगर बच्चे ने कोई गलत काम किया ही न हो? जी हां! कई बार बच्चों को मारपीट का सामना सिर्फ इसलिए करना पड़ता है क्योंकि उनके पेरेंट्स किसी कारण से स्ट्रेस (Stress) में थे। पेरेंट्स खुद के स्ट्रेस का शिकार बच्चों को बनाएंगे, तो यकीनन ये बच्चे के मन पर बुरा प्रभाव ही डालेगा।
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न करें मारपीट, बच्चों को समझाएं इस तरह से
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार बच्चों के साथ पेरेंट्स को पॉजिटिव और सपोर्टिव पेरेंट्स-चाइल्ड बिहेवियर अपनाना चाहिए। ऐसा करने से ही बच्चों के व्यवहार में बदलाव होगा और बच्चों का बिहेवियर अच्छा होगा। बच्चों को अच्छे व्यवहार के लिए प्रेरित करना भी अच्छा कदम साबित हो सकता है। ज्यादातर पेरेंट्स को भले ही बच्चों को मारकर समझाना आसान रास्ता लगता हो, लेकिन ये गलत धारणा है। अगर आपको लग रहा है कि बच्चा आपकी बात नहीं मान रहा है, तो आप उसके फेवरेट टॉय या ड्रेस कुछ समय तक न देकर भी उनके व्यवहार में बदलाव ला सकते हैं। अगर आप बच्चे को चिल्लाएंगे या फिर उससे हमेशा गुस्से से बात करेंगे, तो उसे लेगेगा कि ऐसा बिहेवियर करना सही रहेगा। आपको ये उदाहरण बिल्कुल पेश नहीं करना चाहिए। आपको बच्चों का रोल मॉडल बनना चाहिए, ताकि बच्चे आपको देखकर कुछ सीखे और अच्छे बिहेवियर का अपनाएं।
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- आपको रूल बनाने की जरूरत है, जिसे आप खुद भी फॉलो करें। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा कोई गंदा शब्द न कहे, तो आपको भी उस शब्द से दूरी बनानी होगी।
- अगर बच्चा अच्छा व्यवहार (Good behavior) करता है, तो उसकी प्रसंशा जरूर करें। ऐसा करने से बच्चे को भी विश्वास हो जाएगा कि वो अच्छा भाषा और अच्छा व्यवहार अपना रहा है। अगर आप उसकी अच्छी बात पर भी प्रसंशा नहीं करेंगे, तो वो उन बातों से अंजान रहेगा।
- आपको बच्चे के बुरे व्यवहार को इग्नोर करना होगा ताकि उसे पता चले कि बुरा बोलने या फिर बैड बिहेवियर करने से उसकी बात नहीं मानी जाएगी।
- बच्चे के अच्छे और बुरे, दोनों ही व्यवहार के लिए आप जिम्मेदार हैं। मारपीट का बच्चों पर असर कभी भी सकारात्मक नहीं हो सकता है, आपको हमेशा इस बात का ध्यान रखना होगा।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से मारपीट का बच्चों पर असर क्या पड़ता है, इस बारे में जानकारी मिल गई होगी। हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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