डेवलपमेंटल मायलस्टोन्स कौशल और क्षमताओं के बेंचमार्क का एक सेट है, जिन्हें बच्चे अपने पूरे जीवनकाल में पार करते हैं। स्कूल जाने की उम्र बच्चों के लिए एक नए जीवन की शुरुआत की तरह होती है। स्कूल जाने वाले बच्चों की डेवलोपमेंट यानी चार से नौ साल तक के बच्चों की शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक क्षमता है। जानिए स्कूल जाने वाले बच्चों के पड़ाव (School Age Children Milestones) के बारे में और पाएं इस उम्र के बच्चों से जुड़ी हर जानकारी।
स्कूल जाने की सही उम्र क्या होनी चाहिए? (Right Age for School)
स्कूल जाने वाले बच्चों के पड़ाव (School Age Children Milestones) से पहले यह जानना जरूरी है कि बच्चों को कौन सी उम्र में स्कूल भेजना चाहिए। ऐसे कई स्कूल है जो दो साल के छोटे बच्चों को भी स्कूल में दाखिला दे देते हैं। लेकिन, क्या इतने छोटे बच्चों को स्कूल भेजना सही है? शोध के मुताबिक अगर बच्चों को 5-6 की उम्र में स्कूल भेजना शुरू किया जाए तो उनका आत्मनियंत्रण सही होता है और भविष्य में फोकस के साथ आसानी से किसी भी परेशानी या चुनौतियों का सामना कर पाते हैं। इसलिए बच्चे को स्कूल भेजने की सही उम्र 5-6 साल है हालांकि प्ले ग्रुप में चार साल से भेजना शुरू किया जा सकता है।
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स्कूल जाने वाले बच्चों का शारीरिक विकास (Physical development of school age children)
स्कूल जाने वाले बच्चों के पड़ाव (School Age Children Milestones) में पहला है उनका शारीरिक विकास। स्कूल एज के दौरान, आपका बच्चा एक वयस्क के रूप में स्वस्थ जीवन जीने के लिए फंडामेंटल स्किल्स प्राप्त करता है। इस विकासात्मक चरण के बारे में अधिक जानें और जानें कौन से शारीरिक बदलाव आते हैं बच्चों में इस दौरान:
4 से 6 साल का बच्चा (4-6 year’s kid)
स्कूल एज वाले बच्चे इस पड़ाव में चुस्ती, बैलेंस, कोऑर्डिनेशन और धीरज को प्राप्त करता है। इस उम्र में बच्चे का यह विकास होता है:
- चार से छे साल के बच्चे का हर साल दो से तीन किलोग्राम वजन बढ़ता है।
- हर साल उनका आठ सेंटीमीटर वजन बढ़ता है।
- इस उम्र का बच्चा दाएं हाथ या बाएं हाथ में से किस हाथ से काम करेगा, इस प्राथमिकता को निर्धारित करता है।
- इस उम्र के बच्चे लाइनों के बीच रंग कर सकते हैं। यही नहीं, खुद अपने कपड़ों को पहन और खोल सकते हैं।
- बाल को कुछ दूरी से फेंक और कैच कर सकता है।
- सीढ़ियां चढ़ना, तैरना या स्केट्स आदि के लिए मसल्स कोऑर्डिनेशन आसानी से कर सकता है।
7 से 9 साल का बच्चा (7-9 year’s kid)
सात से नौ साल के बच्चे भी तेजी से बढ़ते हैं। उनमें भी जल्दी शारीरिक परिवर्तन होते हैं। इस उम्र के बच्चों में यह बदलाव आते हैं:
- सात से नौ साल के बच्चे जल्दी से वजन ग्रहण करते हैं।
- इस उम्र का बच्चा अच्छे से साइकिल चला सकता है।
- शेप्स बनाने के लिए कैंची का सही प्रयोग कर सकता है
- उनके स्थायी दांत आना शुरू हो जाते हैं।
- हाथ और आंखों के बीच का कोआर्डिनेशन सुधरता है।
स्कूल जाने वाले बच्चों का मानसिक विकास (Mental development of School age Children)
बच्चे अलग-अलग तरह से प्रगति करते हैं। क्योंकि, उनकी अलग-अलग रुचियां, क्षमताएं और व्यक्तित्व होते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों के पड़ाव (School Age Children Milestones) में अगला है उनका मानसिक विकास। स्कूल जाने वाले बच्चों में आप बहुत परिवर्तन नोटिस करेंगे। स्कूल जाने वाले बच्चों का मानसिक विकास किस तरह से होता है जानिए:
4 से 6 साल का बच्चा (4-6 Year’s Kid)
स्कूल जाने वाले बच्चे अकेले की जगह अन्य बच्चों के साथ खेलने में रूचि दिखाएंगे। यही नहीं, उनका ध्यान पढ़ने और सीखने में भी अधिक होगा। उनके जीवन में यह परिवर्तन आएंगे:
- 4 से 6 साल के बच्चों की शब्दावली 2,000 शब्दों तक बढ़ सकती है।
- इस उम्र के बच्चे पांच या अधिक शब्दों का वाक्य बना सकते हैं।
- दस चीजों की गिनती एक ही समय में कर सकते हैं।
- दाएं और बाएं का अंतर समझते हैं।
- इस उम्र तक वो क्यों और क्योंकि ऐसे शब्दों का प्रयोग करना सीख जाएंगे।
- इस उम्र में बच्चे चीजों जैसे किताबों, खिलौनों आदि में भेद बता सकते हैं।
- शेप्स जैसे डायमंड, ट्रायंगल आदि के बारे में भी बता सकते हैं।
- अपनी जगह पर बैठने, शिक्षक की सलाहों का पालन करने और दिए गए काम को पूरा करने में सक्षम होंगे
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7 से 9 साल का बच्चा (7-9 Year’s Kid)
स्कूल जाने वाले बच्चों के पड़ाव (School Age Children Milestones) में यह चरण बेहद जरूरी है। इस उम्र के बच्चों के लिए दोस्त जरूरी हो जाते हैं। यही नहीं, उनका समाजिक, दिमागी और शाररिक विकास भी बहुत अधिक होता है। जानिए क्या विकास होता है इस उम्र के बच्चों का:
- इस उम्र के बच्चे अधिक जिम्मेदार हो जाते हैं।
- फ्रैक्शन और स्पेस की अवधारणा को समझने लगते हैं।
- मनी यानी धन जैसी चीजों के बारे में समझते हैं।
- समय बता सकते हैं।
- इस उम्र में बच्चे दिनों और महीनों के नाम भी बता सकते हैं।
- अब बच्चे खुद पढ़ और समझ सकते हैं।
स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए सोशल इंटरेक्शन कितना जरूरी है? (Importance of Social Interaction for School Age Children)
स्कूल जाने वाले बच्चों के पड़ाव (School Age Children Milestones) में अगला है सोशल इंटरेक्शन्स। सोशल इंटरेक्शन्स से बच्चों में आत्मसम्मान बढ़ता है और इसके साथ ही वो यह भी जान पाते हैं कि लोग उनसे क्या उम्मीद रखते हैं। स्कूल जाने से उनकी सोशल इंटरेक्शन्स की भावना बढ़ती है। बच्चों में सोशल इंटरेक्शन्स के लाभ इस प्रकार हैं:
- अच्छी शिक्षा और कैरियर के विकल्प मिलना (Better Educational and Career Outcomes)
- जीवन में सफलता में आसानी होती है (Better Success in Life)
- दोस्ती मजबूत होती है (Stronger Friendships)
- आत्मविश्वास बढ़ना (Confidence Building)
- सुनने की क्षमता बढ़ती है (Listening Skills)
- भाषा और कम्युनिकेशन सुधरती है (Improved Language and Communication)
बच्चों की सोशल इंटरेक्शन को कैसे सुधारें (Social Interactions-How to Improve)
स्कूल जाने वाले बच्चों के पड़ाव (School Age Children Milestones) के साथ-साथ आपको यह भी पता होना चाहिए कि कैसे आप इस उम्र में अपने बच्चों को कैसे बेहतर बना सकते हैं। अपने बच्चों को दोस्त बनाने और कुछ सोशल सेटिंग में फिट होने में परेशानी होते देखकर हर माता-पिता को दुःख होता है। ऐसे में आप बच्चों की सोशल इंटरेक्शन को सुधारने के लिए इन तरीकों को अपना सकते हैं:
- उनसे बात करें और उन्हें दूसरे लोगों से बात करने के लिए प्रोत्साहित करें (Talk to them and Encourage them to talk to Other People)
- उनकी रुचियों को समझें (Follow Their Interests)
- उन्हें प्रश्न पूछने की आदत ड़ालें (Teach to Ask Questions)
- अपने बच्चे की लिमिट्स को जानें (Know Your Child’s Limits)
- अपने बच्चे के लिए अच्छा रोल मॉडल बनें (Be a Good Role model)
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स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए फिजिकल एक्टिविटी और न्यूट्रिशन का महत्व (Importance of Physical Activities and Nutrition)
स्कूल जाने वाले बच्चों के पड़ाव (School Age Children Milestones) उनके लिए बेहद जरूरी हैं। इस उम्र के बच्चों के लिए संतुलित आहार और नियमित रूप से व्यायाम करना जरूरी है। इस उम्र के बच्चों को भरपूर विटामिन और मिनरल लेने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जिंक, आयोडीन, आयरन और फोलेट की कमी से बच्चों के कॉग्निटिव विकास पर असर होता है, जिससे बच्चों के सोचने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। स्कूल जाने वाले बच्चों के पड़ाव (School Age Children Milestones) को सही रखने के लिए इन जरूरी न्यूट्रिएंट्स की जरूरत होती है:
एनर्जी (Energy)
कार्बोहाइड्रेट्स और फैट्स ग्रोथ और फिजिकल एक्टिविटी के लिए एनर्जी प्रदान करते हैं। इस दौरान जब बच्चे की ग्रोथ जल्दी होती है, उनके लिए इन चीजों का सेवन करना जरूरी है। केवल शरीर ही नहीं बल्कि दिमाग को भी एनर्जी की जरूरत होती है।
प्रोटीन (Protein)
प्रोटीन बॉडी टिश्यू को बनाने, मेंटेन और रिपेयर करने के लिए जरूरी है। यह ग्रोथ के लिए भी जरूरी है। अपने बच्चे को प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ अवश्य दें। मीट, फिश, दूध और अन्य डेयरी पदार्थों में प्रोटीन भरपूर होता है।
जरूरी फैटी एसिड्स (Essential Fatty Acids)
जरूरी फैटी एसिड्स की कमी के कारण बच्चों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मछली, मेवे, सीड्स, सोयाबीन का तेल आदि इसका अच्छा स्त्रोत हैं।
कैल्शियम (Calcium)
कैल्शियम बच्चों की हड्डियों और दांतों के लिए जरूरी है इसलिए बच्चों को दूध और दूध से बनी चीजें, हरी सब्जियां आदि दें।
फिजिकल एक्टिविटी (Physical Activities)
स्कूल जाने वाले बच्चे को अधिक खेलना और कुछ एक्टिविटीज करने जैसे दौड़ना या खेल खेलने की जरूरत होती है। हर दिन की शारीरिक गतिविधियों में पैदल स्कूल जाना, अपने आस-पड़ोस में साइकिल चलाना और पार्क में बाहर खेलना आदि शामिल हो सकती हैं। इससे बच्चों को यह लाभ होते हैं
- बच्चों में फिजिकल फिटनेस, आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़ता है (Increase Fitness, Self esteem and confidence)
- मूवमेंट और कोआर्डिनेशन स्किल्स सुधरते हैं (Improves Movement and Coordination Skills)
- बच्चे इंस्ट्रक्शंस का पालन करना और दूसरों की बातों को सुनना सीखते हैं (Children learn to Follow Instructions and Listen to Others)
- बच्चों को टीम में खेलना, लीड करना आदि आता है (Children Learn to play in Teams, lead, etc.)
यौवन शुरू होने पर बच्चों में होने वाले बदलाव क्या हैं? (Changes in children when Puberty Begins)
स्कूल जाने वाले बच्चों के पड़ाव (School Age Children Milestones) यही समाप्त नहीं होते। जैसे ही बच्चे थोड़े बड़े होते हैं, उनमें यौवन के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इससे न केवल उनमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक बदलाव आते हैं बल्कि उनकी रुचियां भी बदलने लगती है। जानिए यौवन आने में पर आप अपने बच्चों में क्या परिवर्तन आएंगे:
लड़कियों में यौवन के लक्षण (Symptoms of Puberty in Girls)
- लड़कियों में यौवन के लक्षण नौ से दस साल के बाद दिखने शुरू हो जाते हैं। हालांकि यह उम्र अलग भी हो सकती है। इस दौरान लड़कियां यह बदलाव महसूस करती हैं:
- ब्रेस्ट में विकास होना शुरू होता है।
- शरीर के गुप्तांग में बाल आना शुरू हो जाते हैं। यही नहीं, कई लड़कियों के टांगों और बाजुओं में अधिक बाल होते हैं।
- कुछ लड़कियों को यौवन की शुरुआत के कुछ समय बाद पीरियड्स आने शुरू हो जाते हैं।
- लड़कों को मुहांसे, वाइटहेड्स, ब्लैकहेड्स की समस्या अधिक होती है।
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लड़कों यौवन के लक्षण (Symptoms of Puberty in Girls)
लड़कों और लड़कियों दोनों में यौवन की उम्र आमतौर पर एक जैसी ही होती है। लड़कों में यौवन के यह लक्षण देखने को मिलते हैं:
- लड़कों में यौवन का पहला संकेत आमतौर पर यह होता है कि उनके टेस्टिकल्स बड़े हो जाते हैं।
- लिंग के नीचे घने बाल भी दिखाई देने लगते हैं। अंडरआर्म के नीचे भी बाल भी घने हो जाते हैं।
- लड़कों की आवाज भारी हो जाती है।
- लड़कियों की तरह लड़के भी मुहांसों की समस्या महसूस करते हैं।
स्कूल जाने वाले बच्चों के पड़ाव में माता-पिता की क्या भूमिका है? (Role of parents in Life of school Age children)
माता- पिता अपने बच्चों के पहले गुरु होते हैं। पेरेंट्स केवल बच्चों को जन्म नहीं देते, बल्कि उन्हें जीवन के बारे में हर चीज सिखाते हैं और उनकी देखभाल करते हैं। जानिए क्या है स्कूल जाने वाले बच्चों के पड़ाव (School Age Children Milestones) में माता-पिता की भूमिका:
स्किल्स का विकास (To Develop Skills)
पेरेंटिंग कभी न समाप्त होने वाला स्किल है। पेरेंटिंग और बच्चों की डेवलपमेंट दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। माता-पिता बच्चों के कॉग्निटिव, फिजिकल, मेन्टल और भावनात्मक विकास में मदद करते हैं। बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए यह जरूरी है।
सामाजिक लाइफ जीने में मदद करते हैं (Help to live a Social Life)
जैसे ही बच्चा स्कूल जाना शुरू करता है, वो अन्य बच्चों और लोगों से मिलता है। तो सबसे मुश्किल होता है उसका उस माहौल में ढलना। इसके लिए माता-पिता ही उन्हें तैयार करते हैं। माता पिता दूसरे लोगों से कैसे मिलते हैं, बात करते हैं आदि के बारे में अपने बच्चे को अवगत कराते हैं।
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अच्छा लाइफस्टाइल प्रदान करते हैं (Provide a Good Lifestyle)
बच्चे के अच्छे विकास के लिए माता-पिता हर संभव कोशिश करते हैं। सही आहार, सुविधाओं आदि की कोई कमी नहीं रखते हैं। ताकि उनके बच्चे के विकास और अन्य चीजों में कोई कठिनाई न हो।
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माता-पिता बच्चे के पहले रोल मॉडल होते हैं। बच्चे अपने पेरेंट्स की तरह की व्यवहार करते हैं। यही नहीं स्कूल जाने वाले बच्चों के पड़ाव (School Age Children Milestones) में भी माता पिता की मुख्य भूमिका होती है। पेरेंट्स अपने बच्चे को प्रोत्साहित करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही उनकी मदद से बच्चे को सकारात्मक, स्वस्थ और अच्छा जीवन जीने में मदद मिलती है। यदि माता-पिता उत्तरदायी और समझदार हैं, तो बच्चे अपने जीवन के प्रारंभिक चरण में ही स्किल्स प्राप्त करते हैं और उन्हें एक अच्छा इंसान बनने में भी मदद मिलती है।
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