- फोर्क के प्रयोग से खुद को खिलाने की कोशिश करता है।
- नैपकिन से मुंह साफ़ कर सकता है
- खुद खाना डालने की कोशिश करना
इस बारे में डफरिन हॉस्पिटल की चाइल्ड स्पेशलिस्ट डाॅक्टर सलमान का कहना है कि अगर आपका बच्चा पहले किसी टॉडलर प्रोग्राम में भाग ले चुका है, तो वह अगले कुछ महीनों में प्री-स्कूल में नए दोस्त बनाएगा, नए स्कील सीखेगा और कॉन्फिडेंट और इंडिपेंडेंट बनेगा। यह स्कूल से पहले की शुरुआत आपके बच्चे को बाद में ठीक तरह से स्कूल जाने की राह पर लेकर जाती है। लेकिन, यह हमेशा आसान नहीं होता है।
इस दौरान बच्चे में होने वाले इमोशनल या मेंटल चेंजेज (Emotional and mental changes)
इस दौरान बच्चों में शारीरिक, मानसिक के साथ ही भावनात्मक बदलाव भी आते हैं। बच्चों का स्वास्थ्य (1-3 साल) (Kids Health) में क्या परिवर्तन आते हैं जानिए, इसमें इमोशनल बदलाव भी शामिल हैं। जैसे:
- इस उम्र में बच्चा अधिक जागरूक हो जाता है, जिसमें वो अपना हर काम खुद करना चाहता है।
- बच्चा जो भी महसूस करता है, उसे एक्सप्रेस करता है।
- तीन साल का होने पर अधिकतर बच्चे डर, शर्मिंदगी, सहानुभूति, ईर्ष्या और शर्म जैसी भावनाओं को समझने लगते हैं।
- छोटी-छोटी बातों पर परेशानी भी महसूस करेगा।
- वो इस बात को नहीं समझ पाएगा कि जो उसे चाहिए, वो उसे क्यों नहीं मिल रही है। ऐसे में उसका जिद्दी होना भी स्वभाविक है।
आपके बच्चे को इन नई भावनाओं को समझने में मदद करने के लिए आपको धैर्य और उसे सपोर्ट करने की आवश्यकता है। बच्चों का स्वास्थ्य (1-3 साल) में बेहतर होने लगता है।
टॉडलर्स और प्रीस्कूलर्स (Toddlers and Preschoolers) की देखभाल कैसे की जाएं?
टॉडलर्स और प्रीस्कूलर्स (Toddlers and Preschoolers) बच्चों का स्वास्थ्य (1-3 साल) (Kids Health) ही नहीं बल्कि उसकी सुरक्षा भी मुख्य चिंता का विषय है। जैसे ही बच्चा चलना शुरू करता है तो वो दुनिया को एक्सप्लोर करने के लिए तैयार रहता है। लेकिन, इसमें कुछ जोखिम भी हैं। बच्चे (kids) की सुरक्षा के लिए कुछ टिप्स इस प्रकार हैं:
पॉइजनिंग (Poisoning)
बच्चों का स्वास्थ्य (1-3 साल) का ख्याल रखते वक्त इन बातों का भी ध्यान रखें। छोटे बच्चे हर चीज को मुंह में डालते हैं, जबकि थोड़े बड़े अलमारियों में से नयी चीज़ें ढूंढते हैं। ऐसे में शिशु की सुरक्षा जरूरी है। इसके लिए कुछ उपाय करें, जैसे:
जलना (Burn)
बच्चों का स्वास्थ्य (1-3 साल) की उम्र में छोटी-छोटी बातों पर निर्भर होता है। बच्चे की छोटी उंगलियां हर जगह को छुने के लिए बेताब रहती है, ऐसे में बच्चे को जलने से भी बचाना चाहिए। इसके लिए टिप्स:
- जब आप खाना बना रही हों या कपड़े प्रेस कर रही हों, तो बच्चे (kids) को अपने पास ना आने दें।
- कभी भी बच्चे को रसोईघर में न आने दें।
- माचिस, लाइटर जैसी चीजों को भी बच्चे की पहुंच से दूर रखें।

गिरना (Fall)
इस उम्र में बच्चा चलना सीखता है, तो बार-बार गिर भी सकता है। बच्चों का स्वास्थ्य (1-3 साल) अच्छा रहे उसके लिए कुछ टिप्स इस प्रकार हैं:
- सीढ़ियों के पास सेफ्टी गेट लगवाएं और खिड़कियों को भी सुरक्षित कराएं।
- जब भी बच्चा फर्नीचर या अन्य चीजों पर चढ़ने की कोशिश करें उस पर नजर रखें ।
- खेलते हुए भी उसके पास ही रहें।
चोकिंग (Chocking)
इस उम्र में बच्चे हर चीज को मुंह में डालते हैं, जिससे चोकिंग की संभावना बेहद बढ़ जाती है। इससे बचने के कुछ टिप्स इस प्रकार हैं:
- जब तक बच्चा चार साल का नहीं हो जाता, उसे कुछ चीज़ें बच्चे (kids) को खाने को न दें। जैसे पॉपकॉर्न, पूरा अंगूर, कच्ची गाजर, मेवे, सख्त टॉफी आदि।
- कॉइन, बटन, सेफ्टी पिन आदि को बच्चे की पहुंच से दूर रखें। बच्चों का स्वास्थ्य (1-3 साल) की उम्र में बेहतर रखने में ये बातें मददगार हैं
- उसके खिलोनें ऐसे हों जिनके छोटे भागों को बच्चा मुंह में न डाले।
अन्य (Other)
- जब आप अपने बच्चे को गाडी में ले जा रहे हों, बच्चे के लिए सेफ्टी सीट का प्रयोग करें ।
- कभी भी अपने बच्चे को पानी के पास अकेला न छोड़े।
- बच्चों को हमेशा हाथ धोने की आदत डालें ताकि वो बीमारियों से बच सके।
- जब भी बच्चे (kids) बाहर खेले, उसके साथ किसी बड़े का होना जरूरी है।
टॉडलर्स और प्रीस्कूलर्स (Toddlers and Preschoolers) के पोषण का ध्यान कैसे रखें?
इसमें कोई संदेह नहीं कि बच्चों का स्वास्थ्य (1-3 साल) (Kids Health) उनकी डायट पर भी निर्भर होता है। इस दौरान बच्चे का विकास (Kids Development) हो रहा होता है। ऐसे में बच्चे (kids) को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।