और पढ़ें : सपने क्यों आते हैं? जानें सपनों से जुड़े हुए कुछ तथ्य
बच्चे के डरावने सपने आने के कारण
- बच्चे को डरावने सपने आने के कई कारण हैं। लेकिन, सबसे बड़ा कारण है बच्चे का कल्पनाशीलता। बच्चे किसी भी चीज के बारे में अपनी कल्पनाशीलता के कारण बड़ा-चढ़ा कर सोच लेते हैं। इसी कारण से उन्हें डरावने सपने आते हैं।
- बच्चे के साथ हुई दुर्घटना भी बुरे सपने आने का कारण है। बच्चे के साथ दिन में या कभी भी कोई दुर्घटना हुई रहती है तो वह बच्चे के मन पर असर डालती है। ऐसे में बच्चे को उससे संबंधित सपने आना स्वाभाविक सी बात है।
- आजकल बच्चे एक साल के होते ही टीवी देखना पसंद करने लगते हैं। अगर बच्चे ने कोई डरावना सीरियल या फिल्म देख ली है तो उसके पात्र उसके बाल मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। जिससे उन्हें रात में जरावने सपने आते हैं।
- बच्चे को डरावने सपने आने का कारण तनाव या चिंता भी हो सकती हैं। अब आप बोलेंगे कि बच्चे को तनाव कैसे हो सकता है? दो साल के ऊपर के बच्चों में तनाव और चिंता सबसे ज्यादा होती है। बच्चे को यह तनाव माता-पिता के झगड़े, घर में क्लेश, बच्चे को नजरअंदाज करने आदि से हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में भी बच्चे को सपने आते हैं।
- दो से तेरह साल तक के बच्चे को नौ से बारह घंटे की नींद जरूरी होती है। अगर बच्चे की नींद पूरी नहीं होगी तो वह थक जाएगा। ऐसे में बुरी भावनाएं बच्चे पर हावी हो जाती हैं। जिससे उसे डरावने सपने आने लगे हैं।
और पढ़ें : बिना ‘ना’ कहे, इन 10 तरीकों से बच्चे को अपनी बात समझाएं
बच्चे को डरावने सपने आए तो क्या करें
बच्चा जब डरावने सपने के कारण रात में डर जाते हैं तो रोने लगते हैं। ऐसे में उन्हें संभालने और समझाने में आपको दिक्कत होती है। कुछ आसान टिप्स को मान कर आप बच्चे को संभाल सकती हैं।
- बच्चा जब अचानक से उठकर रोने लगे तो उससे इसका कारण पूछें। बच्चे के पास तब तक रहें जब तक वह फिर से सो न जाएं।
- बच्चे को गले से लगा लें और उसे भरोसा दिलाएं कि आप उसके पास हैं। इस दौरान आप उसे थपकी दे कर या लोरी सुना कर फिर से सुलाने का प्रयास करें।
- बच्चे को समझाएं कि उसके डरावने सपने का असर वास्तविक जीवन पर नहीं पड़ेगा। बच्चे को बताएं कि डरना बुरी बात नहीं है। अब सब ठीक है बेफिक्र हो कर सो जाओ।
- अगर बच्चा आपसे बात करना चाहता है तो उसकी बात को ध्यान से सुनें। उसके सपने के बारे में जानने की कोशिश करें, इससे आपको बच्चे की कल्पना के बारे में पता चलेगा।
- बच्चे जादू, परियों और राजा-रानी में बहुत विश्वास करते हैं। ऐसे में बच्चे का ध्यान भटकाने के लिए उसे कहानियां सुना सकती है। जिसे सुनते हुए बच्चे को नींद आ जाएगी।
- बच्चा अगर सोना ना चाहे तो उसके साथ कुछ एक्टिविटी करने का प्रयास करें। जैसे उसे ड्रॉइंग करने के लिए कहें। ड्रॉइंग करने के बाद बच्चे की तारीफ करें। ऐसा करने से उसे अच्छा लगेगा।
- बच्चे के कमरे में एक धीमी रोशनी का बल्ब जलता हुआ छोड़ दें। इसके साथ ही बच्चे के कमरे के बाहर एक अन्य बल्ब को जलता हुआ छोड़ दें। बच्चे को उजाला दिखेगा तो डर भी कम लगेगा।
भूल कर के भी न करें ये काम
- बच्चा जब भी डरावने सपने के कारण उठ जाए तो उसे नजरअंदाज न करें। इससे बच्चा मानसिक रुप से परेशान रहेगा।
- कई बार माता-पिता अपनी नींद खराब ना करने के चलते बच्चे के डरावने सपने पर ध्यान नहीं देते हैं। ऐसे में बच्चे को बहुत असहज महसूस करने लगता है।
- कई बार माता-पिता को लगता है कि बच्चा उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए बहाना बना रहा है। आपकी यह सोच बच्चे के अंदर और ज्यादा डर भर सकता है। इसलिए बच्चे को नजरअंदाज न करें।
ज्यादा सपने आए तो बच्चे को लेकर डॉक्टर के यहां जाएं
- बच्चे को दो हफ्ते तक अगर लगातार सपने आए तो बच्चे को डॉक्टर या मनोचिकित्सक के पास ले जाना चाहिए।
- बच्चे से बात करने के बाद भी आप बच्चे के डरावने सपने आने का कारण समझ पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर के पास ले जाएं।
- अगर बच्चा दिनभर अपने डरावने सपने से परेशान रहता है तो उसको मनोचिकित्सक के पास ले जाना चाहिए।
बच्चे के डर पर चर्चा करें: अपने बच्चे से दिन के दौरान उसके डर के बारे में बात करें। इसके अलावा दिन के दौरान अपने बच्चे के आत्मविश्वास को बढ़ाएं। यदि वह दिन के दौरान आत्म विश्वास महसूस करता है, तो इससे उसे रात में अधिक सुरक्षित महसूस करने में मदद मिल सकती है।
बच्चों को रात के डर का सामना करने में मदद की जरूरत होती है और उन्हें एक सहायक की जरूरत होती है, जो उनके विकास के चरण और व्यक्तिगत स्वभाव के प्रति संवेदनशील हो। उन्हें किसी के द्वारा आश्वस्त कराने, सुरक्षा की भावना मिलने और यह सिखाने के लिए किसी की जरुरत होती है कि उन्हें अपने रात के डर को कैसे दूर करना चाहिए।
बच्चे को डरावने सपने आना बुरी बात नहीं है। बस जरूरत है तो आपको समझने की। बच्चे का साथ हमेशा दें और उसके व्यवहार को समझें। ऐसा करने से आपके और बच्चे के बीच भावनात्मक जुड़ाव बनेगा। जिससे बच्चे में आत्मविश्वास जागेगा और सोच सकारात्मक होगी।