अन्य लोगों की तरह ही शिशु के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी होता है। जब बच्चा पैदा होता है, तो डॉक्टर शिशु को सुबह की हल्की धूप में 10 से 15 मिनट तक लेकर बैठने की सलाह देते हैं। विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा को सनलाइट यानी धूप से प्राप्त किया जा सकता है। शिशु के लिए विटामिन डी की कमी ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पूरी हो जाती है क्योंकि दूध में भी विटामिन डी की मात्रा पाई जाती है। अगर बच्चा किसी कारण से ब्रेस्टफीडिंग नहीं कर पा रहा है, तो डॉक्टर विटामिन डी फोर्टिफाइड फॉर्मुला अन्य फॉर्मुला मिल्क की सलाह भी दे सकते हैं। आपके शिशु के लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम है और बच्चे को उसी से सभी जरूरी पोषण तत्व मिल जाते हैं। शिशु के लिए विटामिन डी (Vitamin D for newborns) कितना जरूरी होता है या फिर विटामिन डी की कमी अगर दूध से पूरी नहीं हो पा रही है, तो डॉक्टर क्या सलाह देते हैं, जानिए इस आर्टिकल के माध्यम से।
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शिशु के लिए विटामिन डी (Vitamin D for newborns) क्यों है जरूरी?
शिशु के लिए विटामिन डी जरूरी होता है क्योंति ये बोंस के डेवलपमेंट में सहायता करने के साथ ही रीकेट्स से बचाता है और हड्डियों के कमजोर होने की कंडीशन (रीकेट्स) से भी बचाता है। अगर शिशु को विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा नहीं मिल पाती है, तो शिशुओं को विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टर विटामिन डी सप्लिमेंट (Vitamin D supplement) के साथ ही कुछ समय के लिए धूप में बैठने की सलाह देते हैं। अगर शिशु पर्याप्त मात्रा में मां का दूध पीता है, तो उसमें पोषक तत्वों की कमी (Nutritional deficiencies) नहीं होती है।
अगर शिशु में विटामिन डी की कमी हो गई है, तो उनके लक्षण धीमे-धीमें नजर आने लगते हैं। विटामिन D कम होने पर शिशु की मसल्स कमजोर होने लगती हैं और साथ ही शिशु का डेवलपमेंट भी ठीक से नहीं हो पाता है। इसका असर हड्डियों में भी साफ नजर आता है। कुछ बच्चों का पेट भी सामान्यता बड़ा दिखने लगता है और शिशु का स्वभाव भी बदल जाता है। ऐसे में बच्चों का रोना या चिड़चिड़ाना भी लक्षण के तौर पर देखने को मिलता है।
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शिशु के लिए विटामिन डी: क्या ब्रेस्टफीडिंग से मिलता है पर्याप्त विटामिन डी?
शिशु के लिए विटामिन डी केवल माँ का दूध ही प्राप्त नहीं हो पाता है। जन्म के कुछ समय बाद, अधिकांश शिशुओं को विटामिन डी के एडिशनल सोर्स की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में डॉक्टर विटामिन डी ड्राप्स लेने की सलाह दे सकते हैं। जब बच्चा सॉलिड फूड्स खाना शुरू कर देता है, तो उसे खाने के साथ ही सप्लिमेंट्स की सहायता से पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी प्राप्त हो जाता है।
अगर शिशु पर्याप्त मात्रा में माँ का दूध पी रहा है और साथ ही सुबह की हल्की धूप भी कुछ समय के लिए लेता है, तो उसे अलग से विटामिन डी सप्लिमेंट की जरूरत नहीं होती है। अगर किसी कारण से शिशु को माँ का दूध नहीं मिल पा रहा है या फिर शिशु कम मात्रा मेंमाँ का दूध (Mother’s milk) पी रहा है, तो उसे विटामिन डी सप्लिमेंट (Vitamin D supplement) की जरूरत पड़ती है। ऐसे में आपके शिशु को एक दिन में 400 इंटरनेशनल यूनिट (IU) लिक्विड विटामिन डी की जरूरत पड़ती है। 1 से 2 साल के बच्चों को प्रतिदिन 600 इंटरनेशनल यूनिट (IU) विटामिन डी (vitamin D) की जरूरत होती है। इसकी शुरुआत जन्म के बाद ही शुरू कर देनी चाहिए। आपको शिशु के लिए विटामिन डी के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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अगर शिशु को दें विटामिन डी ड्रॉप, तो इन बातों का रखें ध्यान
अगर डॉक्टर ने आपके शिशु के लिए विटामिन डी ड्रॉप लेने की सलाह दी है, तो आपको रोजाना समय पर शिशु को ड्रॉप देनी चाहिए। साथ ही आपको ड्रॉप के ऊपर दिए गए निर्देशों को भी ध्यान से पढ़ना चाहिए। ड्रॉपर का उपयोग कैसे करना है, इस बारे में ध्यान से पढ़ें और बिना ड्रॉपर के बच्चे को दवा न दें वरना दवा की मात्रा अधिक भी हो सकती है, जो ठीक नहीं है। शिशु को माँ के दूध से कुछ ही मात्रा में विटामिन डी की मिल पाती है, इसलिए जरूरी हो जाता है कि उसे सप्लिमेंट (Supplement) की हेल्प से विटामिन डी दी जाए। शरीर में कैल्शियम (Calcium) और फॉस्फोरस (Phosphorus) को एब्जॉर्ब करने के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी होती है। सेलमॉन, एग यॉक और फोर्टिफाइड फूड्स (Fortified foods) में विटामिन डी पाई जाती है। छह माह के बाद ही बच्चों को ठोस आहार दिया जाता है, जिससे उनके शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी पहुंचता है।
बच्चे को जब भी ड्रॉप पिलाएं, ध्यान रखें कि बच्चा रिलेक्स हो। आप नहाने के बाद बच्चे को ड्रॉप पिला सकते हैं। जब भी ड्रॉप पिलाएं, बच्चे के सिर के साथ ही गर्दन को हल्के से पकड़े। ऐसा करने से ड्रॉप उनके मुंह में कहीं और नहीं गिरेगी। अगर आप बच्चे को फॉर्मुला मिल्क पिला रही हैं, तो आप ड्रॉप मिल्क में भी मिला सकती हैं।
कुछ कारणों से भी शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है। ऊँची लेटीट्यूड में रहने वाले लोगों में अन्य लोगों की अपेक्षा विटामिन डी कम हो जाता है। वहीं वायु प्रदूषण के कारण भी विटामिन डी की मात्रा कम हो जाती है। अगर स्किन को पूरी तरह से हमेशा कवर करके रखा जाए, तो भी विटामिन डी की मात्रा में कमी पाई जा सकती है। डार्क स्किन वाले लोगों में भी इस विटमिन की कमी हो सकती है। आपको बेबी में विटामिन डी से संबंधित अधिक जानकारी डॉक्टर से लेनी चाहिए। अगर डॉक्टर बच्चे के लिए विटामिन डी रिकमेंड करते हैं, तो उन्हें समय पर ड्रॉप जरूर पिलाएं। मार्केट में शिशुओं के लिए विटामिन डी के बहुत से ड्रॉप या सप्लिमेंट आसानी से मिल जाएंगे लेकिन आपको उन्हीं ब्रांड का चुनाव करना चाहिए, जिसकी सलाह डॉक्टर आपको देते हैं। अगर आप बिना सलाह के बच्चों को ड्रॉप पिलाते हैं, तो बच्चों को इससे साइड इफेक्ट्स होने की भी संभावना हो सकती है। शिशु के लिए विटामिन डी सप्लिमेंट्स डॉक्टर की सलाह के बिना ट्राय ना करें।
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हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से शिशु के लिए विटामिन डी (Vitamin D for newborns) के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
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