डिहाइड्रेशन क्या है?
डिहाइड्रेशन को अगर सामान्य भाषा में समझा जाए तो शरीर में पानी की कमी होना डिहाइड्रेशन कहलाता है। लेकिन, इससे ब्लड में खनिज तत्व और शुगर लेवल पर भी असर पड़ता है। जिसका सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
क्या डिहाइड्रेशन कभी-भी किसी को भी हो सकता है?
डिहाइड्रेशन सामान्य है और यह किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है। अगर शरीर को सही मात्रा में पानी न मिले तो ऐसी स्थिति में डिहाइड्रेशन की समस्या बढ़ सकती है। शरीर में पानी की कमी न हो इसलिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। खुद से भी कोशिश करें कि शरीर में पानी की कमी न होने पाए।
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डिहाइड्रेशन के लक्षण क्या हैं?
डिहाइड्रेशन से होने वाले नुकसान को आसानी से समझा जा सकता है, डिहाइड्रेशन कुछ सामान्य लक्षण हैं:
- बार-बार प्यास लगाना।
- चक्कर आना या फिर सिर में हल्का दर्द होना।
- दिल की धड़कनों का बढ़ना।
- यूरिन कम होना और पीला होना।
- मुंह का सुखना।
- मांसपेशियों का कमजोर होना।
- स्किन ड्राई होना।
कुछ और भी कारण हो सकते हैं जो ऊपर नहीं बताई गई हैं। अगर आपको कोई परेशानी महसूस होती है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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हमें डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
सही समय पर अगर डिहाइड्रेशन का इलाज नहीं किया गया तो स्थिति बिगड़ सकती है। यदि निम्नलिखित लक्षण नजर आए तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:
- शरीर का टेम्प्रेचर बढ़ना।
- डायरिया का दो दिनों से ज्यादा होना।
- यूरिन कम आना।
- कमजोरी महसूस होना।
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना।
- बेहोश होना।
- पेट दर्द या छाती में दर्द होना।
इन लक्षणों के अलावा भी कोई और लक्षण हो सकते हैं। हर व्यक्ति के शरीर की बनावट अलग होती है। इसलिए लक्षण भी अलग हो सकते हैं। बेहतर इलाज के लिए डॉक्टर से मिलना जरूरी है।
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Know the causes
आमतौर पर सही मात्रा में तरल पदार्थों के सेवन नहीं करने की वजह डिहाइड्रेशन होता है। वहीं मौसम का बदलना, फिजिकल एक्टिविटी और डाइट की वजह से भी ऐसा हो सकता है।
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डिहाइड्रेशन का खतरा क्यों बढ़ता है?
बढ़ते बच्चे और नवजात में डिहाइड्रेशन का खतरा ज्यादा रहता है क्योंकि वो सेंसेटिव होते हैं। बच्चों के शरीर में थोड़ी से भी पानी की कमी डिहाइड्रेशन का कारण बन सकती है।
- बुजुर्गों में भी डिहाइड्रेशन का खतरा अधिक होता है।
- पुरानी बीमारी जैसे किडनी से जुड़ी बीमारी, डायबिटीज या शराब के सेवन से भी बॉडी डिहाइड्रेट हो सकती है।
- एथलीट या फिर खिलाड़ियों को भी डिहाइड्रेशन का खतरा अत्यधिक होता है।
वैसे लोग जो खेतों में या फिर कन्स्ट्रक्शन का काम (लेबर) करते हैं, उनमें भी डिहाइड्रेशन का खतरा ज्यादा होता है।
निदान और उपचार को समझें
दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। ज्यादा जानकारी के लिए बेहतर होगा की आप अपने चिकित्सक से संपर्क करें।
डिहाइड्रेशन का निदान कैसे किया जाता है?
डॉक्टर ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट से की मदद से इलाज शुरू कर सकते हैं.
- शरीर में कुछ बदलाव जैसे ब्लड प्रेशर का कम होना, दिल की धड़कनों का सामान्य से ज्यादा तेज धड़कना या बुखार आना डिहाइड्रेशन के कारण हो सकता है।
- ब्लड टेस्ट की मदद से यह आसानी से पता किया जाता है कि किडनी ठीक तरीके से काम कर रहा है या नहीं और शरीर में सोडियम, पोटैशियम और दूसरे इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा ठीक है या नहीं।
- यूरिन टेस्ट की मदद से भी डिहाइड्रेशन की जानकारी हासिल की जा सकती है।
डिहाइड्रेशन का इलाज कैसे किया जाता है?
डिहाइड्रेशन से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ जैसे पानी, जूस का सेवन करना चाहिए और कैफीन का कम से कम।
छोटे बच्चों को डिहाइड्रेशन होने पर सिर्फ पानी न पिलाएं। इससे परेशानी और बढ़ सकती है। इसलिए डिहाइड्रेशन होने पर सादे पानी की जगह एलेट्रॉलाइट युक्त पानी पिलाएं।
डिहाइड्रेशन की समस्या अगर ज्यादा है तो खुद से इलाज करने से बेहतर है डॉक्टर से मिलना चाहिए।
जीवनशैली में बदलाव और कुछ घरेलू नुस्खे से कैसे डिहाइड्रेशन की परेशानी से बचें?
निम्नलिखित जीवनशैली और घरेलू उपचार आपको डिहाइड्रेशन की परेशानी से बचा सकते हैं:
- थोड़े अंतराल पर पानी पीने की आदत डालें।
- इलेक्ट्रोलाइट युक्त पानी पीएं।
- ओरल रिहाइड्रेशन और जूस, सूप आदि लेना चाहिए।
- गर्मियों में और उमस वाले मौसम में ही नहीं सर्दियों में भी पानी की इंटेक ज्यादा कर दें। चूंकि सर्दियों में खुस्क वातावरण के कारण भी शरीर में नमी की कमी आ जाती है।
- बुजुर्गों में पानी की कमी ज्यादा होती है। यदि उनमें ब्लैडर इंफेक्शन, ब्रोंकाइटिस हो तो यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। इसलिए उन्हें भी पर्याप्त मात्रा में पानी लेना चाहिए।
- कैफीन और शराब के कारण भी स्लीप डिहाइड्रेशन होता है। इसलिए इनसे दूरी बनाने की कोशिश करें या कम सेवन करें।
- महिलाओं को खान-पान से करीब दो से तीन लीटर और पुरुषों को करीब चार से पांच लीटर पानी लेना चाहिए।
- यदि आप सोते वक्त कई बार उठकर पेशाब जाते हैं तो हो सकता है कि आपको नोक्टूरिया की दिक्कत हो। इसके कारण नींद में बार-बार खलल पड़ता है। इसलिए रात को सोने से पहले ही दिनभर के पानी पीने का कोटा पूरा न करें, बल्कि दिन में अलग-अलग समय पर खुद को हाइड्रेट करें।
- पेशाब करने के बाद ही बिस्तर में सोएं।
इस आर्टिकल में हमने आपको डिहाइड्रेशन से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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