इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) कॉमन डायजेस्टिव डिसऑर्डर है, जो करीब 7-21% लोगों को प्रभावित करता है। आईबीएस के कारण लोगों को फ्रीक्वेंट एब्डॉमिनल पेन (frequent abdominal pain), ब्लोटिंग, बाउल मूवमेंट में समस्या आदि का सामना करना पड़ता है। जब इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षणों के साथ ही कब्ज की समस्या भी होने लगे, तो इसे आईबीएस कॉन्स्टिपेशन कहा जाता है। कॉन्स्टिपेशन यानी कब्ज की समस्या होने पर स्टूल पास न होने की समस्या पैदा हो जाती है। आईबीएस के साथ ही कॉन्स्टिपेशन की समस्या अधिक परेशानी पैदा कर सकती है। ऐसे में सावधानी के साथ ही ट्रीटमेंट की भी जरूरत पड़ती है। अगर बीमारी के लक्षणों को सही समय पर पहचान लिया जाए, तो बीमारी का इलाज आसान हो जाता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको आईबीएस कॉन्स्टिपेशन के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही बताएंगे कि किस कारण से आपको आईबीएस के साथ कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
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आखिर किस कारण से होता है आईबीएस कॉन्स्टिपेशन (What Causes IBS-C)
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के साथ आखिर कब्ज की समस्या क्यों होती है, इस बारे में डॉक्टर्स या विशेषज्ञों के लिए बता पाना मुश्किल है। कुछ एक्सपर्ट ये बात मानते हैं कि इंटेस्टाइन मूव और कॉन्ट्रेक्शन में बदलाव के कारण गट पेन की समस्या पैदा हो सकती है। जिन लोगों को कभी पास्ट में गट इंफेक्शन की समस्या हुई है, उन्हें भी आईबीएस कॉन्स्टिपेशन की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जब ब्रेन और इंटेस्टाइन के बीच मैसेज में कुछ बदलाव हो जाते हैं, तो भी आईबीएस कॉन्स्टिपेशन की सामस्या आपको परेशान कर सकती है। जब गट में पाए जाने वाले बैक्टीरिया के कंपोजीशन में बदलाव आता है, वो भी इस समस्या के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। यानी इस समस्या का कोई निश्चित कारण तो नहीं है, लेकिन कुछ रीजन इस डिजीज को जन्म दे सकते हैं। रिसर्चर्स इस बात के लिए भी अध्ययन कर रहे हैं कि इस समस्या के दौरान इम्यून सिस्टम और अनुवांशिक का भी कोई अहम रोल होता है या फिर नहीं।
आईबीएस कॉन्स्टिपेशन के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of IBS-C)
जब भी आपके आईबीएस के साथ किसी अन्य प्रकार की समस्या जैसे कि आईबीएस के साथ डायरिया ( IBS with diarrhea), आईबीएस के साथ अल्टरनेटिंग डायरिया (IBS with alternating diarrhea), या आईबीएस कॉन्स्टिपेशन के दौरान बाउल मूवमेंट में समस्या शुरू हो जाती है। इसके साथ ही पेट दर्द (Abdominal pain) भी आम लक्षणों में शामिल होता है। आईबीएस कॉन्स्टिपेशन की समस्या होने पर आपको ब्लोटिंग और पेन की समस्या का अतिरिक्त एहसास हो सकता है। आईबीएस की समस्या होने पर स्टूल के साथ ब्लड आने की समस्या आमतौर पर नहीं होती है और न ही वजन में कमी होती है। आईबीएस कॉन्स्टिपेशन होने पर निम्नलिखित लक्षणों का समना करना पड़ सकता है।
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- ब्लोटिंग या गैस की समस्या (Bloating and/or gas)
- इंफ्रिक्वेंट स्टूल (Infrequent stools)
- एब्डॉमिनल पेन (Abdominal pain)
- हार्ड स्टूल
- स्टमक में ब्लॉक फील होना
- स्टूल पास न होने का एहसास
अगर आपको उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण नजर आएं, तो आपको इन्हें इग्नोर करने के बजाय इसका ट्रीटमेंट कराना चाहिए। डॉक्टर आईबीएस कॉन्स्टिपेशन को पूरी तरह से ठीक नहीं कर पाएंगे लेकिन आपको ऐसी दवाएं देंगे, तो आपकी बीमारी के लक्षणों को खत्म करने का काम करेगी।
IBS-C का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for IBS with Constipation)
कुछ लोगों का मानना है कि कुछ फूड्स आईबीएस कॉन्स्टिपेशन को ट्रिगर करते हैं। ऐसे में खाने में सॉल्युबल फाइबर्स का सेवन पेट को राहत पहुंचाने का काम करता है। खाने में सोडा, कैफीन और गैस पैदा करने वाले फूड्स को अवॉयड किया जाए, तो काफी हद तक समस्या से राहत पाई जा सकती है। लो फूडमैप डायट (ऐसी डायट जिसमें लो फर्मेटेबल शुगर का इस्तेमाल हो) भी ऐसी समस्या से राहत दिलाने में मदद करती है। आपको इस बारे में एक बार डायटीशिन से भी सलाह लेनी चाहिए।
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सायकोलॉजिकल थेरेपीज (Psychological Therapies)
ब्रेन या फिर सेंसेशन को इंटरप्ट करता है या फिर ब्लोटिंग की समस्या पैदा होती है आदि की समस्या को सायकोलॉजिकल थेरेपीज की मदद से ठीक किया जाता है। कुछ लोगों में आईबीएस कॉन्स्टिपेशन की समस्या के साथ ही पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (post-traumatic stress disorder), एंग्जायटी (Anxiety), डिप्रेशन (depression) आदि की समस्या भी होती है। ऐसे में सायकोलॉजिकल थेरेपीज पेशेंट को राहत पहुंचाने का काम करती है।
मेडिकेशन से ट्रीटमेंट (Medications)
आईबीएस और कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए डॉक्टर ओवर-द-काउंटर दवाओं, फाइबर सप्लिमेंट, लैक्जेटिव (laxatives) और स्टूल सॉफ्टनर्स ( stool softeners) आदि लेने की सलाह देते हैं। जब ओटीसी दवाइयां काम नहीं करें, तो आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। एंटीस्पास्मोडिक्स (Antispasmodics) का इस्तेमाल जीआई ट्रेक्ट (GI tract) को आराम पहुंचाने के लिए किया जाता है। कई बार प्रो-सेक्रेटर एजेंट्स (pro-secretory agents) का इस्तेमाल भी आईबीएस और कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए किया जाता है। ये स्टूल को सॉफ्ट बनाने का काम करते हैं और साथ ही बाउल मूवमेंट को अधिक फ्रीक्वेंट करते हैं। सलेक्टिव सेरोटिनिन रीअपटेक इनहिबिटर्स (SSRIs) एंटीडिप्रिसेंट्स ( antidepressants) ब्रेन गट इंटेरेक्शन को इंप्रूव करने का काम करते हैं। ये आईबीएस और कब्ज की समस्या के सेकेंड्री सिम्पटम्स जैसे कि चिंता और डिप्रेशन से राहत पहुंचाने का काम करते हैं।
हर्बल थेरेपी (Herbal therapies)
इस बात के कुछ प्रमाण मिले हैं कि पेपरमिंट ऑयल या चायनीज हर्बल फॉर्मूला जैसे कि सप्लीमेंट एसटीडब्ल्यू 5 ( STW5), आईबीएस और कब्ज के लक्षणों में सुधार कर सकता है। पेपरमिंट ऑयल इस्तेमाल कैसे करना है, आप इस बारे में हर्बल एक्सपर्ट से जानकारी जरूर लें।
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आईबीएस कॉन्स्टिपेशन के लक्षणों से बचने के लिए खानपान में रखें सावधानी
अगर आपको आईबीएस कॉन्स्टिपेशन की समस्या हुई है, तो आपको खानपान में बदलाव करने होंगे। आपको खाने में कुछ फूड्स को लेना बंद करना पड़ेगा। आपको कॉर्न सिरप (Corn syrup), फ्रक्टोज (Fructose) आदि को खाने में नहीं शामिल करना चाहिए। अगर आपको दूध से दिक्कत हो रही है, तो दूध से बनें प्रोडक्ट का सेवन बिल्कुल बंद कर दें। ये आपके बीमारी के लक्षणों को दूर करने में सहायता करेगा। आपको खाने में एप्रिकॉट (Apricot) और लिग्यूम्स (Legumes) से भी दूरी बना लेनी चाहिए। ये सभी फूड्स आईबीएस कॉन्स्टिपेशन के लिए ट्रिगर्स का काम कर सकते हैं।
आपको खाने में हायली रिफाइंड फूड्स जैसे कि हाय फाइबर, विटामिन और मिनिरल्स से युक्त फूड्स खाने चाहिए। आपको खाने में व्होल ग्रेन ब्रेड, सीरियल्स, फ्रूट्स, बींस आदि का सेवन करना चाहिए। आपको खाने में बहुत अधिक मात्रा में फाइबर नहीं लेनी चाहिए वरना ये अपके लिए समस्या पैदा कर सकता है। आप खाने में ग्राउंड फ्लैक्स सीड्स भी ले सकते हैं। ये आपको समस्या के लक्षणों से राहत पाने में मदद करेगा। आप लो कार्ब डायट भी अपना सकते हैं। स्मॉल मील्स लें न कि एक साथ खाएं। ब्रेकफास्ट को स्किप न करें। ऐसा कर आप आईबीएस कॉन्स्टिपेशन (IBS-C) के लक्षणों को कम कर सकते हैं।
अगर हो ये समस्या, तो डॉक्टर से करें संपर्क
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