परिचय
पोरफाइरिया क्या है?
पोरफाइरिया दुर्लभ आनुवांशिक ब्लड डिसऑर्डर का एक समूह है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में हीमोग्लोबिन का एक घटक हीम सही तरीके से नहीं बनता है। हीम पोरफाइरिन से बना होता है और आयरन से बंधा होता है। हीम लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) को ऑक्सीजन ले जाने में मदद करता है और आरबीसी को रंग प्रदान करता है।
यह बीमारी होने पर व्यक्ति को तंत्रिका और त्वचा से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं। व्यक्ति सामान्यतः एक्यूट और क्यूटेनियस पोरफाइरिया से पीड़ित होता है। एक्यूट पोरफाइरिया मुख्य रुप से तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है जबकि क्यूटेनियस पोरफाइरिया स्किन को प्रभावित करती है। कुछ ऐसे भी प्रकार की पोरफाइरिया हैं जो नर्वस सिस्टम और स्किन दोनों को एक साथ प्रभावित करती हैं। इस बीमारी से बचने का कोई उपाय नहीं है लेकिन उपचार से इसे ठीक किया जा सकता है।
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कितना सामान्य है पोरफाइरिया होना?
पोरफाइरिया जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है। ये महिला और पुरुष दोनों में सामान प्रभाव डालता है। पोरफाइरिया से पीड़ित मरीजों का सटीक आंकड़ा ज्ञात नहीं है, इसका कारण यह है कि जीन में उत्परिवर्तन (mutations) के कारण होने वाली अधिकांश बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों में कोई विशेष लक्षण नहीं दिखायी देता है। इस बीमारी के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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लक्षण
पोरफाइरिया के क्या लक्षण है?
पोरफाइरिया आमतौर पर दो प्रकार का होता है। जैसे- एक्यूट पोरफाइरिया और क्यूटिनस पोरफाइरिया। पोरफाइरिया के लक्षण इसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। हालांकि दोनों प्रकार की पोरफाइरिया में व्यक्ति के पेट में दर्द होता है और पेशाब का रंग लाल -भूरे रंग का हो जाता है। एक्यूट पोरफाइरिया के लक्षण तेजी से विकसित होते हैं और कुछ दिन या हफ्तों तक रहते हैं। जिसके कारण ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
- पेट दर्द
- छाती में दर्द
- हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ना
- कमर और पीठ में दर्द
- मांसपेशियों में कमजोरी
- उल्टी और कब्ज
- ऐंठन
- हाइपरटेंशन
- लिम्ब में दर्द
इसके अलावा व्यक्ति को डिप्रेशन और मेंटल डिसऑर्डर हो सकता है और वे अधिक उत्तेजित या भ्रमित हो सकते हैं।
एक्यूट पोरफाइरिया से पीड़ित व्यक्ति में निम्न समस्याएं सामने आती हैं :
- लिवर कैंसर
- लंबे समय तक पेट में दर्द
- किडनी डैमेज
क्यूटेनियस पोरफारिया के लक्षण तब दिखायी देते हैं जब आपकी त्वचा धूप के संपर्क में आती है। इससे सबसे ज्यादा हाथ, चेहरा, कान और गर्दन प्रभावित होती है।
इसके निम्न लक्षण सामने आते हैं :
- खुजली
- सूजन
- प्रभावित क्षेत्रों में अधिक बाल उगना
- त्वचा पर फफोले पड़ना
- स्किन का कलर बदलना
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मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। पोरफाइरिया के अधिकांश लक्षण अन्य बीमारियों से मिलते जुलते होते हैं। इसलिए यह जानना मुश्किल हो जाता है कि व्यक्ति पोरफाइरिया से पीड़ित है या नहीं। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें।
कारण
पोरफाइरिया होने के कारण क्या है?
सभी प्रकार की पोरफाइरिया आमतौर पर हीम (heme) के उत्पादन में समस्या के कारण होती है। हीम, हीमोग्लोबिन का एक घटक और लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद एक प्रोटीन है जो हमारे फेफड़ों से शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचाता है। हीम का उत्पादन बोन मैरो और लिवर में होता है जिसमें आठ अलग तरह के एंजाइम शामिल होते हैं। इनमें से जब किसी विशेष एंजाइम की कमी हो जाती है तो व्यक्ति को पोरफाइरिया की समस्या हो जाती है।
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जोखिम
पोरफाइरिया के साथ मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?
जैसा कि पहले ही बताया गया कि पोरफाइरिया एक प्रकार की आनुवंशिक बीमारी है। इसलिए माता-पिता के जीन्स के द्वारा ये बीमारी बच्चों में भी जाती है। वहीं, अगर माता-पिता दोनों के जीन्स पोरफाइरिया से ग्रसित हैं तो बच्चों में यह बीमारी होने का खतरा रहता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
इसकी वजह से त्वचा से जुड़ी समस्याएँ, लीवर की बीमारियां हो सकती हैं. कुछ मामलों में सांस से जुड़ी तकलीफें भी हो सकती हैं और मरीज कोमा में भी जा सकता है. इसलिए इसकी गंभीरता को समझें और लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें।
उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
पोरफाइरिया का निदान कैसे किया जाता है?
पोरफाइरिया का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
- कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन
- छाती का एक्स – रे
- पोर्फोबिलिनोजेन (PBG) यूरीन टेस्ट
- कम्पलीट ब्लड काउंट (CBC)
इसके अलावा डॉक्टर जेनेटिक टेस्ट कराने की भी सलाह दे सकते हैं। चूंकि पोरफाइरिया एक आनुवांशिक बीमारी है इसलिए जरूरत पड़ने पर परिवार के अन्य सदस्यों को भी जांच करानी पड़ सकती है।
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पोरफाइरिया का इलाज कैसे होता है?
पोरफाइरिया का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन इस बीमारी के लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर कुछ उपचार करते हैं।
1.एक्यूट पोरफाइरिया के इलाज के लिए मरीज को ग्लूकोज चढ़ाया जाता है।
2.गंभीर स्थिति में डॉक्टर हेमिन (पैनहीमैटिन) का इंजेक्शन भी लगाते हैं।
क्यूटेनियस पोरफाइरिया के इलाज इसके लक्षणों पर निर्भर करता है। इसके लिए दो तरह की मेडिकेशन जाती है :
- एंटीमलेरियल ड्रग क्लोरोक्विन या हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की कम खुराक दी जाती है।
- अटैक को कम करने के लिए हिमैटिन का इंजेक्शन दिया जाता है।
- ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए बीटा ब्लॉकर्स (एटेनेलोल) दिया जाता है।
इसके अलावा डाइट में बदलाव करने से भी इसका जोखिम कम होता है। डॉक्टर आपको उन सभी चीजों से परहेज करने की सलाह देते हैं जो पोरफाइरिया के लक्षणों को बढ़ाता है।
घरेलू उपचार
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो पोरफाइरिया को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
अगर आपको पोरफाइरिया है तो आपके डॉक्टर वह आहार बताएंगे जिसमें आयरन अधिक मात्रा में पाया जाता हो। इसके साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर आहार इस बीमारी से उबरने में काफी सहायक होता है। आप डॉक्टर या डाइटिशियन से सलाह लेकर अपनी डाइट में उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट भी शामिल कर सकते हैं।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
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हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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