परिचय
इंटससेप्शन (Intussusception) एक गंभीर स्थिति है जिसमें आंत का एक हिस्सा आंत के साथ वाले भाग में स्लाइड करता है। इसके कारण अक्सर भोजन या तरल पदार्थ को सामान्य रूप से गुजरने में समस्या होती है। यही नहीं, इंटससेप्शन के कारण पेट के प्रभावित हिस्से में खून की सप्लाई भी नहीं हो पाती। इस कारण आंत में संक्रमण हो सकता है। 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में आंतों की रुकावट का सबसे आम कारण इंटससेप्शन है। इंटससेप्शन (Intussusception) को मेडिकल इमरजेंसी माना जाता है लेकिन इसका उपचार सर्जिकल या नॉनसर्जिकल दोनों तरीकों से किया जा सकता है।
यह रोग तीन महीने से लेकर पांच साल तक के बच्चों में सामान्य है लेकिन तीन महीने से कम उम्र के बच्चों, बड़े बच्चों या वयस्कों में यह समस्या दुर्लभ देखने को मिलती है। बच्चों में एक्स-रे प्रक्रिया से पेट को सामान्य स्थिति में धकेल दिया जाता है लेकिन वयस्कों में इस रोग के उपचार के लिए सर्जरी की जाती है।
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लक्षण
- यह समस्या बच्चों में देखी जा सकती है। हर व्यक्ति या बच्चे में इसके लक्षण भी अलग हो सकते हैं लेकिन इसका सबसे सामान्य लक्षण है स्वस्थ बच्चे को अचानक पेट में दर्द होना।
- शिशुओं और बच्चों को खिंचाव महसूस हो सकता है। इसके कारण बच्चा बहुत चिड़चिड़ा हो जाता है।बहुत अधिक रोने के कारण बच्चा थका हुआ और कमजोर हो सकता है।
- इंटससेप्शन में उलटी भी हो सकती है, ऐसा दर्द शुरू होने के साथ हो सकता है।
- बच्चे या रोगी के मल में खून आ सकता है या इंटससेप्शन में लाल ,बलगम और जेली के जैसा मल भी देखा जा सकता है।
- छोटे बच्चे दर्द के कारण रोते हुए अपने घुटनों छाती की तरफ मोड़ लेते हैं।
- बुखार होना
- एनर्जी का कम या बिलकुल न होना।
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कारण
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- इंटससेप्शन के कारणों के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। अधिकतर मामलों में छोटे बच्चों में यह समस्या खुद ही हो जाती है हालांकि कई बार पेट में वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण भी इसका कारण हो सकता है।
- यह समस्या बच्चों को अधिकतर सर्दियों में होती है क्योंकि इस मौसम में बच्चे फ्लू के जैसे लक्षणों से गुजरते हैं। यानी वायरस इसका एक कारण हो सकता है।
- इंटससेप्शन बड़े बच्चों या वयस्कों में देखी जाने वाली समझे दुर्लभ समस्या है। लेकिन अगर ऐसा हो तो पॉलीप्स या ट्यूमर को भी इस समस्या का एक कारण माना जा सकता है।
- वयस्कों के पेट में स्कार जैसे टिश्यू भी इस समस्या का कारण बन सकते हैं।
- वजन कम करने के लिए की जाने वाली सर्जरी (गैस्ट्रिक बाईपास) या क्रोहन’स डिजीज जैसे रोगों के कारण इंटेस्टिनल ट्रैक्ट में सर्जरी भी इस समस्या का कारण है।
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जोखिम
इंटससेप्शन इन स्थितियों में जोखिम भरा हो सकता है:
- उम्र – वयस्कों के मुकाबले बहुत छोटे बच्चों में यह रोग होने की संभावना अधिक होती है। 6 महीने से लेकर 3 साल तक के बच्चों को इस रोग के होने का जोखिम अधिक होता है।
- लिंग- ऐसा माना जाता है कि लड़कियों की तुलना में लड़कों को इस रोग की संभावना अधिक होती है।
- पहले इसका इतिहास होना-अगर आप पहले गंभीर इंटससेप्शन से गुजर चुके हैं तो इसके फिर से होने का जोखिम बढ़ जाता है।
- पारिवारिक इतिहास- अगर आपके परिवार में यह रोग है तो यह विकार आपको होने की संभावना अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा होती है।
- जन्म के समय असामान्य आंतों का निर्माण- आंतों में खराबी वो स्थिति है जिसमें पेट न तो सही से विकसित होता है न ही सही से घूम पाता है इससे इंटससेप्शन का जोखिम बढ़ जाता है।
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उपचार
इंटससेप्शन के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी की मेडिकल हिस्ट्री और लक्षणों के बारे में जानेंगे। अगर बच्चे को यह समस्या है तो आपके बच्चे को तरल पदार्थ और नासोगैस्ट्रिक ट्यूब के लिए IV लाइन के साथ स्थिर किया जा सकता है। इस ट्यूब को नाक के माध्यम से पेट में डाला जाता है। यह आंतों पर दबाव की स्थिति में राहत प्रदान करता है।
इंटससेप्शन के लिए टेस्ट
शारीरिक जांच के साथ ही डॉक्टर आपको इमेजिंग टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं जो इस प्रकार हैं:
- पेट का एक्स-रे: रोगी के पेट में या आंत में रुकावट है इस बारे में जानने के लिए पेट का एक्स-रे कराया जाएगा।
- अल्ट्रासाउंड: इसमें पेट की फोटो बनाने के लिए इसमें साउंड वेव का प्रयोग किया जाता है।
- एयर या कंट्रास्ट एनीमा: इसमें एक नरम ट्यूब को मलाशय में रखा जाता है। इससे एक्स-रे में ब्लॉक हुए भाग हाईलाइट हो जाते हैं। कुछ मामलों में, एनीमा आंत को सीधा करने में मदद करता है, इंटससेप्शन को ठीक करता है।
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एनीमा
इंटससेप्शन के कुछ मामले स्थायी नहीं होते और इनमे उपचार की आवश्यकता नहीं होती। इसका नॉन सर्जिकल तरीका है एनीमा। दस में से एक मामले में इस प्रक्रिया के 72 घंटों के बाद इंटससेप्शन की समस्या वापस आ सकती है। चाहे इस समस्या का उपचार एनीमा से किया जाए या सर्जरी से रोगी को कुछ समय के लिए अस्पताल में रहना आवश्यक है।
अगर एनीमा काम करता है तो आपको इन चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए :
- एनीमा के बाद के घंटों में हवा रोगी के शरीर से बाहर निकलती रहेगी। बुखार की स्थिति में एसिटामिनोफेन दी जा सकती है।
- पहले बारह घंटों तक रोगी को आहार या तरल नहीं दिया जा सकता, इसके बाद तरल दिया जाता हैं और उसके बाद भोजन देना शुरू करते हैं।
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सर्जरी
अगर एनीमा से इस रोग में लाभ नहीं होता, तो इसके बाद सर्जरी की जाती है। इसके लिए सर्जन आपके पेट में चीरा लगाएंगे। इसे ओपन प्रोसीजर कहा जाता है। वो लेप्रोस्कोपी का प्रयोग भी कर सकते हैं। इसमें सर्जन इंटससेप्शन को सही कर देते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो वो इस सेक्शन को निकाल देंगे और आंत को फिर से जोड़ देंगे।
- अगर रोगी की सर्जरी हुई है, उसे कुछ समय रिकवरी रूम में रहना पड़ेगा।
- टांकों को सर्जरी के कुछ दिनों बाद खोल दिया जाता है या अधिकतर ऐसे टांके लगाए जाते हैं जो खुद ठीक या डिसॉल्व हो जाते हैं।
- बुखार की स्थिति में एसिटामिनोफेन दी जा सकती है।
- जब रोगी अच्छे से खाना-पीना शुरू कर देगा तो उसे छुट्टी दी जा सकती है।
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घरेलू उपाय
इंटससेप्शन के कारणों के बारे में कोई सही जानकारी उपलब्ध नहीं है, ऐसे में ऐसा कोई तरीका या घरेलू उपाय नहीं है। जिससे इस रोग से रोका जा सके या इससे कुछ हद तक राहत मिले।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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