पहली प्रेग्नेंसी (First Pregnancy) का अनुभव सभी के लिए अच्छा नहीं होता। कई बार ये डरावना और दर्दनाक भी हो सकता है। ऐसा ही कुछ हुआ इंदौर में रहने वाली 28 वर्षीय चंद्रमणि के साथ। उसे कंसीव करने में तो कोई परेशानी नहीं हुई, वह बड़ी खुशी से अपने आने वाले बच्चे के लिए तैयारी कर रही थी, लेकिन फिर भी जब वह पहली प्रेग्नेंसी (First Pregnancy) के दिनों को याद करती है, उसकी रूह कांप जाती है। ऐसा क्या हुआ चलिए विस्तार से जान लेते हैं…
बहुत खुश थी मैं
जब मुझे पता चला कि मैं प्रेग्नेंट हो गई हूं, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हालांकि, हमने पहली प्रेग्नेंसी (First Pregnancy) के लिए प्लानिंग नहीं की थी, लेकिन हम प्रिकॉशन भी नहीं ले रहे थे। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मैं इतनी जल्दी प्रेग्नेंट हो जाऊंगी। प्रेग्नेंसी के बारे में सुनकर परिवार के सभी लोग बहुत खुश थे। मैंने और मेरे पति राहुल ने बेबी के फ्यूचर को लेकर प्लानिंग शुरू कर दी थी। सब कुछ बहुत अच्छा लग रहा था। सब लोग मेरी बहुत केयर कर रहे थे। पहली प्रेग्नेंसी (First Pregnancy) का फर्स्ट ट्राइमेस्टर (First trimester) तो हंसी खुशी और नए अनुभवों के साथ निकल गया। मैंने अपने करीबी दोस्तों और रिश्तेदारों को भी खुशखबरी दे दी थी।
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सेकेंड ट्राइमेस्टर (Second trimester) लेकर आया कभी न मिटने वाला दर्द
सेकेंड ट्राइमेस्टर की शुरुआत में मुझे बेहद रिलीफ फील हो रहा था क्योंकि जी मिचलाना, उल्टी जैसे लक्षणों से राहत मिल गई थी। मैं पहली प्रेग्नेंसी (First Pregnancy) पीरियड के नए रूटीन में भी ढल गई थी। समय पर खाना-समय पर होना सब कुछ टाइम टू टाइम हो रहा था। जो कि मेरे लिए एकदम नया था क्योंकि मैं कॉलेज के टाइम से ही लापरवाह टाइप की थी। देर से सोना, देर से उठना, जंक फूड (Junk food) खाना, घंटों फोन पर बातें करते रहना ये सब मेरे डेली रूटीन का हिस्सा था, लेकिन प्रेग्नेंसी ने मुझे पूरी तरह बदल दिया था। अब मैं एकदम हेल्दी लाइफस्टाइल जी रही थी।
तीसरा और चौथा महीना तो इसी तरह बहुत अच्छा निकल गया, लेकिन पांचवा महीना पूरा होने के बाद मानों हमारे ऊपर दुखों का पहाड़ गिर गया। डॉक्टर ने डॉप्लर स्कैन (Doppler scan) करने के लिए कहा और उसमें पता चला कि बेबी की दिमाग ठीक से डेवलप नहीं हो रहा है और उन्होंने अबॉर्शन कराने की सलाह दी। डॉक्टर की बात सुनकर मुझे तो ऐसा लगा कि जैसे कि मुझे किसी ने छत से थक्का दे दिया हो।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि जिस बच्चे के लिए मैं पिछले 5 महीने से प्लानिंग कर रही थी, हर पल जिससे बातें कर रही थी वो अब इस दुनिया में नहीं आ सकता। राहुल भी इस बात से बुरी तरह टूट गए थे। हमने डॉक्टर्स से कई बार कंफर्म किया, कि कहीं कोई गलती तो नहीं हो गई स्कैनिंग में? हम कुछ और टेस्ट करके देख लें क्या? लेकिन मन को समझाने वाली ये कोशिशें बेकार साबित हुईं और पहली प्रेग्नेंसी (First Pregnancy) के हेल्दी होना का सपना टूट गया।
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वो था अब तक का सबसे पेनफुल एक्सपीरियंस..
हमारी बातें सुनकर डॉक्टर ने कहा कि मेरी तो यही सलाह होगी कि आप अबॉर्शन (Abortion) करा लें बाकी आपकी पहली प्रेग्नेंसी (First Pregnancy) है आपकी मर्जी है आप लोग जो चाहे वह डिसीजन ले सकते हैं, लेकिन बच्चे में जन्म के बाद कई कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं। हम लोग रोते हुए घर पहुंचे और राहुल के मम्मी पापा यानी मेरे इनलॉज को सारी बात बताई। उन्होंने ध्यान से सारी बातें सुनी और हमें डॉक्टर की सलाह मानने को कहा।
एक से दो दिन बाद डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेकर हम लोग हॉस्पिटल पहुंच गए। डॉक्टर ने कहा कि अबॉर्शन (Abortion) का प्रॉसेस नॉर्मल डिलिवरी (Normal delivery) जैसा ही होगा। यानी बेबी को वजायना (Vagina) के जरिए ही बाहर निकाला जाना था। उस दर्द को मैं बयां नहीं कर सकती जब मैंने अपने मृत बच्चे को देखा। मुझसे ज्यादा दुख मेरे पति को हुआ था। क्योंकि उन्होंने बच्चे की अंतिम क्रिया की थी। आज भी उस दिन को याद करती हूं, तो आंखें नम हो जाती हैं।
वजायनल डिलिवरी के बारे में अधिक जानने के लिए देखें ये 3डी मॉडल:
डिसाइड कर लिया कि नॉर्मल डिलिवरी (Normal delivery) कभी नहीं करवाऊंगी
बच्चे को खोने के दर्द के साथ ही लेबर पेन का दर्द भी मैंने लगातार महसूस किया। उस वक्त मुझे लगा कि जो महिलाएं वजायनल डिलिवरी (Vaginal delivery) के लिए तैयार रहती हैं वे सच में स्ट्रॉन्ग होती है। मैंने तो उसी दिन निणर्य कर लिया था कि अगली बार जब मैं प्रेग्नेंट होऊंगी तो सिजेरियन ही करवाऊंगी। मैं लेबर पेन को नहीं सहन कर सकती। पुराने लोग कहते हैं कि नॉर्मल डिलिवरी (Normal delivery) को सर्वाइव करना महिला का दूसरा जन्म होता है जो कि अब मुझे बिलकुल सही लगता है।
कुछ समय लगा, लेकिन कहते हैं ना कि वक्त सारे जख्म भर देता है..
इस इंसीडेंट के बाद मेरे मन में इतने निगेटिव थॉट्स आने लगे थे कि मैं परेशान हो गई थी। मैं कभी मां नहीं बन पाऊंगी, भगवान ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? क्या मुझमें कोई कमी है?लेकिन समय के साथ घाव भरते गए और कॉन्फिडेंस वापस आ गया। हम दोनों ने इसे भगवान की मर्जी मानकर स्वीकार कर लिया। यहां पर एक बात बताना चाहूंगी। हम यंग लोग पेरेंट्स से बातों को छुपाते हैं और सोचते हैं कि वे इतने कमजोर हैं कि वे किसी दुखद घटना का सामना नहीं कर पाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। मेरे केस में तो मेरे दोनों परिवारों ने मेरा साथ दिया और देखभाल की। यहां तक कि वे हमेशा मुझसे यही कहते रहे कि कोई बात नहीं बेटा कभी-कभी ऐसा हो जाता है। तुम परेशान मत हो और खुद को दोष मत दो।
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पहली प्रेग्नेंसी (First Pregnancy) के लिए टिप्स: कर रही हूं आने वाले बच्चे का इंतजार
तो मेरी दुखों वाली कहानी अब खत्म हो चुकी है (हंसते हुए)। मैं फिर से प्रेग्नेंट हूं। आठवां महीना चल रहा है। डॉप्लर स्कैन में सबकुछ ठीक आया है और मैं बस अब अपने बच्चे का इंतजार कर रही हूं। कुछ दिन तक मेरी मां मेरे साथ थी और अब मैं अपने ससुराल यानी जयपुर जा रही हूं। राहुल चाहते हैं कि बच्चे परिवार के बीच में ही रहे और मेरी केयर भी ठीक से हो जाए।
पहली प्रेग्नेंसी के लिए टिप्स: ना हो निराश और ना छोड़ें अच्छा होने की आस
मैं प्रेग्नेंसी प्लानिंग (Pregnancy planning) कर रही या महिलाओं से यही कहना चाहूंगी कि हो सकता है कि आपको पहली प्रेग्नेंसी (First Pregnancy) के दौरान मिसकैरिज (Miscarriage) या मेरे जैसे कि अनुभव से गुजरना पड़ें, लेकिन निराश ना हो। ना ही इसके लिए खुद को दोषी समझें। कुछ बातों पर हमारा जोर नहीं चलता है। अगर ऐसा कोई इंसीडेंट हो जाता है, तो कुछ दिन खुद को समय देने के बाद फिर से कंसीव करने के लिए ट्राय करें। और हां डॉक्टर की सलाह हर कदम पर जरूर लेते रहे।
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उम्मीद है कि आपको ये रियल स्टोरी पसंद आई होगी और पहली प्रेग्नेंसी (First Pregnancy) के लिए टिप्स भी मिल गई होंगी। गर्भावस्था से जुड़े किसी भी मुद्दे पर सलाह लेने की एक्सपर्ट से सलाह लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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