प्रेग्नेंसी का अनुभव हर माँ के लिए मधुर होता है। यह मधुर अनुभव और भी प्यारा हो जाता है जब वह माँ बन जाती हैं और गोद में फूल जैसा शिशु खेलने लगता है। लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि गुलाब के फूलों के साथ कांटे भी होते हैं उसी तरह इस मधुर अनुभव के साथ बहुत सारी शारीरिक और मानसिक जटिलताएं साथ आती है। डायस्टैसिस रेक्टी ऐसा ही एक पोस्टपार्टम अवस्था है जो गर्भावस्था के बाद कष्ट का कारण बन सकता है। शायद आपको पता नहीं है कि डायस्टैसिस रेक्टी को एब्डोमिनल सेपरेशन भी कहते हैं।
आसान शब्दों में डायस्टैसिस रेक्टी को समझें तो एब्डोमिनल सेपरेशन की इस अवस्था में पेट के मसल्स के बीच एक गैप जैसा बनता है। वैसे तो आम तौर पर यह अवस्था प्रेग्नेंसी के दौरान या बाद में होता है लेकिन यह शिशु से लेकर पुरुष किसी को भी कभी भी हो सकता है। हमारे पेट के बीच में ‘सिक्स पैक’ मसल्स होता है जो बीच में रेखा में मिलता है। यह ज्यादा गर्भावस्था के दौरान या बाद में इसलिए होता है क्योंकि गर्भाशय में जैसे-जैसे शिशु का विकास होता है उसका आकार बढ़ता जाता है। फलस्वरूप यूटेरस के मसल्स भी फैलने लगते हैं और बीच में मांसपेशियों के बीच में एक खाली स्थान जैसा बन जाता है। डिलीवरी के बाद अक्सर कुछ महीनों में यह खुद ही धीरे-धीरे ठीक हो जाता है। लेकिन 12 महीनों के बाद भी अगर पेट के मसल्स के बीच खाली स्थान भरता नहीं है तो विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। शायद आप अब सोच रहे होंगे कि फिर यह बच्चों या पुरुषों में क्यों होता है। कभी-कभी पेट के मसल्स को स्ट्रेच करने के व्यायाम ज्यादा या सही तरह से नहीं करने के कारण या बहुत भारी वजन उठाने के कारण अथवा एब्डोमिनल ओबेसिटी के वजह से भी डायस्टैसिस रेक्टी की समस्या हो सकती है।
कारण
असल में प्रेग्नेंसी के दौरान शिशु के विकास के साथ यूटेरस का आकार बढ़ने के कारण पेट के दो पैराल्ल मसल्स के बीच में जो जुड़ाव रहता है उसमें धीरे-धीरे एक खाली स्थान जैसा बन जाता है। यह मसल्स छाती से लेकर पेट के नीचे तक जाता है। यह मसल्स ठीक त्वचा के नीचे होते हैं।
आम तौर पर यह 5-6 महीने के बीच होने लगता है। यहाँ तक कि जिनको एक से ज्यादा बच्चे होते हैं या उम्र 35 से ज्यादा है या जुड़वा बच्चा हुआ है। डायस्टैसिस रेक्टी आम तौर पर बेबी के आकार के बढ़ने के कारण जो दबाव बनता है उसके वजह से होता है औरप्रेग्नेंसी के दौरान जो हार्मोनल चेजेंस होती हैं उनके कारण भी होता है।
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लक्षण
डिलीवरी के बाद एब्डोमेन मसल्स के दो बैंड के बीच खाली जगह आप महसूस या देख सकते हैं। खासकर जब आपके पेट के मसल्स एक्टिव रहते हैं तब वहाँ एक उभार जैसा भी दिख सकता है। कुछ महिलाओं को एब्डोमिनल सेपरेशन के कारण पीठ में दर्द होता है क्योंकि यह सेपरेशन बैक के मसल्स को सहारा देने में मदद नहीं कर पाता है। इसके अलावा एब्डोमिनल सेपरेशन के कुछ आम लक्षण हैं जो इस अवस्था में अक्सर महसूस होता है-
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द
- खराब पॉश्चर में बैठने पर दर्द
- कब्ज की समस्या
- सूजन की समस्या
वैसे गर्भावस्था के प्रथम चरण में यह समस्या उतना नजर नहीं भी आ सकता है। लेकिन दूसरे और तीसरे तिमाही के बाद आपको पेट के बीच में उठते या लेटते समय उभार जैसा दिख सकता है। यहाँ तक कि पेट, पीठ या पेल्विक में बहुत दर्द भी हो सकता है।
डिलीवरी के बाद आपके पेट में थोड़ा-सा उभार आता है जिसको अक्सर लोग वजन बढ़ने का कारण मान लेते हैं। कहने का मतलब यह है प्रेग्नेंट न होने पर भी कुछ महीने की प्रेग्नेंसी जैसी दिखती है।
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किन बातों का रखना चाहिए ध्यान-
पोस्टपार्टम में इन बातों का ध्यान रखने से एब्डोमिनल सेपरेशन की समस्या को समय रहते नियंत्रण में लाया जा सकता है-
- पोस्टपार्टम के बाद जब तक पेट आंतरिक रूप से स्वस्थ नहीं हो जाता तब तक क्रंचेस, सिटअप्स, प्लांक जैसे वर्कआउट करने से बचें।
- शिशु को कभी भी कूल्हे पर न लें।
- खाँसने के समय पेट के मसल्स को पकड़ कर खाँसें।
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डायस्टैसिस रेक्टी के साइड इफेक्ट-
अगर डायस्टैसिस रेक्टी पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो इसके कारण कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है-
- पीठ में दर्द
- पेल्विक पेन या पेड़ू में दर्द
- बैठने के पॉश्चर को पहुँच सकता है नुकसान
- पेल्विक फ्लोर डिस्फंक्शन
- सबसे चरम अवस्था में हार्निया।
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कैसे खुद से डायस्टैसिस रेक्टी है कि नहीं इसकी कर सकते है जांच-
इसको टेस्ट करने का बहुत ही आसान तरीका है जिससे हमें जानकारी मिल सकती है-
– सबसे पहले नीचे घुटनों को मोड़कर धीरे-धीरे बैठे और फिर शव आसन की तरह पीठ के बल लेट जाएं।
– शरीर को पूरी तरह से रिलैक्स कर दें।
– अब अपने पैरों को मोड़े और कंधे को जमीन से लगभग एक इंच ऊपर उठाएं।
– नाभी के 1 इंच नीचे और ऊपर दो उंगलियों के मदद से पेट को धीरे से दबाएं। अगर आपको मसल्स के बीच गैप महसूस हो रहा है या उभार जैसा लग रहा है तो जाहिर है कि आपको डायस्टैसिस रेक्टी है।
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कैसे कष्ट से थोड़ा पा सकते हैं राहत-
अगर प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलीवरी के बाद एब्डोमिनल सेपरेशन की समस्या हो रही है तो कुछ आदतों में बदलाव लाने से स्थिति में सुधार हो सकता है-
-कुछ भी भारी सामान न उठाएं जिससे कि पेट के मसल्स पर दबाव पड़े।
-हमेशा सही पॉश्चर में उठे और बैठे।
-हमेशा बैठने के समय पीठ के पीछे मोटा तौलिया या तकिया रखें जिससे कि पीठ के निचले हिस्से के मसल्स को सहारा मिलें।
-बिस्तर से उठने के समय या बैठने के समय घुटनों को मोड़े और बांह का सहारा लें। अचानक सीधे बैठे या उठे नहीं।
-प्रेग्नेंसी के दौरान प्रेग्नेंसी सेफ एक्सरसाइज करके इस समस्या से राहत पा सकते हैं लेकिन डॉक्टर से परामर्श लेना न भूलें।
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वैसे तो डिलीवरी होने के 2-3 महीनों के बाद धीरे-धीरे समस्या खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन उसके बाद भी एब्डोमिनल सेपरेशन की समस्या से निजात नहीं मिल रहा है तो फिजिकल थेरापिस्ट की सहायता से कुछ एक्सरसाइज करने से दर्द से आराम मिल सकता है। एक्सरसाइज करने से मसल्स को स्ट्रेंथ मिलेगा और पेट के बीच की खाली जगह कम होने लगेगी। लेकिन एक बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि कभी भी बिना डॉक्टर से सलाह लिए कोई भी एक्सरसाइज शुरू नहीं करनी चाहिए इससे फायदा के जगह पर स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
अगर तब भी पेट के मसल्स के बीच का गैप कम नहीं हो रहा है तो डॉक्टर चेकअप के बाद सर्जरी की सलाह दे सकते हैं जिससे कि मसल्स के बीच के गैप को कम किया जा सके।
अब तक के विश्लेषण से आप समझ ही गए होंगे कि समय पर एब्डोमिनल सेपरेशन या डायस्टैसिस रेक्टी का डॉक्टर के परामर्श के अनुसार सही उपचार करने से स्थिति को संभाला जा सकता है।
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