मेरी दोस्त सुषमा की डिलिवरी से जुड़ी एक बात मैं आपके साथ शेयर करना चाहती हूं। सुषमा डिलिवरी से पहले अपने आने वाले बच्चे को लेकर बहुत खुश थी लेकिन, बच्चे की डिलिवरी के बाद चीजें अलग हो गईं। शिशु के जन्म के कुछ दिनों के बाद ही वह उदास रहने लगी थी। उसे अपने बच्चे से वैसा लगाव नहीं लग रहा था जैसा उसने डिलिवरी से पहले सोचा था। बच्चे पर कभी उसे गुस्सा आता तो कभी खुद से ही चिड़चिड़ाहट होने लगती। कभी-कभी उसे डिप्रेशन जैसा भी महसूस होता। कई दिनों तक ऐसा ही चलता रहा, फिर डॉक्टर से बात करने पर पता चला कि डिलिवरी के बाद इमोशनल समस्याएं (Emotional problems after delivery) महिलाओं को घेर लेती हैं।
दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. भानुप्रिया एक पब्लिकेशन हाउस से बात करते हुए बताया कि “प्रसव के बाद होने वाली मानसिक परेशानियां किसी भी तरह की हो सकती हैं। जिसमें मां को बच्चे से लगाव नहीं हो पाता। इसका एक हिस्सा पोस्टपार्टम एंग्जायटी भी है। इसमें महिला अपने शिशु के लिए बहुत प्रोटेक्टिव हो जाती है। उसे हर चीज में खतरा महसूस होने लगता है। कई बार वह बच्चे को किसी को हाथ भी नहीं लगाने देती है।” “हैलो स्वास्थ्य” के इस आर्टिकल में ऐसी ही सामान्य भावनात्मक समस्याओं के बारे में बताया गया है, जो ज्यादातर प्रेग्नेंसी के बाद न्यू पेरेंट्स में देखने को मिलती हैं-
बच्चे की डिलिवरी के बाद पेरेंट्स को होने वाली सायकोलॉजिकल प्रॉब्लम्स (Psychological Problems)
डिलिवरी के बाद इमोशनल समस्याएं : बेबी ब्लूज (Baby Blues)
चाइल्ड बर्थ के पहले सप्ताह के दौरान लगभग 80 प्रतिशत तक महिलाओं में ‘बेबी ब्लूज‘ देखने को मिलता है। आमतौर पर इस समय न्यू मॉम कुछ भावनात्मक समस्याएं (संवेदनशील, चिड़चिड़ाहट, चिंता) महसूस करती हैं। उनके मूड स्विंग भी काफी होते हैं। ये लक्षण प्रसव के तीन से पांच दिनों के बाद ज्यादा दिखाई देते हैं। बच्चे की डिलिवरी के बाद हार्मोनल परिवर्तन की वजह से ऐसा होता है। कुछ दिनों के अंदर बिना किसी उपचार के ये लक्षण चले जाते हैं। यदि लक्षण दो सप्ताह से अधिक समय तक दिखें, तो यह पोस्टपार्टम डिप्रेशन (postpartum depression) की शुरुआत हो सकती है।
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डिलिवरी के बाद इमोशनल समस्याएं : लगाव न होना
पेरेंट्स को लगता है कि बच्चे की डिलिवरी के तुरंत बाद से ही उनका अटैचमेंट बच्चे से हो जाना चाहिए लेकिन कुछ माता-पिता को शिशु के साथ अटैच होने में कुछ दिन या हफ्ते भी लग सकते हैं। इससे पेरेंट्स को कभी-कभी स्ट्रेस और निराशा भी हो सकती है। आमतौर पर पेरेंट्स कुछ दिनों के भीतर अपने बच्चे से अधिक जुड़ाव महसूस करने लगते हैं। यदि कुछ हफ्तों के बाद भी ऐसा ना हो तो हेल्थ प्रोफेशनल से बात करना सही रहेगा।
डिलिवरी के बाद इमोशनल समस्याएं : एंग्जायटी (Anxiety)
बच्चे की डिलिवरी के बाद या पहले थोड़ी चिंता होना सामान्य है लेकिन, ज्यादा चिंता होना महिला और शिशु की सेहत के लिए ठीक नहीं है। गर्भावस्था के दौरान लगभग 14 से 16 प्रतिशत महिलाओं में क्लीनिकल लेवल की एंग्जायटी होती है, जो कि प्रसव के बाद आठ से 10 प्रतिशत रह जाती है।
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डिलिवरी के बाद इमोशनल समस्याएं : पोस्टपार्टम
डिप्रेशन (Postpartum Depression)
प्रसव के बाद होने वाला डिप्रेशन आमतौर पर बिना किसी ट्रीटमेंट के कुछ ही हफ्तों में ठीक हो जाता है। वहीं, ज्यादा दिनों तक रहने वाला अवसाद ‘पोस्टपार्टम डिप्रेशन’ कहलाता है, जो कुछ महीनों से लेकर सालों तक रह सकता है। है। पोस्टपार्टम अवसाद 10% -16% महिलाओं को होता है। इसका एक कारण महिलाओं के हार्मोंस (एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रोन, टेस्टोस्टेरोन) में बदलाव आना भी है जिसका असर उनके व्यवहार पर पड़ता है। बच्चे की डिलिवरी के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन्स की मात्रा में बदलाव आ जाता है। दरअसल, प्रेग्नेंसी के दौरान दोनों ही हार्मोन्स का स्तर अधिक हो जाता है, वहीं, बच्चे की डिलिवरी के बाद इनकी मात्रा अचानक से कम हो जाती है। बच्चे की डिलिवरी के लगभग 3 दिन बाद इनके स्तर दोबारा से संतुलित होते हैं। हालांकि, इस तरह हार्मोन्स के लेवल का कम-ज्यादा होना मां में डिप्रेशन का कारण बन सकता है। हालांकि, हजार में से कोई एक महिला ही बच्चे की डिलिवरी के बाद मानसिक रूप से बीमार पाई जाती हैं।
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डिलिवरी के बाद इमोशनल समस्याएं : पोस्टपार्टम साइकोसिस (Postpartum Psychosis)
दुर्लभ मामलों में नई मां को गंभीर अवसाद भी हो सकता है जिसे पोस्टपार्टम साइकोसिस (postpartum psychosis) कहते हैं। हालांकि, यह 1000 न्यू मॉम में से केवल एक या दो को ही प्रभावित करता है। इस दौरान महिलाएं अजीब व्यवहार कर सकती हैं। उसे वे आवाजें सुनाई दे सकती हैं या चीजें दिखाई दे सकती हैं जो वास्तव में वहां न हों। ऐसे में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
डिलिवरी के बाद इमोशनल समस्याएं : डर लगना
बच्चे के जन्म के बाद उसकी परवरिश कैसे करनी, उसके कैसे दूध पिलाना है, बच्चे की देखभाल कैसे करनी है ऐसी ही कई तमाम बाते और वजहें हो सकती हैं, जिसकी वजह से नई मां हमेशा डर महसूस करने लगती है। डिलिवरी के बाद इमोशनल समस्याएं (Emotional problems after delivery) पेरेंट्स को कई बार परेशान करती हैं। बच्चे के जन्म के बाद ज्यादातर नई मां बनीं महिलाओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन की संभावना देखी जाती है। उन्हें डर लगता है कि वो अपने बच्चे के पालन-पोषण की जिम्मेदारी सही से नहीं निभा सकती हैं।
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बच्चे और परिवार के साथ तालमेल बिठाने की समस्याएं
डिलिवरी के बाद इमोशनल समस्याएं (Emotional problems after delivery) हर नई मां के लिए सबसे बड़ी समस्या होती है कि वो अपने बच्चे के साथ तालमेल कैसे बनाएं। बच्चे की डिलिवरी के बाद एक महिला का जीवन पूरी तरह से बदल जाता है। इस दौरान उन्हें कई तरह की दैनिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है, जैसे- मां के सोने के समय में बच्चे का जागना या रोना, मां के खाने के समय में बच्चे का पेशाब करना या मल त्याग करना, आदि। कभी-कभी ये समस्याएं इतनी ज्यादा बढ़ सकती हैं कि मां को बच्चे की ऐसी आदतों से चिड़ भी हो सकती है। ऐसी समस्या होने पर आप किसी एक्सपर्ट की मदद लें सकती हैं।
बच्चे की डिलिवरी के बाद होने वाली इमोशनल समस्याएं किसी भी पेरेंट्स को हो सकती हैं। इन प्रॉब्लम्स से निपटा जा सकता है। इसके लिए माता-पिता शिशु पर ध्यान देने के साथ ही खुद पर भी ध्यान दें। जरूरी है कि जब भी संभव हो आप आराम करें। एक अच्छी दिनचर्या अपनाने से पोस्टपार्टम डिप्रेशन, एंग्जायटी जैसी इमोशनल समस्याओं से निपटने में आसानी होती है।
उम्मीद करते हैं कि आपको डिलिवरी के बाद इमोशनल समस्याएं (Emotional problems after delivery) कौन सी होती हैं इससे संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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