किसी भी महिला के लिए गर्भधारण करने के लिए पूरी योजना और एतिहात बरतने की जरूरत होती है। वहीं, कई बार सभी सावधानियां बरतने के बाद भी कंसीव करना मुश्किल हो जाता है। फैमिली ग्रोथ के राष्ट्रीय सर्वेक्षण (national family growth survey) के अनुसार, करीब 6.7 प्रतिशत महिलाएं इनफर्टिलिटी (प्रजनन संबंधी समस्या) का शिकार होती हैं। यह समस्या शरीर में कमजोरी या फिर महिला या पुरुष में किसी तरह की मेडिकल प्रॉब्लम के कारण हो सकती है। ऐसे में गर्भधारण करने के लिए ‘आईवीएफ (IVF)’ टेक्निक काम आती है। इसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (in vitro fertilization) कहा जाता है, लेकिन एम्ब्रियो ट्रांसफर मिथ लोगों के बीच काफी फैले हैं। “हैलो स्वास्थ्य’ के इस लेख में ऐसे ही दस एम्ब्रियो ट्रांसफर मिथ के बारे में विस्तार से बताया गया है।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन और एम्ब्रियो ट्रांसफर के मिथ क्या हैं?
आईवीएफ (IVF) को इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कहते हैं, यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से वे महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं, जिन्हें गर्भधारण में परेशानी आती है। दरअसल इस प्रॉसेस से महिला में दवाओं की मदद से फर्टिलिटी बढ़ाई जाती है जिसके बाद ओवम (अंडाणु/अंडों) को सर्जरी की मदद से निकाला जाता है और इसे लैब भेजा जाता है। लैब में पुरुष के स्पर्म (शुक्राणु) और महिला के ओवम को एक साथ मिलाकर फर्टिलाइज किया जाता है। 3-4 दिनों तक लैब में रखने के बाद फर्टिलाइज्ड भ्रूण (Embryo) को जांच के बाद महिला के गर्भाशय में इम्प्लांट किया जाता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार IVF के इस प्रॉसेस में 2 से 3 सप्ताह का वक्त लगता है। यूट्रस (बच्चेदानी) में एम्ब्रियो इम्प्लांट होने के 2 सप्ताह बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट से महिला के गर्भवती होने की जांच की जाती है। प्रेग्नेंसी टेस्ट के अलावा IVF प्रेग्नेंसी के लक्षण को भी समझा जा सकता है। एम्ब्रियो ट्रांसफर के मिथ और फैक्ट्स को भी जानना जरूरी है।
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एम्ब्रियो ट्रांसफर मिथ 1
एम्ब्रियो ट्रांसफर सिर्फ सेलेब्रिटी वर्ग के लिए होता है।
फैक्ट: मुंबई के इंदिरा आईवीएफ एंड टेस्ट ट्यूब बेबी ट्रीटमेंट के डॉ. नवीन सिंह का मानना है कि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) में खर्च आने के कारण इसे खासकर सेलेब्रिटी वर्ग के लिए माना जाता है। हालांकि, अन्य सर्जिकल ट्रीटमेंट की तुलना में एम्ब्रियो ट्रांसफर कम खर्चीला होता है।
एम्ब्रियो ट्रांसफर मिथ 2
सिर्फ यंग कपल्स को ही होता है इसका फायदा।
फैक्ट: एम्ब्रियो ट्रांसफर सभी एज ग्रुप के लिए होता है, लेकिन, 35 साल से ज्यादा उम्र होने पर डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना जरूरी है।
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एम्ब्रियो ट्रांसफर मिथ 3
एम्ब्रियो ट्रांसफर 100 प्रतिशत तक सक्सेसफुल होता है।
फैक्ट: स्वस्थ और सही उम्र में एम्ब्रियो ट्रांसफर से 40 प्रतिशत तक इसके सफल होने की संभावना होती है।
एम्ब्रियो ट्रांसफर मिथ 4
IVF से जन्म हुए बच्चों में शारीरिक परेशानी होती है।
फैक्ट: IVF से जन्म हुए बच्चों में ऐसी कोई शारीरिक परेशानी नहीं होती है। सामान्य बच्चों के तरह ही IVF से जन्म हुए बच्चे होते हैं।
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एम्ब्रियो ट्रांसफर मिथ 5
IVF प्रेग्नेंसी के लिए सही विकल्प नहीं है।
फैक्ट: गर्भावस्था के लिए IVF सुरक्षित विकल्प है सिर्फ 2 प्रतिशत लोगों में यह सक्सेसफुल नहीं हो पाता है।
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एम्ब्रियो ट्रांसफर मिथ 6
एम्ब्रियो ट्रांसफर के कारण हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ता है।
फैक्ट: इस प्रॉसेस के दौरान अस्पताल में एडमिट होने की जरूरत नहीं होती है। सिर्फ कुछ घंटों के लिए अस्पताल में रहने की जरूरत होती है। एम्ब्रियो इम्प्लांट के दौरान कपल्स को अस्पताल में रहने की सलाह डॉक्टर देते हैं।
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एम्ब्रियो ट्रांसफर मिथ 7
IVF प्रेग्नेंसी के कारण सिजेरियन डिलिवरी होती है।
फैक्ट: IVF प्रेग्नेंसी नैचुरल प्रेग्नेंसी की तरह है। यह पहले से सुनिश्चित नहीं होता है कि नॉर्मल डिलिवरी होगी या सिजेरियन डिलिवरी। डिलिवरी का वक्त नजदीक आने के साथ या डिलिवरी के दौरान गर्भवती महिला की और गर्भ में पल रहे शिशु की स्थिति को देखते हुए डॉक्टर डिलिवरी के विकल्पों का चयन करते हैं।
एम्ब्रियो ट्रांसफर मिथ 8
IVF के कारण कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
फैक्ट: साल 2013 और 2016 में हुए एक रिसर्च के अनुसार IVF के कारण कैंसर का खतरा हो सकता है, लेकिन साल 2018 में हुए 250,000 महिलाओं पर हुए रिसर्च के अनुसार ब्रेस्ट कैंसर या गर्भाशय के कैंसर की संभावना अत्यंत कम है।
एम्ब्रियो ट्रांसफर मिथ 9
सामान्य गर्भावस्था की तुलना में क्या आई वी एफ में गर्भपात यानी मिसकैरिज की संभावना ज्यादा है।
फैक्ट: गर्भपात का जोखिम सामान्य गर्भावस्था और आई वी एफ दोनों में ही बराबर है। असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीक आनुवांशिक असामान्यताओं के जोखिम को किसी प्रकार से घटाती या बढ़ाती नहीं है।
एम्ब्रियो ट्रांसफर मिथ 10
गर्भधारण के बाद सफर करना सुरक्षित है।
फैक्ट: 2 से 3 दिनों तक सफर ना करना उचित है। अगर मरीज दूसरे शहर से है और घर वापस लौटना चाहता है तो घर पहुंचने के बाद आराम अनिवार्य है।
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एम्ब्रियो ट्रांसफर मिथ 11
IVF से मल्टीप्ल प्रेग्नेंसी (एक ही प्रेग्नेंसी में दो या उससे अधिक बच्चों का जन्म) ही होती है।
फैक्ट: आईवीएफ में यदि एक से अधिक भ्रूण को गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है, तो एक से अधिक बच्चे हो सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है आईवीएफ में सिर्फ मल्टीप्ल प्रेग्नेंसी (multiple pregnancy) ही होती है। बहुत से ऐसे मामले भी हैं जहां आईवीएफ से सिर्फ एक ही शिशु का जन्म हुआ है।
एम्ब्रियो ट्रांसफर मिथ 12
भारत में आईवीएफ उपचार काफी महंगा है।
फैक्ट: दूसरे देशों की तुलना में भारत में आईवीएफ उपचार सस्ता ही है। ट्रीटमेंट की लागत हर राज्य, शहर में अलग-अलग हो सकती है। इसकी शुरुआत करीब 65 हजार रुपए हो सकती है। हालांकि, यह कीमत पूरी तक से निश्चित नहीं है, कभी-कभी इसमें लोकेशन के हिसाब से उतार-चढ़ाव हो सकता है।
एम्ब्रियो ट्रांसफर के बाद प्रेग्नेंसी में कितना समय लगता है?
आईवीएफ की प्रक्रिया के बाद प्रेग्नेंसी की पुष्टि होने के लिए आपको 12 से 14 दिन का इंतजार करना पड़ सकता है। आईवीएफ के दो सप्ताह बाद ही आप जान पाएंगी कि आपने गर्भधारण किया है या नहीं। इसके लिए आप घर में ही यूरिन टेस्ट करके प्रेग्नेंसी टेस्ट (pregnancy test) कर सकती हैं। परीक्षण के बाद जो भी परिणाम आए, अपने डॉक्टर को बताएं।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको एम्ब्रियो ट्रांसफर मिथ और उससे जुड़े फैक्ट्स समझ आ गए होंगे। अगर फिर भी आपको इससे संबंधित किसी अन्य सवाल का जवाब चाहिए, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में हमसे जरूर पूछें। इसके अलावा, यह लेख उन महिलाओं के साथ शेयर करना न भूलें, जिन्हें गर्भधारण करने में समस्या आ रही है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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