अंडरएक्टिव थायरॉइड (Underactive thyroid) या हायपोथायरॉइडिज्म (hypothyroidism) ऐसी कंडीशन है जिसमें व्यक्ति की थायरॉइड ग्रंथी ठीक तरह से काम नहीं करतीं। यानी ये ग्रंथि शरीर के लिए बेहद जरूरी हार्मोन्स का पर्याप्त निर्माण नहीं कर पाती हैं। बता दें कि थायरॉइड ग्रंथि से निकले हार्मोन हमारे शरीर के हर हिस्से को प्रभावित करते हैं। इसी वजह से अंडरएक्टिव थायरॉइड (underactive thyroid) प्रेग्नेंसी की स्थिति सीधे प्रभावित करती है। साथ ही यह दिल, दिमाग, मांसपेशियां से लेकर हमारी स्किन पर भी इसका सीधा असर होता है। थायरॉइड ग्रंथि हमारे शरीर के मैटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है। ऐसे में अगर थायरॉइड हार्मोन कम होते हैं तो पूरे शरीर की गतिविधि धीमी पड़ जाती है। खासतौर पर महिलाओं में अगर हायपोथायरॉइडिज्म होता है तो ये उनके प्रेग्नेंट होने में अड़चन पैदा करने लगता है और उनकी फर्टिलिटी पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। इस आर्टिकल में हम आपको प्रेग्नेंसी में हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism in pregnancy) के बारे में जानकारी देंगे।
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प्रेग्नेंसी में हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism in pregnancy)
यदि किसी महिला को हायपोथायरॉइडिज्म की परेशानी है तो सबसे पहले तो उसे कंसीव करने में ही बहुत दिक्कतों का सामना करना होगा। हो सकता है आपको लंबे समय तक हैवी पीरियड्स होने के कारण एनीमिया की शिकायत हो या आपके पीरियड्स पूरी तरह रूक गए हो। एक बार आप इसकी दवा लेंगे तो आपके थायरॉइड हॉर्मोन वापस से नॉर्मल हो जाएंगे और आप प्रेग्नेंट हो सकती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान आपको लेवोथायरॉक्सिन की अधिक डोज, खासतौर से प्रेग्नेंसी के शुरुआती 4 महीने तक रिकमेंड की जा सकती है। ऐसा इसलिए जिससे बच्चे को थायरॉइड हॉर्मोन की सप्लाई सही से हो सके।
थायरॉइड ग्रंथि चयापचय को प्रभावित करने वाले हॉर्मोन का उत्पादन करती है, जो कई शारीरिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करती है। उन हॉर्मोनों के बिना, आपका अपना शरीर अच्छी तरह से काम नहीं कर सकता है, जो आपके अंदर बहुत कम बच्चे हैं।
- एक रिसर्च के मुताबिक अमेरिका की 3 प्रतिशत महिलाओं को हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism) की समस्या है। ऐसे में अगर प्रेग्नेंसी के दौरान सही ट्रीटमेंट न मिले तो प्रेग्नेंट महिलाओं में मिसकैरिज समेत कई तरह की प्रेग्नेंसी संबंधित समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
- दूसरा बड़ा खतरा यह है कि इसका नकारात्मक प्रभाव बच्चे पर भी पड़ता है। एक अध्ययन के मुताबिक हायपोथायरॉइडिज्म (hyp0thyroidism) से ग्रस्त महिलाओं ने जिन बच्चों को जन्म दिया उनका आईक्यू लेवल कम पाया गया। विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि थायरॉइड हार्मोन बच्चे के दिमागी विकास के लिए भी जिम्मेदार होता है।
- 5 से 15 प्रतिशत महिलाओं में प्रेग्नेंसी की उम्र तक आते-आते थायरॉइड ऑटेएंटीबॉडीज काम करना शुरू कर देती हैं। अगर प्रेग्नेंसी से पूर्व जांच में टेस्ट पॉजिटिव पाए जाते हैं तो प्रेग्नेंसी के दौरान हर 4-6 हफ्ते में थायरॉइड हार्मोन की जांच करानी चाहिए। ऐसा इसलिए कि महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान हायपोथायरॉइड न हो जाए।
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प्रेग्नेंसी में हायपोथायरॉइडिज्म के लक्षण (Symptoms of hypothyroidism in pregnancy)
प्रेग्नेंसी में भी हायपोथायरॉइडिज्म के लक्षण वहीं होते हैं जो अन्य लोगों को होते हैं, जैसे:
- अत्यधिक थकान महसूस होना (extreme tiredness)
- बहुत ज्यादा ठंड लगना (trouble dealing with cold)
- मांसपेशियों में ऐंठन होना (muscle cramps)
- गंभीर कब्ज की दिक्कत होना (severe constipation)
- याददाश्त कमजोर होना या कहीं ध्यान न लगा पाना (problems with memory or concentration)
प्रेग्नेंसी में हायपोथायरॉइडिज्म के कारण (Causes of hypothyroidism in pregnancy)
प्रेग्नेंसी में हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism in pregnancy) या गर्भावस्था में हायपोथायरॉइडिज्म आमतौर पर हाशिमोटो रोग (Hashimoto’s disease) के कारण होता है। हाशिमोटो डिजीज एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी बनाती है जो थायरॉइड पर हमला करती है। इससे सूजन औऱ डैमेज होती है जो थायरॉइड हॉर्मोन को बनाने में कम सक्षम बनाती है।
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हायपोथायरॉइडिज्म (hyp0thyroidism) मां और बच्चे को कैसे प्रभावित करता है?
प्रेग्नेंसी में हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism in pregnancy) या गर्भावस्था में हायपोथायरॉइडिज्म का सही इलाज न हो तो निम्न परेशानियां हो सकती हैं:
- प्रीक्लेम्पसिया (preeclampsia)- गर्भावस्था में रक्तचाप की खतरनाक वृद्धि की स्थिति बन सकती है
- रक्ताल्पता (Anemia)
- गर्भपात (Miscarriage)
- जन्म के वक्त, शिशु के वजन मे कमी होना (Low birthweight)
- स्टिलबर्थ (Stillbirth)
- दिल की विफलता (congestive heart failure)
थायरॉइड हॉर्मोन बच्चे के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, विशेष रूप से पहली तिमाही के दौरान। यदि बच्चे को यह सही मात्रा में नहीं मिलता है तो इससे कम बुद्धि और सामान्य विकास के साथ समस्याओं का कारण बन सकता है। प्रेग्नेंसी में हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism in pregnancy) होने पर समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी है।
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महिलाओं में हायपोथायरॉइडिज्म (hyp0thyroidism) का इलाज
महिलाओं को इनफर्टिलिटी से बचने के लिए हायपोथायरॉइडिज्म का इलाज कराना बेहद जरूरी है। अगर हायपोथायरॉइडिज्म के इलाज के बावजूद इंफर्टिलिटी रहती है तो मरीज को और मेडिकल जांच की जरूरत होती है।
आमतौर पर डॉक्टर्स हायपोथायरॉइडिज्म के मरीज को लीवोथायरोक्सिन नाम सिंथेटिक हार्मोन देते हैं, लेकिन अगर महिला प्रेग्नेंट हो जाए तो डॉक्टर्स से सलाह लेना जरूरी है क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को इसके ज्यादा डोज की जरूरत पड़ती है। वहीं ये दवाई बच्चे के लिए सुरक्षित होती है।
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अगर मुझे अंडरएक्टिव थायरॉइड (Underactive Thyroid) है तो क्या करूं?
अगर महिला अंडरएक्टिव थायरॉइड (underactive thyroid) या हायपोथायरॉइडिज्म से ग्रसित हैं और मां बनना चाहती हैं तो डॉक्टरी सलाह अवश्य लें। डॉक्टर जांच करके देख सकता है कि आपका हायपोथायरॉइडिज्म नियंत्रण में है या नहीं। अगर आपको प्रेग्नेंसी के पहले से ही हायपोथायरॉइडिज्म है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर को इससे अवगत कराएं। इस स्थिति में आपके थायरॉइड हार्मोन्स के स्तर पर कड़ी निगरानी रखी जाएंगी। ये निगरानी आपकी प्रेग्नेंसी के अंत तक चलेगी, जिससे बच्चा गिरने का और उसके एबनॉर्मल होने का खतरा न रहे। प्रेग्नेंसी में हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism in pregnancy) होने पर खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को हायपोथायरॉइडिज्म की स्थिति में निम्नलिखित चीजों को डायट में शामिल करना चाहिए:
- अंडा: अंडे में आयोडीन और सिलेनियम होता है, जो शरीर में प्रोटीन की मात्रा को बनाए रखने में मदद करता है।
- मछली: मछली को डायट में शामिल करें। खासकर सेलमोन और टूना का सेवन करें। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो इम्यून सिस्टम को ठीक रखने में मदद करता है।
- फलों का सेवन करें: केला, संतरा और बेरी का सेवन करना बेहतर होगा।
- डेरी प्रोडक्ट्स: दूध, योगर्ट और चीज का सेवन किया जा सकता है क्योंकि इसमें मौजूद प्रोबायोटिक थायरॉइड पेशेंट के लिए लाभदायक होता है।
- ग्लूटन फ्री अनाज: इसके लिए डायट में चिया सीड्स और फ्लेक्स सीड्स को शामिल करें।
- हरी सब्जियों का सेवन है जरूरी: सभी तरह की हरी सब्जियों का सेवन करें। बस ध्यान रखें कि गोईट्रोजेन युक्त सब्जियां जैसे फूलगोभी, ब्रोकली, सरसों का साग या चाइनीज पत्ता गोभी का सेवन न करें।
हम आशा करते हैं आपको प्रेग्नेंसी में हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism in pregnancy) या गर्भावस्था में हायपोथायरॉइडिज्म संबंधित यह लेख पसंद आया होगा। अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना ना भूलें।
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