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3. शतावरी में ग्लूटाथिओन मौजूद होता है
शतावरी में ग्लूटाथिओन मौजूद होता है, जो गर्भवती महिला के सेहत के लिए हितकारी होता है। इसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स एंटीऑक्सिडेंट की तरह काम करता है। इससे शिशु में जन्मजात बीमारियों का खतरा कम होता है और DNA को भी डैमेज होने से बचाता है।
4. कैल्शियम की मौजूदगी
शरीर को फिट रखने के लिए अन्य खनिज तत्व की तरह कैल्शियम भी आवश्यक होता है। कैल्शियम की कमी हड्डियों और दातों को कमजोर कर सकती है। इसलिए गर्भावस्था में शतावरी के सेवन से गर्भ में पल रहे शिशु में कैल्शियम की कमी नहीं होती है और नवजात भी स्वस्थ्य होता है। रिसर्च के अनुसार यह गर्भ में पल रहे फीटस के विकास में भी सहायक होता है।
5. विटामिन-सी की उपस्थिति
शतावरी में विटामिन-सी की भरपूर मात्रा शरीर को पोषण पहुंचाने में मदद करती है। इसके सेवन से इम्यूनिटी बढ़ने के साथ ही वायरल इंफेक्शन का खतरा भी कम होता है और त्वचा हेल्दी होती है।
6. विटामिन-ई
गर्भवती महिला और फीटस दोनों के लिए विटामिन-ई आवश्यक होता है। शतावरी में विटामिन-ई की प्रचुर मात्रा शरीर को टॉक्सिन से बचाती है। गर्भ में पल रहे शिशु के नर्व को बेहतर रखने में भी यह मदद करती है। अत: गर्भावस्था में शतावरी का उपयोग महिला को कई सारे लाभ पहुंचाता है।
7. विटामिन बी-6
विटामिन-बी 6 (पाइरिडोक्सिन) का उपयोग आमतौर पर एक प्रकार के एनीमिया (सिडरोबलास्टिक एनीमिया) के इलाज के लिए किया जाता है। साथ ही पाइरिडोक्सिन की कमी, हाई होमोसिस्टीन ब्लड लेवल, नवजात शिशुओं को पड़ने वाले दौरे के इलाज लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। इसमें विटामिन बी-6 भी भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यानी गर्भावस्था में शतावरी के सेवन से फायदे तो हैं ही इसके बाद भी इसका सेवन उपयोगी साबित होता है।