प्रेग्नेंसी में हायपोथायरॉइडिज्म के कारण (Causes of hypothyroidism in pregnancy)
प्रेग्नेंसी में हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism in pregnancy) या गर्भावस्था में हायपोथायरॉइडिज्म आमतौर पर हाशिमोटो रोग (Hashimoto’s disease) के कारण होता है। हाशिमोटो डिजीज एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी बनाती है जो थायरॉइड पर हमला करती है। इससे सूजन औऱ डैमेज होती है जो थायरॉइड हॉर्मोन को बनाने में कम सक्षम बनाती है।
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हायपोथायरॉइडिज्म (hyp0thyroidism) मां और बच्चे को कैसे प्रभावित करता है?
प्रेग्नेंसी में हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism in pregnancy) या गर्भावस्था में हायपोथायरॉइडिज्म का सही इलाज न हो तो निम्न परेशानियां हो सकती हैं:
- प्रीक्लेम्पसिया (preeclampsia)- गर्भावस्था में रक्तचाप की खतरनाक वृद्धि की स्थिति बन सकती है
- रक्ताल्पता (Anemia)
- गर्भपात (Miscarriage)
- जन्म के वक्त, शिशु के वजन मे कमी होना (Low birthweight)
- स्टिलबर्थ (Stillbirth)
- दिल की विफलता (congestive heart failure)
थायरॉइड हॉर्मोन बच्चे के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, विशेष रूप से पहली तिमाही के दौरान। यदि बच्चे को यह सही मात्रा में नहीं मिलता है तो इससे कम बुद्धि और सामान्य विकास के साथ समस्याओं का कारण बन सकता है। प्रेग्नेंसी में हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism in pregnancy) होने पर समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी है।
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महिलाओं में हायपोथायरॉइडिज्म (hyp0thyroidism) का इलाज
महिलाओं को इनफर्टिलिटी से बचने के लिए हायपोथायरॉइडिज्म का इलाज कराना बेहद जरूरी है। अगर हायपोथायरॉइडिज्म के इलाज के बावजूद इंफर्टिलिटी रहती है तो मरीज को और मेडिकल जांच की जरूरत होती है।
आमतौर पर डॉक्टर्स हायपोथायरॉइडिज्म के मरीज को लीवोथायरोक्सिन नाम सिंथेटिक हार्मोन देते हैं, लेकिन अगर महिला प्रेग्नेंट हो जाए तो डॉक्टर्स से सलाह लेना जरूरी है क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को इसके ज्यादा डोज की जरूरत पड़ती है। वहीं ये दवाई बच्चे के लिए सुरक्षित होती है।
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अगर मुझे अंडरएक्टिव थायरॉइड (Underactive Thyroid) है तो क्या करूं?
अगर महिला अंडरएक्टिव थायरॉइड (underactive thyroid) या हायपोथायरॉइडिज्म से ग्रसित हैं और मां बनना चाहती हैं तो डॉक्टरी सलाह अवश्य लें। डॉक्टर जांच करके देख सकता है कि आपका हायपोथायरॉइडिज्म नियंत्रण में है या नहीं। अगर आपको प्रेग्नेंसी के पहले से ही हायपोथायरॉइडिज्म है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर को इससे अवगत कराएं। इस स्थिति में आपके थायरॉइड हार्मोन्स के स्तर पर कड़ी निगरानी रखी जाएंगी। ये निगरानी आपकी प्रेग्नेंसी के अंत तक चलेगी, जिससे बच्चा गिरने का और उसके एबनॉर्मल होने का खतरा न रहे। प्रेग्नेंसी में हायपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism in pregnancy) होने पर खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को हायपोथायरॉइडिज्म की स्थिति में निम्नलिखित चीजों को डायट में शामिल करना चाहिए: