डिलिवरी की दोनों ही प्रक्रिया के कुछ फायदे हैं। ज्यादातर महिलाएं सिजेरियिन और नॉर्मल डिलिवरी को लेकर संशय में रहती हैं। इसके पीछे जानकारों में एक राय न होना भी एक बड़ा कारण है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर किन परिस्थितियों में यह दोनों प्रक्रिया फायदेमंद हैं। आज हम आपको डिलिवरी की दोनों ही प्रक्रिया के फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं। जिनको समझना आपके लिए जरूरी है। सिजेरियन और नॉर्मल डिलिवरी में सबसे जानते हैं सी-सेक्शन यानी सिजेरियन के फायदे।
सिजेरियन डिलिवरी के फायदे:
बच्चे की ब्रीच पुजिशन में मददगार सिजेरियन डिलिवरी
सिजेरियन और नॉर्मल डिलिवरी के फायदे के बारे में जानने से पहले जानिए सिजेरियन डिलिवरी के बारे में। सामान्य प्रेग्नेंसी की अवस्था में बच्चा गर्भाशय में खुद अपनी स्थिति को बदल लेता है। सामान्य प्रेग्नेंसी में बच्चे का सिर गर्भाशय के मुख की तरफ और पैर पेल्विक की तरफ होते हैं। ब्रीच पुजिशन में बच्चे का सिर पेल्विक की तरफ और पैर गर्भाशय की तरफ होते हैं। गर्भाशय में बच्चे की इस स्थिति को ब्रीच पुजिशन के नाम से जाना जाता है।
यह स्थिति मां और बच्चे दोनों के लिए ही खतरनाक होती है। बच्चे का सिर पेल्विक में फंसा होता है, जिसकी चलते सामान्य डिलिवरी में ऑक्सिजन सप्लाई रुक सकती है। हालांकि, प्रेग्नेंसी के 35 से लेकर 36 हफ्तों तक ब्रीच पुजिशन को नहीं माना जाता। इस अवधि के बाद बच्चे का आकार बड़ा हो जाता है, जिसकी वजह से उसका गर्भाशय में घूमना मुश्किल हो जाता है।
डॉक्टर बच्चे की पुजिशन का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड या विशेष एक्स-रे का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस स्थिति में सिजेरियन डिलिवरी मां और बच्चे दोनों को सुरक्षित रखने का काम करती है। सिजेरियन सर्जरी के माध्यम से बच्चे को गर्भाशय से तत्काल बाहर निकाल लिया जाता है।
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प्लेसेंटा प्रीविया में सिजेरियन का फायदा
सिजेरियन और नॉर्मल डिलिवरी के फायदे के बारे में जानने से पहले जानिए सिजेरियन डिलिवरी के बारे में। प्लेसेंटा पूर्णतः या आंशिक रूप से गर्भाशय के मुंह को ढंक लेता है। इस स्थिति को प्लेसेंटा प्रीविया कहा जाता है। लो लाइन प्लेसेंटा, पार्शियल प्लेसेंटा, मार्जिनल प्लेसेंटा प्रीविया मां और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है। प्रेग्नेंसी के शुरुआती 20 सप्ताह (पांच महीने) तक प्लेसेंटा बच्चेदानी में नीचे की तरफ होता है। 20 सप्ताह बाद यह अपने आप गर्भाशय के ऊपर आ जाता है। प्लेसेंटा प्रीविया की स्थिति में यह बच्चेदानी के मुंह के निकट या उसे पूरी तरह ढंक लेता है।
इस स्थिति में सामान्य डिलिवरी कराते वक्त बच्चे से पहले प्लेसेंटा बाहर आ जाता है। प्लेसेंटा और गर्भाशय के कई रक्त वाहिकाएं होती हैं। सामान्य डिलिवरी की कोशिश में यह रक्त वाहिकाएं फटने का डर रहता है। इसकी वजह महिला को भारी ब्लीडिंग हो सकती है।
कई मामलों में यह ब्लीडिंग मां और बच्चे दोनों के लिए जानलेवा साबित होती है। ऑक्सिजन की सप्लाई की रुकने की स्थिति में गर्भाशय में बच्चे की मौत हो सकती है। इस स्थिति में सिजेरियन डिलिवरी सबसे ज्यादा कारगर साबित होती है। इससे मां और बच्चे दोनों की जान बचाई जा सकती है।
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जुड़वा बच्चों में सिजेरियन का फायदा
सिजेरियन और नॉर्मल डिलिवरी के फायदे के बारे में जानने से पहले जानिए सिजेरियन डिलिवरी के बारे में। गर्भाशय में जुड़वा बच्चे होने की स्थिति में सामान्य डिलिवरी कराना मुश्किल होता है। कई बार एक बच्चा सामान्य तो दूसरा ब्रीच पुजिशन में होता है। सामान्य डिलिवरी की कोशिश में गर्भनाल फटने का खतरा रहता है। ऐसे में सिजेरियन डिलिवरी मां और बच्चे दोनों के जीवन की सुरक्षा करती है।
अध्ययनों में सिजेरियन के फायदों की पुष्टि हुई
युनाइटेड किंग्डम की यूनिवर्सिटी ऑफ इडनबर्ग में एमआरसी सेंटर फोर रिप्रोडक्टिव हेल्थ के सारह स्टॉक ने सिजेरियन पर उपलब्ध तमाम शोध का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि सिजेरियन डिलिवरी पेल्विक प्रोलेप्स और यूरिनरी इनकोन्टिनेंट के खतरे को कम करती है। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि जरूरत पड़ने पर ही सिजेरियन डिलिवरी की जानी चाहिए।
सामान्य डिलिवरी के फायदे:
मजबूत होती है रोग रोधी क्षमता
सिजेरियन और नॉर्मल डिलिवरी अलग प्रोसेस हैं। सामान्य डिलिवरी में बच्चा बर्थ केनाल से होकर गुजरता है। इस दौरान अच्छे बैक्टीरिया उसके अंदर जाते हैं। इन बैक्टीरिया को माइक्रोबायोम कहा जाता है। यह बच्चे की सेहत और रोग रोधी क्षमता को मजबूत करते हैं। जोकि बच्चे के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
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अस्पताल से जल्द मिलती है छुट्टी
सिजेरियन के मुकाबले सामान्य डिलिवरी में आपको अस्पताल में कम समय बिताना होता है। यह समय सीमा 24-48 घंटे की हो सकती है। वहीं, सिजेरियन डिलिवरी में इससे ज्यादा समय लगता है। इसे नॉर्मल डिलिवरी का एक बड़ा फायदा कहा जाता है।
सर्जरी के खतरों से होता है बचाव
सिजेरियन और नॉर्मल डिलिवरी में नॉर्मल डिलिवरी को बेस्ट माना जाता है। समान्य डिलिवरी में आप सर्जरी से बच जाती हैं। सिजेरियन में कई बार एनस्थीसिया का बॉडी पर गलत प्रभाव पड़ता है। इसमें संक्रमण, ब्लीडिंग और ब्लड क्लॉट्स का भी खतरा रहता है।
इसके अतिरिक्त, यूटरस, बॉवेल या ब्लैडर को नुकसान पहुंचने का खतरा भी रहता है। कई बार सिजेरियन सर्जरी के चलते एम्नियोटिक फ्लूड महिला की ब्लड स्ट्रीम में मिल जाता है। जोकि महिला के लिए नुकसानदायक हो सकता है। सामान्य डिलिवरी में आपको इन समस्याओं का खतरा कम रहता है।
तत्काल करा सकती हैं स्तनपान
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ) के मुताबिक, शिशु के जन्म के तुरंत बाद ही मां को स्तनपान कराना चाहिए। स्तनपान मां और बच्चे के बीच के रिश्ते को मजबूत करता है। सामान्य डिलिवरी की अवस्था में महिला तुरंत शिशु को स्तनपान करा सकती है। पहला स्तनपान शिशु के लिए स्वास्थ्यवर्धक होता है। सिजेरियन डिलिवरी में मां के लिए तत्काल स्तनपान कराना मुश्किल होता है।
शिशु रहता है बीमारियों से सुरक्षित
प्लोस मेडिसिन में प्रकाशित 80 अध्ययनों की समीक्षा में यह पाया गया कि सामान्य डिलिवरी में बच्चे को जन्मजात दमा और मोटापे की समस्या का खतरा नहीं रहता है। वहीं, सिजेरियन में दमे का 21% और मोटापे का 59% खतरा बढ़ जाता है।
अब तो आप सिजेरियन और नॉर्मल डिलिवरी के फायदे समझ गए होंगे। अत: सिचुएशन के हिसाब से ऑप्शन को चुने और घबराएं नहीं।
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