वजायनल डिलिवरी (vaginal delivery) और सिजेरियन सेक्शन (Caesarean section) के बारे में तो आपने सुना होगा, लेकिन शायद आप स्पोंटेनियस वजायनल डिलिवरी (spontaneous vaginal delivery) के बारे में नहीं जानते होंगे। स्पोंटेनियस वजायनल डिलिवरी वजायनल डिलिवरी की वह प्रक्रिया है जो अपने आप होती है। इसके लिए डॉक्टर के इंस्ट्रूमेंट्स (बच्चे को बाहर निकालने के उपयोग किए जाते हैं) की आवश्यकता नहीं होती। गर्भवती महिला के लेबर में जाने के बाद सर्विक्स 10 सेंटीमीटर तक डायलेट (DILATE) होता है और फिर स्पोंटेनियस वजायनल डिलिवरी (spontaneous vaginal delivery) की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। बता दें कि वजायनल डिलिवरी बच्चे को जन्म देने का एक तरीका है जिसकी सिफारिश ज्यादातर हेल्थ एक्सपर्ट करते हैं। वजायनल डिलिवरी तब होती जब बेबी का विकास पूरी तरह हो जाता है। सिजेरियन डिलिवरी और इंडूस्ड लेबर (induced labor) जैसे ऑप्शन की तुलना में यह प्रक्रिया आसान है।
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स्पोंटेनियस वजायनल डिलिवरी की प्रक्रिया (Process of spontaneous vaginal delivery)
लेबर की शुरुआत सामान्यत: म्यूकस प्लग (mucous plug) के पास होने के साथ होती है। यह म्यूकस का एक क्लॉट होता है जो यूटेरस (Uterus) को प्रेग्नेंसी के दौरान बैक्टीरिया से बचाता है। इसके बाद जल्द ही महिला का वाटर ब्रेक (Water break) हो सकता है। इसे मेम्ब्रेन का रप्चर (membrane rupture) होना भी कहते हैं। वाटर ब्रेक तब तक नहीं होता जब तक कि लेबर पूरी तरह से कंप्लीट नहीं हो जाता। जैसे ही लेबर शुरू होता है स्ट्रॉन्ग कॉन्ट्रेक्शन्स बच्चे को बर्थ कैनाल में पुश करने में मदद करते हैं। लेबर की प्रक्रिया हर महिला में अलग होती है। पहली बार बच्चे को जन्म देने वाली महिला 12-24 घंटे तक लेबर का अनुभव कर सकती है। वहीं पहले मां बन चुकी गर्भवती महिला को 6-8 घंटे तक लेबर में रहना पड़ सकता है।
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निम्न तीन लक्षण जिन्हें देखकर पता चलता है कि स्पोंटेनियस डिलिवरी हो सकती है।
- कॉन्ट्रेक्शन्स (Contractions) सर्विक्स (Cervix) को डायलेट (dilate) करते हैं और सॉफ्ट बनाते हैं जब तक कि यह बेबी के बाहर आने के लिए फ्लेगजिबल न बन जाए।
- मां को बच्चे को बर्थ कैनाल (Birth canal) की तरफ पुश करती है जब तक बच्चे जन्म ना हो जाए।
- एक घंटे के अंदर मां प्लासेंटा (Placenta) को बाहर कर देती है। जो कि मां और बेबी को एंबिकल कोर्ड (umbilical cord) के जरिए जोड़ता है।
सभी महिलाओं के लिए उचित ऑप्शन नहीं है स्पोंटेनियस वजायनल डिलिवरी (spontaneous vaginal delivery)
सभी गर्भवती महिलाओं को स्पोंटेनियस डिलिवरी रिकमंड नहीं की जाती है। निम्न स्वास्थ्य स्थितियां होने पर डॉक्टर्स स्पोंटेनियस डिलिवरी के लिए मना कर सकते हैं।
- प्लासेंटा प्रीविया (placenta previa) की स्थिति होने पर। इस कंडिशन में प्लासेंटा पूरी तरह या आंशिक रूप से गर्भाशय के मुंह को कवर कर लेता है।
- अगर गर्भवती महिला को हर्पीस (herpes) हो और उसके घाव एक्टिव हों
- एचआईवी इंफेक्शन (HIV infection) होने पर
- किसी प्रकार की यूटेराइन सर्जरी (uterine surgeries) होने पर
- दो से ज्यादा सिजेरियन डिलिवरी अगर पहले हो चुकी हैं
इन महिलाओं को सिजेरियन डिलिवरी के ऑप्शन को अपनाना पड़ता है।
स्पोंटेनियस वजायनल डिलिवरी (spontaneous vaginal delivery) को समझने में मददगार चाइल्ड बर्थ क्लासेज
अगर आप वजायनल डिलिवरी या स्पोंटेनियस वजायनल डिलिवरी के लिए तैयारी करना चाहते हैं तो इसके लिए चाइल्ड बर्थ क्लासेज (Child birth classes) बेस्ट हो सकती हैं। किसी फ्रेंड या परिचित से उनकी डिलिवरी की कहानी सुनने से आपको अपने सवालों के जवाब नहीं मिल पाते। चाइल्ड बर्थ क्लासेज में गर्भवती महिला और पार्टनर दोनों को लेबर (labor), डिलिवरी और इस दौरान आने वाली चुनौतियों का सामना कैसे करना चाहिए इससे जुड़ी जानकारियां दी जाती हैं। चाइल्ड बर्थ क्लासेज में निम्न जानकारियां दी जाती हैं।
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लेबर की पूरी जानकारी (complete knowledge of labor)
यहां आपको लेबर की पहली स्टेज (First stage of labor) से तीसरी स्टेज तक के बारे में पूरी जानकारी के साथ ही लेबर के लक्षणों की जानकारी दी जाती है ताकि लेबर की शुरुआत को आप पहचान सकें। साथ ही आपको ये भी पता चल सके कि जब बेबी बाहर आने के लिए तैयार हो जाता है तब बॉडी में किस प्रकार के चेजेंस होते हैं। यहीं पर आप स्पोंटेनियस वजायनल डिलिवरी के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
अपने डर और चिंता के बारे में कर सकते हैं बात
चाइल्ड बर्थ क्लासेज के दौरान आप डिलिवरी को लेकर जो डर और चिंता है उसका निवारण कर सकते हैं। वहां मौजूद इंस्ट्रक्टर आपके मिथकों को तोड़कर सही जानकारी देंगे। रिचर्स का कहना है कि जो लोग चाइल्ड बर्थ क्लासेज अटैंड करते हैं उन्हें लेबर और डिलिवरी प्रॉसेस के बारे में ज्यादा जानकारी होती है उनकी तुलना में जो क्लास अटैंड नहीं करते। इसके साथ ही वे डिलिवरी के दौरान क्या होगा कैसे होगा जैसे डर से भी मुक्त हो जाते हैं।
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लेबर (labor) के दौरान दर्द को हैंडल करना सिखाते हैं
यहां आपको कॉन्ट्रैक्शन के दौरान होने वाले दर्द को हैंडल करना सिखाया जाता है। जिसमें ब्रीदिंग टेक्निक (Breathing technique), रिलैक्सेशन टेक्निक शामिल हैं। इसके साथ ही दवाओं के नुकसान और फायदों के बारे में भी बताया जाता है। यहां गर्भवती महिला के पार्टनर को लेबर या डिलिवरी के दौरान कैसे सपोर्ट करना चाहिए इसकी भी पूरी जानकारी दी जाती है।
न्यूबॉर्न (newborn) से जुड़ी जानकारी
स्पोंटेनियस वजायनल डिलिवरी, सिजेरियन डिलिवरी से जुड़ी जानकारी देने के अलावा हाल ही में जन्मे बच्चे की केयर कैसे करें? ब्रेस्टफीडिंग कैसे कराएं? डायपर बदलना और बच्चे को नहलाने जैसी जानकारियां दी जाती हैं।
चाइल्ड बर्थ क्लास (Child birth Class) कब जॉइन करना चाहिए?
चाइल्ड बर्थ क्लासेज थर्ड ट्राइमेस्टर (third trimester) में लेने की सलाह दी जाती है, लेकिन आप इसे लेबर के पहले कभी भी ले सकते हैं। कुछ महिलाएं प्रेग्नेंसी की शुरुआत में ही चाइल्ड बर्थ क्लासेज लेना शुरू कर देती है ताकि वे गर्भावस्था से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी हासिल कर लें और तैयारी कर सकें।
अगर आप स्पोंटेनियस वजायनल डिलिवरी का ऑप्शन बनाना चाहती हैं या इसके बारे में अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहती हैं तो इस बारे में डॉक्टर से राय लें। वे आपकी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए सही सलाह देंगे। कई बार कुछ कॉम्प्लिकेशन के चलते डॉक्टर को सिजेरियन डिलिवरी या अन्य ऑप्शन्स का चुनाव करते हैं।
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उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और स्पोंटेनियस वजायनल डिलिवरी से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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