प्रसव के बाद कुछ घंटों या कुछ दिनों तक जब महिला को लगातार कम या भारी मात्रा में ब्लीडिंग हो तो उसे पोस्टपार्टम ब्लीडिंग या प्रसव उपरांत रक्तस्राव कहा जाता है। नॉर्मल डिलिवरी के बाद पोस्टपार्टम ब्लीडिंग में पहले 24 घंटों में लगभग 500 मिलीलीटर वहीं सिजेरियन डिलिवरी हो तो 1000 मिलीलीटर तक रक्तस्राव हो सकता है। इस दौरान ब्लीडिंग में अधिक ब्लड बाहर आने से महिलाओं में ब्लड की कमी हो सकती है। परिणामस्वरूप घबराहट, श्वास लेने में कठिनाई आदि शिकायतें हो सकती हैं। इसे पीपीएच के नाम से भी जाना जाता है। कई बार यह खतरनाक हो सकता है और इससे मां की मौत भी हो सकती है।
रिसर्च के अनुसार पोस्टमार्टम ब्लीडिंग केवल 2% डिलिवरी में होती है। वह भी उन महिलाओं में जिनका प्रसव लंबा रहा हो या जुड़वां बच्चे (Twins) का जन्म हो। यदि गर्भाशय में किन्हीं कारणों से इंफेक्शन हो तब भी यह परेशानी हो सकती है। यह डिलिवरी के दौरान मां की मौत का तीसरा बड़ा कारण है।
पोस्टपार्टम ब्लीडिंग क्यों होती है? (Postpartum Bleeding)
आमतौर पर जब डिलिवरी के समय गर्भनाल बाहर आने के बाद यूट्रस कॉन्ट्रेक्शन (Uterus contractions) नहीं कर पाता अथवा यूट्रस सर्विक्स या योनि में किसी तरह का इंफेक्शन हो तब प्रसव के बाद रक्तस्राव होता है। इस दौरान शुरुआत से ही गर्भाशय की मालिश करके इसे रोकने में मदद मिलती है। यदि ब्लीडिंग गंभीर और लगातार हो तो डॉक्टर ऑक्सिटोक्सिन (Oxytocin) का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे संकुचन को उत्तेजित किया जाता है।
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पीपीएच (पोस्टपार्टम ब्लीडिंग) के क्या कारण हैं? (Causes of postpartum bleeding)
प्रसव के बाद रक्तस्राव होने के मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
टोन, ट्रॉमा, टिश्यू, और थ्रोम्बिन। इन्हें 4 T’s भी कहा जाता है जो कि पोस्टपार्टम ब्लीडिंग के मुख्य कारण हैं।
टोन (Tone)
सामान्यतः डिलिवरी के बाद गर्भाशय प्लासेंटा को बाहर करके संकुचित होता है जिससे ब्लीडिंग रुकती है। कई मामलों में गर्भाशय अच्छे से संकुचित नहीं हो पाता जिसके कारण पोस्टपार्टम ब्लीडिंग होती रहती है। यह ज्यादातर उन महिलाओं में होती है जो ज्यादा उम्र में गर्भवती होती हैं या जुड़वां बच्चों को जन्म देती हैं। पोस्टपार्टम ब्लीडिंग एनीमिया (Anemia) की वजह से भी हो सकती है।
ट्रॉमा (trauma)
डिलिवरी के बाद अधिक ब्लीडिंग होने का एक कारण महिलाओं में होने वाला ट्रॉमा भी है। जिसमें शिशु के जन्म देते समय गर्भवती महिलाओं के वजायना, गर्भाशय में चोट लग जाती है और पोस्टपार्टम ब्लीडिंग की वजह बनती है।
टिश्यू (tissue)
टिश्यू से मतलब है कि डिलिवरी के बाद भी गर्भाशय से प्लासेंटा का एक टुकड़ा या हिस्सा जुड़ा हुआ होता है। इस कारण भी महिलाओं में पोस्टपार्टम ब्लीडिंग होती है।
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थ्रोम्बिन (thrombin)
थ्रोम्बिन ब्लड क्लॉट बनाने में मददगार होता है। कई बार डिलिवरी के बाद भी महिलाओं में यह ब्लड क्लॉट नहीं बन पाता है, जिस कारण रक्तस्राव होता रहता है और प्रसव बाद खून निकलना जारी रहता है। यह भी पोस्टपार्टम ब्लीडिंग का कारण है।
पोस्टपार्टम ब्लीडिंग के लक्षण (Signs of postpartum bleeding)
पोस्टपार्टम ब्लीडिंग (Postpartum Hemorrhage) के लक्षण नीचे दिए गए हैं। जिनसे आप इसकी पहचान कर सकते हैं।
- डिलिवरी के बाद ब्लीडिंग का लगातार होना।
- ब्लीडिंग लगातार और अधिक मात्रा में होना।
- प्रसव के बाद अचानक हार्ट बीट (Heart Beat) तेज हो जाती है।
- ब्लड प्रेशर कम हो जाता है।
- आपको चक्कर आ रहे हो या बेहोशी लग रही हो।
- योनि में सूजन और दर्द होना।
- जी मिचलाना।
- त्वचा का पीला पड़ जाना।
पोस्टमार्टम ब्लीडिंग के उपचार (treatment of postpartum bleeding)
पोस्टपार्टम ब्लीडिंग (Postpartum Hemorrhage) होने पर इसके उपचार व मुख्य कारण को समझने के लिए सर्जरी आदि की सहायता ली जाती है। जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं।
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पोस्टपार्टम ब्लीडिंग का इलाज – लैप्रोटॉमी ऑपरेशन
अधिकतर मामलों में पोस्टपार्टम ब्लीडिंग (Post partum bleeding) के वजह को जानने व ट्रीटमेंट के लिए लैप्रोटॉमी की मदद ली जाती है। यह एक प्रकार का सर्जरी है। इसके जरिए सबसे पहले प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्राव के कारण को जाना जाता है। इसके बाद लैप्रोटॉमी कि मदद से गर्भाशय को संकुचन सुचारू रूप से करने में सक्षम किया जाता है।
हाईस्टेरटॉमी (Hysterotomy)
पोस्टमार्टम ब्लीडिंग (postpartum bleeding) होने पर जब किसी भी तरीके से खून का बाहर निकलना नहीं रुक पाता ऐसी स्थिति में हाईस्टेरटॉमी सर्जरी का सहारा लिया जाता है। यह बहुत मेजर सर्जरी मानी जाती है। क्योंकि इससे गर्भाशय को बाहर निकाला जाता है।
ऑक्सिटॉक्सिन (Oxytoxin)
ऑक्सिटॉसिन का उपयोग गर्भाशय के मयोमैट्रीम के ऊपरी भाग को उत्तेजित करता है। जो स्पाइरल आर्टरीज (Spiral Arteries) का संकुचन करता है और गर्भाशय ब्लीडिंग (Uterus Bleeding) को कम करता है। ऑक्सिटॉसिन पोस्टमार्टम ब्लीडिंग का एक अच्छा उपचार माना जाता है।
पोस्टपार्टम ब्लीडिंग में शिशु के जन्म के बाद योनि से भारी रक्तस्राव होता है। बहुत अधिक ब्लड बाहर आने से लो ब्लडप्रेशर हो सकता है। इसका इलाज न होने पर सदमा और मौत हो सकती है।
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डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए? (When should I contact the doctor?)
अगर बच्चे का जन्म घर में ही हुआ है और ब्लीडिंग (Bleeding) बंद नहीं हो रही है तो ये गंभीर संकेत हैं। ऐसे में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। डिलिवरी के बाद ब्लीडिंग होना आम बात होती है, लेकिन अधिक मात्रा में ब्लीडिंग (Bleeding) घातक हो सकती है। यहां कुछ लक्षण दिए गए हैं, अगर आपको भी ऐसे ही लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- ब्लीडिंग अचानक काफी तेज हो गई हो और एक घंटे में एक से ज्यादा पैड इस्तेमाल करने की जरुरत पड़ रही हो।
- ब्लीडिंग के साथ ही खून के थक्के भी आ रहे हो।
- बच्चे के जन्म के चार दिन बाद भी ब्लीडिंग लगातार हो रही हो।
- बेहोशी या चक्कर महसूस जैसा महसूस हो रहा हो।
- आपके दिल की धड़कन तेज होने लगे या फिर रेगुलर न हो।
ऐसा कोई भी लक्षण (postpartum bleeding signs) दिखाई देने पर डॉक्टर से तुरंंत संपर्क करें। इस विषय में कोई भी लापरवाही करना जानलेवा हो सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि पोस्टपार्टम ब्लीडिंग पर आधारित यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। इसमें हमने पोस्टपार्टम ब्लीडिंग (Post partum) क्यों होती है से लेकर उपचार तक बताने की कोशिश की है। यह जानकारी गर्भधारण करने वाली मां और पार्टनर दोनों के लिए उपयोगी साबित होगी। गर्भावस्था में किसी भी प्रकार के कॉम्पिलिकेशन से बचने के लिए रेगुलर चेकअप (Regular checkup) और डॉक्टर की सलाह का उचित ढंग से पालन करना जरूरी है। साथ ही आपको भी पूरी तरह से सतर्क रहना होगा। किसी प्रकार की शंका होने पर डॉक्टर की सलाह लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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