ल्यूकेमिया रैश (Leukemia Rash) कैसे पैदा होता है?
ल्यूकेमिया के कारण स्किन के नीचे छोटी ब्लड वैसल्स का फटने का खतरा बढ़ जाता है। जब समय के साथ ल्यूकेमिया बढ़ जाता है और एब्नॉर्मल ब्लड वैसल्स का मल्टीप्लीकेशन प्लेटलेट के प्रोडक्शन को प्रभावित करता है। इसी कारण से किसी भी फटने वाली केशिकाओं को ब्लॉक करने के लिए पर्याप्त प्लेटलेट्स नही होती हैं और ब्लड स्किन के बाहर भी निकल सकता है। इसी ब्लड के रिसाव के कारण स्किन में छोटे लाल, बैंगनी, या भूरे रंग के धब्बे पैदा हो जाते हैं, इसे पेटीचिया के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें ही ल्यूकेमिया रैश के नाम से जाना जाता है।
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ल्यूकेमिया रैश के साथ ही इन समस्याओं का करना पड़ सकता है सामना?
जब शरीर में हेल्दी ब्लड सेल्स की संख्या कम हो जाती है, तो स्किन संबंधित कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं। जिन लोगों को ल्यूकेमिया की समस्या होती है, उनमें चोट लगने की संभावना भी बढ़ जाती है यानी कि जरा सी चोट भी बड़ा रूप ले लेती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रक्त में पर्याप्त मात्रा में प्लेटलेट्स नहीं होते हैं। प्लेटलेट्स की संख्या कम होने पर जरा सी चोट लगने पर भी अधिक खून निकलता है। अगर ल्यूकेमिया से पीड़ित व्यक्ति में जरा सा भी कट लग जाए, तो उनमें अधिक मात्रा में खून निकल सकता है और यह घाव का रूप ले सकता है।
ल्यूकेमिया रैश के कारण स्किन के पीली (Pale skin) हो जाने की समस्या
ल्यूकेमिया से पीड़ित लोगों में एनीमिया की समस्या का खतरा भी बना रहता है। शरीर में जरा सी चोट लगने पर खून निकलने लगता है और एनिमिया की समस्या पैदा हो जाती है। एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति की लाल रक्त कोशिका की संख्या असामान्य रूप से कम हो जाती है, जिससे त्वचा पीली दिखाई दे सकती है। रेड ब्लड सेल्स में हीमोग्लोबिन नाम की प्रोटीन होता है, जो फेफड़ों से ऑक्सीजन को शरीर के बाकी हिस्सों में ले जाता है। हीमोग्लोबिन में कमी शरीर में ऑक्सीजन सर्कुलेशन में कमी कर देता है, जो पूरे शरीर के लिए हानिकारक सिद्द हो सकता है। ऐसे में व्यक्ति को सांस लेने में समस्या, छाती में दर्द की समस्या, सिर का लगातार दर्द होना, चक्कर आना, ब्लड प्रेशर का नार्मल ना रहना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।