दूध के साथ क्या आप भी बचपन में लड़ाई कर चुके हैं, या फिर दूध आपका ऑल टाइम फेवरेट रहा है। बच्चे के जन्म के बाद पोषण के रूप में अगर उसे कुछ दिया जाता है तो वो है दूध। दूध में पाए जाने वाले तत्व ही इसे संपूर्ण आहार बनाते हैं। दूध को कैल्शियम का अच्छा सोर्स माना जाता है। आप तो जानते ही होंगे कि शरीर में बोंस को मजबूत करने के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी होता है। अगर शरीर में कैल्शियम की कमी होती है तो हड्डियां भी कमजोर होने लगती है। दूध ऐसा आहार है जो बचपन से लेकर बुढ़ापे तक आपको हेल्दी बनाने में मदद करता है। डेयरी प्रोडक्ट का सेवन करने से ऑस्टिपोरोसिस की बीमारी का रिस्क भी कम हो जाता है। शरीर में कितने कैल्शिय की आवश्यकता है और कौन सा दूध बेहतर होता है, इस बारे में कम ही लोगों को जानकारी होती है। वर्ल्ड मिल्क डे के मौके पर जानिए दूध के प्रकार और दूध के लाभ के बारे में।
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दूध के प्रकार के साथ ही जानिए वर्ल्ड मिल्क डे के बारे में
आज से 20 साल पहले यूनाइटेड नेशन के फूड और एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन की ओर से वर्ल्ड मिल्क डे हर साल मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को डेयरी प्रोडक्ट और दूध के बारे में अवेयरस करना है। हर साल दुनियाभर में इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को दूध के महत्व के बारे में बताना है। इस बार इस खास डे को सेलीब्रेट करने के लिए कुछ कैंपेन चलाएं जाएंगे, जिनको नाम भी दिया गया है। रेज योर ग्लास ऑफ मिल्क, डेयर अफोर्डेबल न्यूट्रीशन के साथ ही स्लोगन और कार्टून कॉस्टेस्ट के जरिए वर्ल्ड मिल्क डे सेलीब्रेट किया जाएगा।
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जानिए क्या कहना है न्यूट्रिशनिस्ट का ?
फोर्टिस मेमोरियल रिचर्स इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम की चीफ क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट संध्या पांडे ने हैलो स्वास्थ्य से दूध के विभिन्न प्रकार के बारे में बात की। न्यूट्रिशनिस्ट संध्या पांडे ने बताया कि जिन लोगों का वजन ज्यादा हो यानी मोटापे की समस्या हो, हार्ट की समस्या हो, डायबिटीज की समस्या हो, उन्हें लो फैट (2 प्रतिशत से कम) मिल्क लेना चाहिए। साथ ही ग्रोंइग बच्चों को और फिट लोगों को टोंड मिल्क( 3 से 3.5 प्रतिशत) फैट लेना चाहिए। ओवरऑल डायट का 30 प्रतिशत फैट ही खाने में शामिल करें, जिसमे सैचुरेटेड फैट 10 प्रतिशत से कम होना चाहिए। कुछ लोगों को पैक्ड दूध को उबालने को लेकर भी कंफ्यूजन होता है। अगर आप पैक्ड दूध को उबाल कर यूज कर रहे हैं तो ये आपके लिए सेफ है।
दूध के विभिन्न प्रकार और पोषण
दूध को कई सोर्स से प्राप्त किया जाता है। आमतौर पर घरों में कुछ खास जानवरों के दूध को प्रयोग किया जाता है। भारत में गाय और भैंस के दूध को अधिक पसंद किया जाता है। वहीं कैमेल, गोट (बकरी), स्किम्ड मिल्क और बटर मिल्क का भी यूज किया जाता है। सभी में न्यूट्रीशनल वैल्यू अलग-अलग होती है। भैंस के दूध में सबसे ज्यादा फैट पाया जाता है। जबकि कैमल के दूध में प्रोटीन की मात्रा अधिक पाई जाती है।
दूध के प्रकार जानिए
व्होल मिल्क (Whole Milk )
व्होल मिल्क में फैट 3.25 प्रतिशत होता है। आठ आउंस के ग्लास में 150 कैलोरी होती है। साथ ही इस मिल्क की डेयरी वैल्यू 12 प्रतिशत होती है। जिस भी इंसान को फैट की अधिक आवश्यकता है, वो व्होल मिल्क को ले सकता है। ग्रोथ के समय बॉडी को हेल्दी डायट की बहुत जरूरत होती है, ऐसे समय में व्होल मिल्क बेहतर ऑप्शन साबित हो सकता है। जिन लोगों को बॉडी के अकॉर्डिंग डिफरेंट न्यूट्रीशन की जरूरत होती है, वो लो फैट या रिड्यूस फैट मिल्क भी डायट में शामिल कर सकते हैं।
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स्किम मिल्क (Skim milk)
स्किन मिल्क में फैट को कम कर दिया जाता है। स्किम मिल्क में 0.15g मिल्कफैट 100 एमएल मिल्क में होता है। फूड स्टेंडर्ड कोड के हिसाब से ऐसे मिल्क को स्किम मिल्क या फैट फ्री मिल्क कहेंगे जिसमे 0.15g मिल्कफैट होगा।
रिड्यूज फैट मिल्क (Reduced fat and skinny milks)
मिल्क में फैट का कम होना या ज्यादा होना उसका प्राकृतिक गुण होता है, लेकिन आज के समय में मिल्क के फैट को कम या ज्यादा किया जा सकता है। जब दूध से फैट को कम कर दिया जाता है तो उसे रिड्यूज फैट मिल्क कहा जाता है। लोगों की पसंद के अनुसार फैट को बैलेंस किया जाता है।
फ्लेवर्ड मिल्क( Flavoured milk)
फ्लेवर्ड मिल्क में विभिन्न प्रकार के फ्लेवर को दूध के साथ मिलाया जाता है। कॉफी फ्लेवर्ड मिल्क, ऑलमंड फ्लेवर मिल्क आदि फ्लेवर मिल्क भी लोगों को खूब पसंद आते हैं। प्रोटीन और बायोएक्टिव पेप्टाइड्स की सहायता से इस प्रकार के दूध तैयार किए जाते हैं।
लेक्टोज फ्री मिल्क (Lactose-free milk )
लेक्टोज इंटोलरेंस की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए लेक्टोज फ्री मिल्क अच्छा ऑप्शन है।दूध को लेक्टेस( lactase )एंजाइम की हेल्प से उसके कॉन्सटिट्युअंट्स कंपोनेंट यानी ग्लूकोज और गैलेक्टोज में तोड़ दिया जाता है। ऐसे ही ऑर्गेनिक और A2 मिल्क की भी वैराइटी होती है। A2 मिल्क में बीटा कैसीन प्रोटीन वैरिएंट्स होते हैं। दूध के विभिन्न प्रकार के कारण लोगों के पास ऑप्शन है कि वो अपनी पसंद के अनुसार दूध को डायट में शामिल कर सकते हैं।
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दूध को उबालने में होते हैं ये परिवर्तन
घरों में जब भी दूध का यूज किया जाता है, उससे पहले उसे उबाला जाता है। दूध को उबालने से उसमे कुछ परिवर्तन भी होते हैं। जिन पैकेट्स में लिखा होता है कि दूध पाश्चीकृत है, उन्हें बिना उबाले भी यूज किया जा सकता है। फिर भी लोग दूध को पहले उबालते हैं और फिर उसको यूज करते हैं। जानिए दूध को उबालने के बाद क्या परिवर्तन होते हैं।
- क्रीम की प्रतिशतता में कमी
- कर्ड टेंशन में कमी
- प्रोटीन का डीकम्पोजीशन
- एंजाइम का डिस्ट्रंक्शन
- दूध का रंग गहरा होना
- दूध के स्वाद में परिवर्तन होना
- Ca और Mg सॉल्ट प्रेसीपिटेशन
- ग्लोब्यूल्स फैट का टूटना
इस आर्टिकल में जानवरों से प्राप्त होने वाले दूध के बारे में जानकारी दी गई है। मिल्क के अल्टरनेटिव ऑप्शन भी मौजूद हैं। कुछ लोग अल्टरनेटिव ऑप्शन के तौर पर ओट मिल्क, आलमंड मिल्क, कोकोनट मिल्क, सोया मिल्क आदि का प्रयोग भी करते हैं। इन सभी दूध के प्रकार में न्यूट्रीशन वैल्यू अलग-अलग होती है। अगर आप अपनी बॉडी के अनुसार दूध का चयन करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि एक बार अपने डॉक्टर से इस बारे में जानकारी लें।
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