वर्ल्ड पार्किंसन डे के मौके पर हम आपको इस बीमारी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं। बता दें कि 19वीं सदी की शुरुआत में जेम्स पार्किंनसर ने “एन एसे ऑन द शेकिंग पेल्सी’’ में न्यूरोलॉजिकल कंडिशन के बारे में विस्तारपूर्वक लिखा था। इसमें आराम व मूवमेंट के दौरान होने वाली कंपकंपी/झटके (tremors) की जानकारी थी। पार्किंसन रोग के बारे में यह शोध पूर्व में किए गए पैरालाइसिस डिसऑर्डर कंपकंपी पर किए स्टडी पर आधिरित थे। मौजूदा समय में भारत में पार्किंसन डिजीज (पार्किंसन रोग) के बेहद कम मामले हैं, वहीं विश्व में यह बीमारी तेजी से उभर रही है। रिसर्च बताते हैं कि आने वाले 25 वर्षों में पार्किंसन रोग के मामले दोगुने हो जाएंगे। वैज्ञानिक मान रहे हैं कि डिमेंशिया (dementia) को छोड़ पीडी पूरे विश्व में तेजी से उभरने वाला न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसके कम होने का आसार नहीं दिख रहे। अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2040 तक विश्व में करीब 6.9 मिलियन लोग पार्किंसन रोग से ग्रसित हो जाएंगे। वहीं जनसंख्या वृद्धि होती है तो यह संख्या 14.2 मिलियन तक पहुंच सकती है।