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स्ट्रेंथ बढ़ाता है
शीर्षासन करने वाले लोगों में आम लोगों की अपेक्षा अधिक शक्ति होती है। दरअसल नियमित रूप से जो लोग शीर्षासन करते हैं, उनकी स्ट्रेंथ बहुत अधिक होती है। यह स्ट्रेंथ बूस्टर के रूप में भी कार्य करता है।
पाचन क्षमता को करता है बेहतर
नियमित रूप से शीर्षासन करने वाले लोगों की पाचन शक्ति बहुत स्ट्रांग होती है। शीर्षाशन करने वाले लोगों में पाचन संबंधी समस्या देखने को नहीं मिलती है।
मजबूती करता है प्रदान
शीर्षासन करने से आपके अंदरूनी शरीर -साथ शरीर का ऊपरी हिस्सा भी मजबूत होता है। यह आपके कंधे, गला, सिर, स्पाइनल, पीठ को मजबूत करने का कार्य करता है।
बालों के झड़ने को रोकने के लिए उपयोगी
बालों का झड़ना आम है, लेकिन ध्यान न दिया जाए, तो आप गंजेपन का भी शिकार हो सकते हैं। लेकिन शीर्षासन के नियमित प्रैक्टिस के साथ बालों के झड़ने को कम किया जा सकता है। शीर्षासन रक्त प्रवाह को बढ़ाता है और आपके सिर को पोषक तत्व प्रदान करता है, जिससे बालों का गिरना कम होता है। हालांकि शीर्षासन पूरी तरह से झड़ गए बालों में सहायक नहीं हो सकता है। वहीं शीर्षासन करने से सफेद बालों की समस्या कम की जा सकती है। सफेद बाल से परेशान लोगों को यह योग अपने डेली रूटीन में जरूर शामिल करना चाहिए।
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अस्थमा के इलाज में सहायक
शीर्षासन अस्थमा के इलाज में बहुत लाभदायक होता है। इस योग को करने से श्वसन क्रिया में बहुत फर्क पड़ता है। तो सांस की समस्या को दूर करने के लिए शीर्षासन योग करना फायदेमंद माना जाता है। आप जानते ही है अस्थमा श्वसन से जुड़ी एक समस्या है। इस कारण सांस फूलने लगता है। ऐसे में शीर्षासन करने पर अस्थमा के रोगियों में काफी सुधार देखा जा सकता है।
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वजन कम करने में मददगार
शरीर के अनवांटेड फैट को कम करने के लिए शीर्षाशन मुद्रा बहुत कारगर मानी जाती है। इसको नियमित रूप से करने से शरीर के अनचाहे फैट से छुटकारा मिल जाता है। इससे आपके शरीर में ब्लड फ्लो बेहतर तरह से होता है।
ध्यान केंद्रित करने में है सहायक
जब आप उल्टा यानि सिर के बल खड़े हो जाते हैं, तो आपके मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह बढ़ जाता है। यह मानसिक कार्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है और आप ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। भय और चिंता को कम करने में मदद करने के साथ, शीर्षाशन आपके दिमाग को तेज और स्पष्ट रखने की क्षमता को बढ़ाता है।
पैर, टखनों, और पैरों में द्रव्य बिल्ड-अप कम हो जाता है
पैरों में एडिमा की समस्या तब हो सकती है, जब आपके पैर के निचले हिस्से में अधिक मात्रा में द्रव्य इकठ्ठा हो जाता है। एडिमा को ठीक करने के लिए यह पैरों में द्रव्य के बिल्डअप को कम करने में मदद करता है। जिससे यह समस्या दूर होती है।
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फेफड़ों का कार्य बेहतर करता है
यह फेफड़े की कार्य प्रणाली को बेहतर बनाने में मददगार होता है। यह फेफड़े की समस्या से राहत दिलाने में भी मदद करता है।
सेंसेशन को बढ़ाता है
शीर्षासन मुद्रा का अभ्यास शरीर में रक्त की आपूर्ति को बढ़ाता है। इसको करने से सुनने की समस्या, मायोपिया जैसी विभिन्न समस्याओं को पूरी तरह से ठीक करते हुए संवेदी अंगों के कार्यों को बढ़ाता है।
उच्च रक्तचाप के लिए उपाय
उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों के लिए शीर्षासन एक बेहतरीन उपाय है। यह स्थिति रक्त प्रवाह को बहुत बढ़ाती है और रक्तचाप को सामान्य करती है। लेकिन अगर आपका ब्लड प्रेशर सामान्य से ज्यादा बढ़ा रहता है, तो ऐसी स्थिति में शीर्षासन न करें।
माइग्रेन के लक्षण कम करने में मददगार
जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या है, वो यह जानते है की माइग्रेन का इलाज पूरी तरह से मेडिकेशन द्वारा नहीं किया जा सकता है। लेकिन शीर्षाशनयोग करने से आपको माइग्रेन के लक्षणों से राहत मिल सकती है।
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लिम्फेटिक सिस्टम
लिम्फेटिक सिस्टम रक्त से ऊतकों और अपशिष्ट उत्पादों से तरल पदार्थ को हटाने का कार्य करता है। जब आप अपने सिर के बल खड़े होते हैं, तो आपका लिम्फेटिक सिस्टम उत्तेजित हो जाता हैं और शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाने में सहायता करते हैं।
यौन विकारों का इलाज
शीर्षासन मुद्रा करने से कई प्रकार की यौन समस्याएं दूर होती हैं। इसके साथ ही मासिक धर्म में ऐंठन, शुक्राणु की कमी और कुछ अन्य यौन समस्याओं जैसे यौन विकारों के लिए सकारात्मक प्रभाव डालता है।
वैरिकोस नस की समस्या हो सकती है दूर
शीर्षाशन से वैरिकोस नस से निजात मिल सकता है। ठीक तरह से ब्लड फ्लो नहीं होने की वजह से वैरिकोस नस की परेशानी शुरू होती है। इस योगासन से बॉडी में ब्लड फ्लो बेहतर तरीके से होता है।
शीर्षासन करते समय सामान्य गलतियां
बहुत से लोग ठीक से शीर्षासन का अभ्यास नहीं कर पाते हैं। कुछ सामान्य गलतियों के कारण उन्हें या तो चोट लग जाती है या दर्द महसूस होने लगता है। लेकिन अगर आप इन सामान्य गलतियों से अवगत हो जाते हैं, तो आप अनावश्यक तनाव और दर्द से बच सकते हैं। शीर्षाशन में सबसे आम गलतियां जो अस्थिरता है, यह आपके असुविधा और यहां तक कि चोट का कारण बनती हैं। जो इस प्रकार से हैं।
- कंधों के पीछे कूल्हों को लाना
- कोहनी बहुत चौड़ी रखना
- सिर का गलत स्थान
- हाथ और पैरों में समान्य गैप नहीं
- श्वास का बहुत तेज होना
- स्पाइनल पर अधिक भार
इन ऊपर बताये पॉइंट्स को ध्यान में रखकर इस योगासन के फायदे मिल सकते हैं।
उपर दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इसलिए किसी भी योग मुद्रा का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। अगर आप शीर्षासन से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।