पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जिसका सीधा संबंध व्यक्ति के साथ घटी किसी बेहद अप्रिय या भयानक घटना से है। ऐसे लोग जो किसी डरा देने वाले किसी हादसे से गुजरे हैं या उस अप्रिय घटना के चश्मदीद गवाह रहे हैं, उन्हें वे बुरे ख्याल सताते रहते हैं। जैसे-शारीरिक/यौन उत्पीड़न, गंभीर एक्सीडेंट, किसी करीबी की अप्राकृतिक मौत आदि दुखकारी घटनाओं का फ्लैशबैक पीड़ित के सामने ऐसे होता है कि मानो वह घटना फिर से घट रही हो। इसकी वजह से पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर की समस्या को झेल रहे इंसान में डिप्रेशन, चिंता और डर पैदा हो जाता है और उसका सदमे से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।
डॉक्टर से पूछे जाने वाले सवाल
पोस्ट-ट्रॉमैटिक तनाव विकार (Post Traumatic Stress Disorder) को ठीक होने में कितना समय लगता है?
किसी बुरी वाली घटना के फौरन बाद पीटीएसडी के कुछ लक्षणों का उभरना सामान्य बात है जिसका असर थोड़े समय तक रहता है जिससे लोग खुद की देखभाल करके भी इस समस्या से बाहर आ जाते हैं। लेकिन अगर ये ही लक्षण कई महीनों और सालों तक बने रहे और दैनिक कार्यों में परेशानी डालने लगे तो पोस्ट-ट्रोमैटिक तनाव विकार (PTSD) से निकलने के लिए तुरंत डॉक्टर की मदद लें। चिकित्सीय परामर्श और परिवारजनों की सहायता से इस मानसिक विकार को कुछ दिनों या महीनों में ठीक किया जा सकता है।
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पोस्ट ट्रॉमैटिक तनाव विकार से ग्रसित व्यक्ति को कैसे पहचाने?
घटना को बार-बार याद करना
व्यक्ति को बुरे सपने आते हैं और खतरनाक घटनाओं का फ्लैशबैक दिमाग में चलता रहता है जिसकी वजह से तीव्र शारीरिक प्रतिक्रिया होती है जैसे चक्कर आना, पसीना आना, धड़कनें बढ़ जाना आदि।
नज़रअंदाज़ करना
इस मानसिक समस्या से परेशान व्यक्ति बातचीत करने से परहेज़ करने लगता है। वह उन जगहों पर भी जाने से कतराता है जिनका संबंध उसके सदमे से है।
हर चीज को शक की नजर से देखना
विकार से ग्रसित व्यक्ति हमेशा चौकन्ना रहता है और सुरक्षित माहौल में भी हमेशा खतरा महसूस करता है जिसकी वजह से उसे अच्छी नींद लेने में दिक्कत आने लगती है। अक्सर किसी के बुलाने पर भौंचक्का रह जाता है।
समाज से कटना
पीड़ित व्यक्ति दोस्तों और परिजनों से अलग-थलग रहने लगता है और उन चीजों में उसकी दिलचस्पी खत्म हो जाती है जिनको वो पहले बड़ी ही खुशी से करता था।
अन्य लक्षण
पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर रोगी में दूसरी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षण भी दिखने लगते हैं जैसे डिप्रेशन, चिंता विकार।
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मैं या परिवार के लोग कैसे पी.टी.एस.डी रोगी की सहायता करें?
- अगर दुर्घटना के एक महीने बाद भी इंसान खाना-पीना छोड़कर अकेले उदास बैठा रहे तो उसे काउंसलिंग के लिए किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं।
- ऐसे शख्स को बिलकुल भी अकेला न छोड़ें क्योंकि ऐसी स्थिति में कुछ लोगों के मन में सुसाइड का भी खयाल आता है।
- उसे किसी भी काम में बिजी रखने की कोशिश करें ताकि नकारात्मक भावनाओं की ओर उसका ध्यान न जाए।
- परिवार में सकारात्मक माहौल बनाएं रखें।
- पीड़ित को एक अच्छी दिनचर्या के लिए प्रेरित करें जैसे-योग, ध्यान, व्यायाम और संतुलित आहार के लिए प्रोत्साहन।
व्यक्ति को डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए?
यदि आपके स्वाभाव में बहुत ज्यादा चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन महसूस करना, सामान्य से अधिक भोजन करना, किसी से बात न करने का मन, सामान्य से अधिक मात्रा में शराब पीना या ड्रग लेना, बेवजह उदास रहना, आत्महत्या का मन करना आदि शामिल हो रहा है, तो जितना जल्दी संभव हो सके किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मिलें। जितनी जल्दी आप सहायता लेंगे उतनी ही जल्दी आपकी हालत में सुधार हो पाएगा।
अगर आपका कोई प्रिय या आसपास पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से ग्रसित है तो उनसे बात करें और उन्हें सलाह दें कि वह किसी साइकेट्रिस्ट से मदद लें। पीड़ित को प्रोत्साहित करते रहें लेकिन ध्यान रखें कि बहुत ज़्यादा दबाव न डालें और उन्हें सोचने का मौका दें। अपनी राय उन पर थोपने की कोशिश न करें।