क्या आपको पता है कि स्वस्थ सेहत के लिए आपके दातों का स्वस्थ होना जरूरी है, क्योंकि दांतों में होने वाली परेशानी (ओरल प्रॉब्लम्स) कई गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकती हैं। अगर दांतों की परेशानी लंबे वक़्त से चल रही है तो उसे अनदेखा न करें। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन (NCBI) के अनुसार दांतों में होने वाली बीमारी की वजह से दिल और दिमाग तथा अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
क्यों जरूरी है ओरल हेल्थ (Oral Health) का ध्यान रखना?
शरीर के हेल्दी होने का पहला जड़ ओरल स्वास्थ्य ही होता है। अगर आपका ओरल स्वास्थ्य बेहतर होगा, तो शरीर अंदर से भी अच्छी अवस्था में होता है। हालांकि, ओरल हेल्थ की बढ़ती समस्या किसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है। शोधकर्ताओं ने अपने एक अध्ययन में स्ट्रोक की घटना को मसूड़ों की बीमारी और दांतों के नुकसान से जोड़ने का दावा किया है। साल 2010 में जर्नल ऑफ इंडियन सोसाइटी ऑफ पीरियडोंटोलॉजी में प्रकाशित एक लेख में जारी निष्कर्ष के मुताबिक, मसूड़ों की बीमारी के कारण किसी व्यक्ति को हृदय रोग का खतरा लगभग 20 फीसदी तक बढ़ सकता है। इसके अलावा हाल ही में जारी हुए कुछ अन्य अध्ययनों के मुताबिक, ओरल प्रॉब्लम्स ब्रेन से जुड़ी समस्याओं का खतरा भी बढ़ा सकती है।
ओरल प्रॉब्लम्स या दांतों की बीमारी (Dental Problem) से जुड़ी हैं ये डिजीज
- दिल की समस्या (Heart Problem)।
- बढ़ता सर्वाइकल पेन (Cervical Pain)।
- ओरल कैंसर (मुंह का कैंसर) का खतरा।
- तनाव की समस्या (Tension) ।
- सतर्क रहें डायबिटीज़ मरीज ।
- बैक्टीरियल निमोनिया का खतरा।
- जन्म लेने वाले शिशु का वजन कम हो सकता है।
मुंह को स्वस्थ रखने में बैक्टेरिया की अहम भूमिका होती है और तकरीबन 700 से अधिक बैक्टेरिया मुंह में मौजूद होते हैं, जो दांतों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। लेकिन, अगर मुंह की सफाई ठीक से न की जाए तो यही बैक्टेरिया नुकसानदायक हो जाते हैं।
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ओरल प्रॉब्लम्स: दिल की समस्या (Heart Plroblem)
दांतों में होने वाली समस्याओं के कारण हदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए दांतों की नियमित रूप से साफ-सफाई बहुत जरूरी है। इससे मुंह में किसी प्रकार का इंफेक्शन नहीं होगा। अगर आपको किसी प्रकार का ओरल इंफैक्शन होता है तो ह्रदय से जुड़ी बीमारियों (Cardiovascular Disease) का खतरा बढ़ जाता है। अगर मसूड़ों को पीरियडोंटल बीमारी का कारण बनने वाले बैक्टीरिया के कारण सूजन हो जाती है, तो वही बैक्टीरिया शरीर के रक्तप्रवाह में आ सकते हैं, जिससे धमनियों को कठोर कर सकते हैं। धमनियों में होने वाले इस कठोरपन को एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है और यह बहुत गंभीर समस्या होती है। यह खून के प्रवाह को धीमा कर देता है जिससे दिल को उचित मात्रा में ऑक्सीजन और खून नहीं मिल पाता है जिसके कारण दि कौ दौरा पड़ने का जोखिम भी बढ़ जाता है। धमनियों और रक्त वाहिकाओं पर हानिकारक प्रभाव पड़ने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी हो सकती है और ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम भी बढ़ सकता है। एंडोकार्टिटिस भी विकसित हो सकता है, जो अक्सर घातक स्थिति होती है।
ओरल कैंसर (Oral Cancer)
मुंह के कैंसर का खतरा तब सबसे ज़्यादा बढ़ जाता है जब लोग शराब, पान-मसाला और गुटखा जैसी चीज़ों का सेवन अधिक करते हैं। इसलिए ऐसे चीजों से दूर रहना चाहिए। हालांकि, ओरल प्रॉब्लम्स सिर्फ मुंह के कैंसर के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य प्रकार के कैंसर का भी कारण बन सकता है। कई बार मसूड़ों की बीमारी के कारण गुर्दे के कैंसर, अग्नाशय का कैंसर और ब्लड कैंसर का जोखिम भी अधिक बढ़ जाता है।
ओरल प्रॉब्लम्स: तनाव (Anxiety)
दांतों की समस्या के कारण कई बार आपको तनाव भी हो सकता है। दर्द की वजह से तनाव के साथ-साथ चिड़चिड़ापन भी होने लगता है।
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ओरल प्रॉब्लम्स (Oral Problem):सतर्क रहें डायबिटीज के मरीज
डायबिटीज के मरीज़ों को मुंह की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। टूथ ब्रश करने के दौरान भी सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि हल्के से कंटने से भी उनकी परेशानी बढ़ सकती है। डायबिटीज वालों का घाव जल्दी ठीक नहीं होता है। इसके अलावा ऐसे लोगों को मसूड़ों में पीरियडोंटल बीमारी होने का खतरा सबसे अधिक होता है। आमतौर पर देखा जाए तो एक डायबिटीज पेशेंट को शुगर का लेवल कम करने की आवश्यकता होती है, लेकिन अगर शुगर का लेवल कम होता है, तो मसूड़ों की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। मसूड़ों की बीमारी के कारण ब्लड शुगर का स्तर कम होने से लक्षण और बिगड़ सकते हैं। क्योंकि मसूड़ों की बीमारी सामान्य रक्त शर्करा के स्तर से अधिक हो सकती है, खराब मौखिक स्वास्थ्य वाले व्यक्ति को मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
ओरल प्रॉब्लम्स: बैक्टेरियल निमोनिया
यह प्रायः जब कोई मरीज अस्पताल में भर्ती होता है उसी दौरान बैक्टेरियल निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है।
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बच्चे का वजन सामान्य से कम होना
गर्भावस्था के दौरान कई बार गर्भवती महिला को मुंह में छाले हो जाते हैं और ऐसे में गर्भवती महिलाएं ठीक से आहार नहीं ले पाती हैं। जिसका असर मां और शिशु दोनों पर ही पड़ता है।
- दांतों के साथ ऐसी लापरवाही नहीं करें
- डेंटिस्ट से एप्पोइंटमेंट डेट पर जरूर मिलें।
- दांत में हो रहे किसी भी समस्या पर (मामूली दांत दर्द होने पर भी) डॉक्टर से मिलें।
- दांतों या मसूड़ों में हो रही परेशानी को डॉक्टर से छुपाए नहीं।
- दांतों की सफाई पर हर दिन ध्यान दें।
- जरूरत से ज़्यादा टूथ पिक का इस्तेमाल नहीं करना करना चाहिए। इससे चोट लगने की संभावना बनी रहती है।
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कम वक़्त में कुछ बातों को ध्यान में रख कर और अपना कर आप ओरल प्रॉब्लम्स से बच सकते हैं। दांतों की नियमित साफ-सफाई आपको कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकते हैं। ये ज़रूर ध्यान रखें की डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
वहीं, कोलगेट पामोलिव (इंडिया) लिमिटेड के लिए कांतर आईएमआरबी द्वारा किए गए नए अध्ययन में सामने आया है कि भारत में 10 में से 8 बच्चों को ओरल प्रॉब्लम्स से जुड़ी बीमारियां हैं। जिनमें प्लाक का जमना, दांतों पर सफेद धब्बे, विजिबल केयरीज, मसूढ़ों का सूजना, सांस में बदबू और मसूढ़ों से खून आना जैसे ओरल प्रॉब्लम्स से जुड़ी बीमारियां शामिल है। इस सर्वे के मुताबिक, प्रत्येक 3 में से 2 बच्चों के दांतों में कीड़े लगने की समस्या है। बच्चों की दांतों की समस्या को इग्नोर नहीं करना चाहिए। अगर बच्चों के दातों में समस्या है तो उन्हें भी डेंटिस्ट को जरूर दिखाएं और ट्रीटमेंट कराएं।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको कभी भी दांतों की बीमारी होती है तो लापरवाही बिल्कुल न करें। बेहतर होगा कि तुरंत डेंटिस्ट के पास जाए और ट्रीटमेंट कराएं। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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