backup og meta

बच्चे हो या बुजुर्ग करें मुंह की देखभाल, नहीं हो सकती हैं कई गंभीर बीमारियां

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/05/2020

    बच्चे हो या बुजुर्ग करें मुंह की देखभाल, नहीं हो सकती हैं कई गंभीर बीमारियां

    बच्चों से लेकर बुजुर्ग को तक सभी के लिए मुंह की देखभाल करना बेहद जरूरी है। यदि देखभाल न की गई तो कई प्रकार की गंभीर बीमारियां हो सकती है। मुंह की देखभाल में सही प्रकार से ब्रशिंग से लेकर ओरल हाइजीन मेंटेन रखना शामिल है। आइए इस आर्टिकल में ओरल हाइजीन, मुंह की देखभाल, ब्रशिंग टेक्निक और मुंह की सफाई न रखने के कारण होने वाली बीमारियों के बारे में एक्सपर्ट से जानते हैं।

    ऐसे करें मुंह की देखभाल

    जमशेदपुर में सविता डेंटल क्लीनिक के सीनियर डेंटल सर्जन डॉक्टर सिकंदर प्रसाद बताते हैं कि “मुंह की देखभाल के लिए जरूरी है कि ओरल हाइजीन को मेंटेन रखा जाए। इसके लिए दिन में कम से कम दो बार ब्रश करना चाहिए। वहीं हर बार खाना खाने के बाद, चाहे सॉलिड फॉर्म फूड का सेवन करें या फिर लिक्विड आपको कुल्ला जरूर करना चाहिए। वहीं कोशिश करें रात में सोते वक्त गुनगुने पानी से कुल्ला करके ही सोएं।” वहीं सॉफ्ट ब्रिस्टिल्ड ब्रश का इस्तेमाल करना चाहिए। ब्रश का साइज ऐसा होना चाहिए जो मुंह में आसानी से चला जाए और कोने-कोने की आसानी से सफाई कर सके। हर चार से तीन महीने में अपने ब्रश को बदलना चाहिए। कोशिश यही रहनी चाहिए कि एफडीए एक्सेप्टेड टूथ पेस्ट का ही इस्तेमाल किया जाए।

    यह भी पढ़ें : बच्चे को ब्रश करना कैसे सिखाएं ?

    ब्रशिंग टेक्निक को अपनाकर कर सकते हैं मुंह की सफाई

    सीनियर डेंटल सर्जन डॉक्टर सिकंदर प्रसाद के अनुसार बच्चों से लेकर बड़ों व बुजुर्गों को ब्रशिंग टेक्निक जानना जरूरी है। यदि इसकी जानकारी उन्हें नहीं रहेगी तो वे ज्यादा ब्रश करने की चाह में दांतों व मसूड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि ब्रशिंग टेक्निक की जानकारी रखी जाए।

    आइए जानते हैं ब्रशिंग टेक्निक और उसके प्रकार

  • THE BASS OR SULCUS CLEANING METHOD (द बॉस और सल्कस क्लीनिंग मैथड)
  • MODIFIED BASS TECHNIQUE (मॉडिफाईड बॉस टेक्निक)
  • MODIFIED STILLMAN’S TECHNIQUE (मॉडिफाइड स्टिलमैन टेक्निक)
  • FONES OR CIRCULAR OR SCRUB METHOD (फोन्स और सर्कुलर स्क्रब मैथड)
  • VERTICAL OR LEONARD’S METHOD (वर्टिकल और लिओनॉर्ड मैथड)
  • CHARTER’S METHOD (कैरेक्टर्स मैथड)
  • SCRUB BRUSH METHOD (स्क्रब ब्रश मैथड)
  • THE ROLL TECHNIQUE (द रोल टेक्निक)
  • PHYSIOLOGIC OR SMITH METHOD (साइकोलॉजिक और स्मिथ मैथड)
  • बता दें कि एक्सपर्ट की ओर से तीन से चार साल के बच्चों को ब्रशिंग टेक्निक के बारे में जानकारी दी जाती है। ताकि वे दांतों की सुरक्षा की गंभीरता को समझें। वहीं जीवन भर दांतों की अच्छे से सफाई करें ताकि उनके दांत हेल्दी रहे।

    डॉ सिकंदर प्रसाद
    Dr. Sikander Prasad

    द बॉस और सल्कस क्लीनिंग मैथड : डॉ सिकंदर बताते हैं कि बॉस वैज्ञानिक का नाम था जिसने सल्कस क्लीनिंग मैथड इजात किया था। जो आज तक हम लोग फॉलो कर रहे हैं। दांतों की सफाई को लेकर यह काफी इफेक्टिव मैथड है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस पद्दिति के द्वारा दांतों के बीच के एरिया की सफाई के साथ सर्वाइकल एरिया की भी अच्छे से सफाई हो जाती है। वहीं इस पद्दिति के द्वारा एक्सपोस्ड रूट सर्फेस की भी काफी अच्छे से सफाई होती है। दांत से गंदगी निकालने का यह इफेक्टिव तरीका है। ब्रशिंग का यह मैथड अपनाने से गम्स एक्टीवेट होते हैं जिस कारण रक्तसंचार बना रहता है, मसूड़े तंदरूस्त रहते हैं। यदि जोर से करेंगे तो मसूड़े के छिलने की दिक्कत हो सकती है वहीं इस टेक्निक में काफी समय भी लगता है।

    मॉडिफाईड बॉस टेक्निक : एक्सपर्ट बताते हैं कि पहली तकनीक की तुलना में यह अलग है, लेकिन मुंह की देखभाल के लिए यह बेहद ही जरूरी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस तकनीक से दांत के साथ साथ मसूड़े के एरिया से लेकर चबाने वाले एरिया को साफ किया जाता है। स्वीपिंग मोशन के तहत दांतों की सफाई की जाती है। इस टेक्निक की खासियत यह है कि दांत अच्छे से साफ हो जाते हैं वहीं दांतों के बीच की गंदगी भी हट जाती है। वहीं इसका दुष्परिणाम यह है कि यदि अच्छे से दांत की सफाई न की गई तो मसूड़े को दिक्कत हो सकती है।

    मॉडिफाइड स्टिलमैन टेक्निक : डेंटल सर्जन सिकंदर बताते हैं कि इसे डेंटल प्लॉक रिमूवल टेक्निक भी कहा जाता है। इससे फेशियल ओक्यूशल सर्फेस (facial occlusal surface) की आसानी से सफाई हो जाती है। वहीं मुंह के साथ मसूड़ों का मसाज भी हो जाता है। इस तकनीक की मदद से ब्रशिंग करने में काफी समय लगता है। यह इसके दुष्परिणाम में से एक है।

    फोन्स और सर्कुलर स्क्रब मैथड : इसे पीडिएट्रिक ब्रशिंग टेक्निक भी कहा जाता है। डॉ सिकंदर बताते हैं कि इस टेक्निक में बच्चों को मुंह में गोल-गोल बनाकर ब्रश करने की सलाह दी जाती है। इससे बच्चों में दांतों की सफाई को लेकर अच्छी हैबिट विकसित होती है। ऐसा करने से दांत की अच्छे से सफाई के साथ मसूड़ों की अच्छे से सफाई हो जाती है। यह ब्रशिंग के लर्निंग मैथड में से एक है।

    वर्टिकल और लिओनॉर्ड मैथड :  इस टेक्निक में ऊपर और नीचे के दांतों को साफ करने को कहा जाता है, जिससे दांत में वर्टिकल स्ट्रोक लगता है और दांत की अच्छे से सफाई होती है। इसे फेशियल सर्फेस टेक्निक भी कहा जाता है, जिससे बिना प्रेशर लगाए ही आराम में ब्रश कर सकते हैं। बता दें कि छोटे बच्चों में दांत की सफाई को लेकर यह इफेक्टिव तरीका है। बड़ों की तुलना में बच्चों की दांतों के बीच का स्पेस कम होता है, ऐसे में इस तकनीक की मदद से अच्छे से सफाई संभव है।

    कैरेक्टर्स मैथड : डॉ सिकंदर बताते हैं कि इस तकनीक की मदद से दांत की सतह पर ब्रश को 45 डिग्री पर रखकर ब्रश किया जाता है। इससे दांत और इनैमल की काफी अच्छे से सफाई हो जाती है। इसकी अच्छी बात यह है कि इससे दांत की अच्छे से न केवल मसाज हो जाती है बल्कि मसूड़े में रक्तसंचार भी अच्छा होता है। वहीं हमारे गम हेल्दी होते हैं।

    स्क्रब ब्रश मैथड : मुंह की देखभाल के लिए स्क्रब ब्रश मैथड उतना इफेक्टिव नहीं है। इस पद्दिति में दांत को हॉरिजोंटल और वर्टिकल तरीके से दांत की सफाई की सलाह दी जाती है। वहीं स्क्रबिंग का तरीका यदि जोरदार रहा या फिर ब्रश में किसी प्रकार की कोई दिक्कत रही, ब्रश घिसा हुआ रहा तो उस स्थिति में हमारे दांत जहां घिस सकता है वहीं मसूड़ा भी खिसक सकता है।

    रोल टेक्निक : जैसा कि इस तकनीक का नाम है ठीक उसी प्रकार ब्रश भी करते हैं। इस टेक्निक में ब्रश को रूट्स के पास रखते हैं और दांत की तरफ रोल करते हैं। ऊपर और नीचे की तरफ रोल करते हैं। यह टाइम टेकिंग जरूर है लेकिन इससे दांत की अच्छे से सफाई हो जाती है।

    साइकोलॉजिक और स्मिथ मैथड : यह मैथड टूथ ब्रश करने का एक तरीका है। इस पद्दिति में खाना यदि दांत में फंस जाए तो उसे निकाला जाता है। दांत में फंसे खाना को निकालने के लिए जिस प्रकार टूथ पिक का इस्तेमाल करते हैं ठीक उसी प्रकार ब्रश का इस्तेमाल कर दांतों की सफाई की जाती है। मुंह की देखभाल के लिए इस प्रकार से दांत की सफाई की जा सकती है।

    मॉडिफाई बॉस टेक्निक : बता दें कि व्यस्कों से लेकर बुजुर्गों के लिए मॉडिफाई बॉस टेक्निक काफी कारगर है। इससे दांत की काफी अच्छे से सफाई संभव होती है। वहीं यदि मुंह की देखभाल अच्छे से न की गई तो कई प्रकार की बीमारी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि मुंह की अच्छे से देखभाल की जाए। वहीं किसी भी प्रकार की ब्रशिंग टेक्निक को अपनाने के पहले डाक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है।

    यह भी पढ़ें : दांतों का कमजोर होना कहीं तेजी से ब्रश करने का कारण तो नहीं!

    मुंह की न की देखभाल तो जिंजिवाइटिस की हो सकती है बीमारी

    मुंह की देखभाल यदि ठीक ढंग से न की गई तो जिंजिवाइटिस की बीमारी हो सकती है। जिंजिवाइटिस दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला जिंजिवा और दूसरा वाइटिस, जिंजिवा का अर्थ मसूड़े से और वाइटिस का अर्थ इंफेक्शन से। बता दें कि बीमारी का यदि सही समय पर इलाज न किया गया तो आगे चलकर यह पायरियोडोंटाइसिस या पायरिया में बदल जाता है। इस बीमारी के होने पर सामान्य तौर पर कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे किसी के दांत गंदे होते हैं, दांत में मैल बैठता है, सांस लेने में दिक्कत होती है, मसूड़े को छूने से खून निकलता है, बैड ब्रीथ (halitosis) हो सकता है। यदि इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। इसलिए जरूरी है कि मुंह की देखभाल करें।

    यह भी पढ़ें : ओरल हाइजीन मिस्टेक: कहीं आप भी तो नहीं करते ये 9 गलतियां?

    जिंजिवाइटिस का एडवांस स्टेज है पायरियोडोंटाइटिस

    बता दें कि यदि मुंह की सही से देखभाल न की गई तो जिंजिवाइटिस पायरियोडोंटाइटिस में तब्दील हो सकता है। इस बीमारी के होने से उंगली से छूने पर भी मसूड़े से खून निकलने लगता है, मसूड़ा फूल जाता है, अपनी जगह से मसूड़ा खिसक जाता है, दांत हिलने लगता है, बैड ब्रीथ की समस्या होती है। वहीं यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, ऐसे में जरूरी है कि दांतों की सफाई अच्छे से रखी जाए। इसलिए जरूरी है कि मुंह की देखभाल करें।

    यह भी पढ़ें : ट्रेंड में है एयरब्रश मेकअप (Airbrush Makeup), जानिए इसे करने का तरीका

    डेंटल कैविटी भी गंभीर समस्या में से एक

    मुंह की देखभाल सही से न की जाए तो मुंह में कीड़े लग सकते हैं, जिसे डेंटल कैविटी कहा जाता है। इस बीमारी के होने से ठंडा या गर्म खाने पर मुंह में सनसनाहट महसूस होती है। यदि कैविटी डीप होगी और ज्यादा इंफेक्शन होगा तो उस स्थिति में गाल फूल सकता है, चबाने या कुछ भी खाने में परेशानी हो सकती है। ऐसी स्थिति में किसी को भी डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। इसलिए जरूरी है कि मुंह की देखभाल करें।

    मुंह की देखभाल
    toothbrush benefits

    यह भी पढ़ें : इलेक्ट्रिक टूथ ब्रश (Electric Tooth Brush) का उपयोग करना कितना है सही?

    जीभ का टेस्ट बर्ड पर असर

    मुंह की देखभाल अच्छे से न कई गई तो खाने का स्वाद भी नहीं आएगा। क्योंकि जीभ पर गंदगी की लेयर चढ़ जाएगी। इससे टेस्ट बर्ड (pipilla) भर जाता है। इसलिए जरूरी है कि मुंह की देखभाल करें।

    यह भी पढ़ें : Oral Sex: ओरल सेक्स के दौरान इन सावधानियों को नजरअंदाज करने से हो सकती है मुश्किल

    ओरल मीएसिस की समस्या

    ऐसे लोग जो पानी पीने के लिए नैचुरल रिसोर्सेस पर डिपेंड रहते हैं उन लोगों को ओरल मीएसिस (oral measis) की बीमारी हो सकती है। क्योंकि तालाब, वहीं जमे पानी में ऊपर की सतह पर कीड़े मकौड़ों के अंडे हो सकते हैं। उसका सेवन करने से पेट में यदि वे चले जाए तो दिक्कत तो है ही वहीं यदि मसूड़ों में फंस जाए तो वहीं प्रजाति पैदा करने लगते हैं। जिससे दांत और मसूड़े सड़ जाते हैं। यहां तक कि सही समय पर इलाज न किया जाए तो वे हडि्डयों को भी खा लेते हैं। इसलिए जरूरी है कि मुंह की देखभाल करें।

    अब तो आप समझ ही गए होंगे कि मुंह की देखभाल करना कितना जरूरी है। इस आर्टिकल में बताई गईं टिप्स काे फॉलो कर आप मुंह की देखभाल कर सकते हैं। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाॅक्टरी सलाह लें। ।

    और पढ़ें

    मुंह के कैंसर (Oral cancer) से बचने के लिए ध्यान रखें ये बातें

    HFMD : हाथ पैर और मुंह की बीमारी क्या है?

    किस करते समय आती है मुंह से बदबू? जानिए क्या है कारण

    मुंह के कैंसर (Oral cancer) से बचने के लिए ध्यान रखें ये बातें

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/05/2020

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement