डिमेंशिया एक मानसिक समस्या है, जिसमें हमारी दिमागी क्षमता कम हो जाती है। डिमेंशिया मुख्यतः बुजुर्ग लोगों में होती है, क्योंकि यह एक उम्र से संबंधित समस्या है। डिमेंशिया के कई कारण हो सकते हैं, जिसकी वजह से आपके सोचने, याद रखने की क्षमता और तर्क-वितर्क करने की क्षमता कम हो जाती है। इस समस्या के कारण आपको दैनिक व रोजमर्रा के जीवन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, लंबे समय तक डिमेंशिया की समस्या गंभीर होती जाती है, जो कि दूसरे कारणों के साथ मिलकर जानलेवा भी साबित हो सकती है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि, डिमेंशिया के लक्षण को पहचानकर जल्द से जल्द जरूरी कदम उठाने चाहिए। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि हमें ऐसा क्या करना चाहिए?
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डिमेंशिया के लक्षण से पहले जानते हैं कि इसके कारण क्या हैं?
सबसे पहले हम आपको यह बता देते हैं कि, डिमेंशिया कोई विशिष्ट बीमारी नहीं है। बल्कि, यह कई मानसिक समस्याओं का एक समूह है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे-
- अल्जाइमर डिजीज
- वैस्कुलर डिमेंशिया
- लुई बॉडी डिमेंशिया
- फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया
- मिक्स्ड डिमेंशिया
- ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी
- पार्किंसन्स डिजीज, आदि
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डिमेंशिया के लक्षण क्या हैं?
डिमेंशिया के लक्षण शुरुआत में काफी आम और मामूली होते हैं, जिन्हें आमतौर पर हम नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन, अगर बुजुर्गों में ऐसे लक्षण काफी ज्यादा दिखते हैं और गंभीर होते जाते हैं, तो आपको इसकी तरफ जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए। आइए, इसके लक्षणों के बारे में जानते हैं।
- प्लानिंग या आयोजन करने में समस्या होना
- असमंजस की स्थिति होना
- तर्क करने या कोई समस्या हल करने में परेशानी
- कॉप्लैक्स टास्क को हैंडल करने में समस्या
- तालमेल बैठाने में दिक्कत होना
- बैठे-बैठे खो जाना
- बातचीत करने या शब्दों के चयन में परेशानी
- याद्दाश्त कमजोर हो जाना
- व्यक्तित्व में बदलाव
- डिप्रेशन
- चिंता होना
- व्यवहार का बदल जाना
- पैरानोइया
- एजिटेशन
- हैलुसिनेशन
- ध्यान लगाने में समस्या, आदि
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डिमेंशिया के लक्षण दिखने पर क्या करें?
डिमेंशिया की समस्या सामान्यतः ठीक नहीं की जा सकती है। लेकिन, इसे नियंत्रित जरूर किया जा सकता है। इसके लिए आप अपने लिए या अपने जानकार के लिए निम्नलिखित तरीके अपना सकते हैं। जैसे-
- शोधकर्ताओं के मुताबिक, एक्सरसाइज की कमी से डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है और डाइट में कम पोषण की वजह से भी लोगों में डिमेंशिया की बीमारी हो सकती है। इसलिए अपने आहार में विटामिन, मिनरल्स, अनाज, नट्स और सीड्स की भरपूर मात्रा रखें।
- अगर आप शराब का अत्यधिक सेवन करते हैं, तो इससे भी आपकी दिमागी क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसलिए, डिमेंशिया के लक्षण और इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए शराब का सेवन कम करें। वहीं, कुछ रिसर्च के मुताबिक शराब का संतुलित सेवन करने से दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, लेकिन इसपर अभी अध्ययन चल रहा है और यह जानकारी प्रमाणित नहीं है।
- वहीं, शोधकर्ताओं के मुताबिक हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, आर्टरी में फैट्स जमना और मोटापा आदि भी डिमेंशिया के खतरे में बढ़ोतरी कर सकते हैं। इसलिए खुद को कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों से दूर रखें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
- इसके अलावा, बुजुर्गों में डिप्रेशन की समस्या भी याद्दाश्त की कमजोरी या डिमेंशिया का कारण बन सकती है, जिससे डिमेंशिया के लक्षण दिख सकते हैं। इसलिए, ध्यान व योगा की मदद से डिप्रेशन की समस्या से दूर रहने की कोशिश करें।
- अपने ब्लड शुगर के स्तर की हमेशा जांच करते रहें। क्योंकि, शरीर में अत्यधिक ब्लड शुगर होने से मधुमेह की समस्या हो सकती है, जिससे आपके दिमागी स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और आपमें डिमेंशिया के लक्षण दिख सकते हैं। इसके अलावा, नियमित व्यायाम से मधुमेह की समस्या से दूर रहने की कोशिश करें।
- धूम्रपान करने से बुजुर्गों में डिमेंशिया की समस्या का खतरा हो सकता है। क्योंकि, स्मोकिंग आपके शरीर पर बुरा असर डालती है और शारीरिक अंगों की कार्यक्षमता को कम करती है। आप स्मोकिंग छोड़ने के लिए कई प्रभावशाली टिप्स का उपयोग कर सकते हैं। धूम्रपान छोड़ने से न सिर्फ डिमेंशिया के खतरे से बचा जा सकता है, बल्कि दिल की बीमारी, स्ट्रोक आदि समस्याओं से भी राहत मिलती है।
- स्लीप एपनिया एक ऐसी समस्या है, जिसमें आपका शरीर सोते हुए सांस लेना रोक देता है और फिर शुरू कर देता है। इस समस्या से ग्रसित लोगों में भी डिमेंशिया के लक्षण दिख सकते हैं, जो कि गंभीर रूप ले सकते हैं। इसलिए, अगर आपको भी यह स्लीप एपनिया की समस्या है, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें।
- विटामिन डी, विटामिन बी-6, विटामिन बी-12 और फोलेट का भरपूर सेवन करें। क्योंकि, आपके आहार में इन पोषक तत्वों की कमी के कारण आपको डिमेंशिया का खतरा हो सकता है। इसलिए, खाने में पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा को शामिल करना न भूलें।
- दिमागी गतिविधि जैसे पढ़ना, पहेली सुलझाना, याद करना आदि कार्य न करने से भी दिमागी कार्यक्षमता कम होने लगती है। इसलिए, आप नियमित रूप से दिमागी एक्सरसाइज करें, इससे डिमेंशिया के लक्षण से बचाव हो सकता है।
- पर्याप्त नींद न लेने से भी बुजुर्गों को डिमेंशिया का खतरा हो सकता है। क्योंकि, नींद में हमारे शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी आराम मिलता है और वह रिफ्रेश हो जाता है। इसलिए, कोशिश करें कि आप रोजाना 8-9 घंटे की नींद ले रहे हों।
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डिमेंशिया के लक्षण के अन्य ट्रीटमेंट
अधिकतर प्रकार की डिमेंशिया की समस्या का इलाज नहीं है। लेकिन, इसे नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर की मदद ली जा सकती है। डॉक्टर निम्नलिखित थेरिपी लेने की सलाह दे सकता है। जैसे-
- ऑक्यूपेशनल थेरिपी की मदद से आपकी रोजमर्रा की गतिविधियों को आसानी से करने के आसान तरीकों को खोजना।
- स्पीच थेरिपी की मदद से निगलने में समस्या या बोलने में समस्या को नियंत्रित करना।
- मेंटल हेल्थ काउंसलिंग की मदद से डिमेंशिया ग्रसित बुजुर्गों और उनके परिवार को मुश्किल स्थितियों में व्यक्ति को संभालने के तरीके बताना।
- डिमेंशिया के मरीज की चिंता और व्यवहार को सुधारने के लिए म्यूजिक या आर्ट थेरिपी की मदद लेना।
- इन थेरिपी के अलावा, डॉक्टर कुछ दवाइयों के सेवन की सलाह भी दे सकता है। जिससे व्यक्ति की याद्दाश्त या सोचने की क्षमता बेहतर हो सकती है या फिर उसके घटने की गति कम हो जाती है। इसके अलावा, डिमेंशिया का खतरा बढ़ाने वाली चिंता, अवसाद, नींद की समस्या आदि को नियंत्रित करने के लिए भी दवाई लेने की सलाह दी जा सकती है।
अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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