कैंसर के इलाज में रेडिएशन थेरिपी काफी अहम है। एक अनुमान के मुताबिक करीब आधे से ज्यादा कैंसर के शिकार मरीज रेडिएशन थेरिपी से गुजरते हैं। लेकिन, कैंसर के इलाज में रेडिएशन थेरिपी की डोज काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। क्योंकि, अगर यह डोज कम रह गई तो कैंसरकृत सेल्स खत्म नहीं होती हैं और डोज के ज्यादा होने पर आसपास के टिश्यू डैमेज हो जाते हैं। लेकिन, अब कैंसर मरीजों के लिए रेडिएशन थेरिपी की डोज को मॉनिटर करने का नया तरीका विकसित कर लिया है। यह नया तरीका न सिर्फ प्रभावशाली है, बल्कि बजट में है और आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। आइए, जानते हैं कि रेडिएशन थेरिपी की डोज को मॉनिटर करने का यह नया तरीका क्या है और यह किसने बनाया है।
रेडिएशन थेरिपी की डोज को समझें
रेडिएशन थेरिपी में सेल्स के अंदर जेनेटिक मैटीरियल को नष्ट करने के लिए और उसे दोबारा विकसित होने से रोकने के लिए हाई एनर्जी बीम का इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर, रेडिएशन थेरिपी टीम किसी कैंसर पीड़ित मरीज के लिए कुल डोज का निर्धारण करती है और फिर उस डोज को विभिन्न सेशन में बांट देती है। जहां तक डोज की बात है, तो इसके निर्धारण में इस्तेमाल होने वाली मशीन और गणना सटीक होती है, लेकिन कभी-कभी मरीज की सांस लेने जैसी गतिविधि या कभी मशीन या सॉफ्टवेयर में कमी आने की वजह से इसकी डोज की मॉनिटरिंग बिगड़ जाती है। अब, डोज कम होने से कैंसरकृत सेल्स पूरी तरह खत्म नहीं हो पाती हैं और ज्यादा होने से कैंसरकृत सेल्स के आसपास के स्वस्थ टिश्यू भी डैमेज हो जाते हैं।
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रेडिएशन की प्रोसेस: रेडिएशन थेरिपी को मॉनिटर करने का नया तरीका क्या है?
अरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर कौशल रेगे की प्रयोगशाला में काम करने वाले विद्यार्थी सुभादीप दत्ता और कार्तिक पुष्पावणम ने बैनर-एम.डी. एड्रसन के साथ मिलकर रेडिएशन थेरिपी की डोज को मॉनिटर करने का नया तरीका विकसित किया है। यह टीम अपनी रिसर्च कैलिफोर्निया में 64th एनुअल मीटिंग ऑफ द बायोफिजिकल सोसाइटी में पेश कर रही है।
इस टीम ने मिलकर एक हाइड्रोजेल बनाया है, जिसे मरीज की त्वचा पर सीधा लगाकर रेडिएशन डोज को मापी जा सकता है। यह जेल गोल्ड सॉल्ट और कुछ अमिनोएसिड को मिलाकर बनाया गया है, जो कि सामान्य रूप में बेरंग होता है, लेकिन रेडिएशन के संपर्क में आने से गुलाबी रंग का हो जाता है। रंग का गहरापन रेडिएशन की मात्रा पर निर्धारित रहता है। ट्रीटमेंट के बाद इस हाइड्रोजेल को आसानी से त्वचा से हटाया जा सकता है और उसके रंग को मापने के लिए आम और सस्ते लैब इंस्ट्रूमेंट अब्जोर्प्शन स्पैक्ट्रोमीटर का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे पहले रेडिएशन थेरिपी की डोज को मॉनिटर करने के लिए कुछ विकल्प पहले से भी हैं, जैसे- रेडियोक्रोमिक फिल्मस औऱ नैनोडोट, लेकिन यह या तो महंगे या फिर बहुत नाजुक हैं।
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कैंसर के इलाज के लिए रेडिएशन थेरिपी क्या है?
हमने ऊपर जाना कि रेडिएशन थेरिपी को मॉनिटर करने के लिए नया तरीका विकसित हो चुका है। अब हम, जानते हैं कि कैंसर के इलाज के लिए रेडिएशन थेरिपी क्या है और यह कैसे काम करता है। रेडिएशन थेरिपी को रेडियोथेरिपी भी कहा जाता है, जो कि कैंसर का एक प्रकार का इलाज है। इस ट्रीटमेंट में कैंसरकृत सेल्स को नष्ट करने और ट्यूमर को छोटा करने के लिए रेडिएशन की हाई डोज का इस्तेमाल किया जाता है। यह रेडिएशन वही रेडिएशन होती है, जो कि आपके शरीर के अंदरुनी भागों का एक्सरे निकालने में इस्तेमाल की जाती है। हालांकि, उस दौरान इसकी डोज काफी कम होती है।
रेडिएशन की प्रोसेस: रेडिएशन थेरिपी से कैंसर का इलाज कैसे होता है?
रेडिएशन थेरिपी में रेडिएशन की हाई डोज की मदद से कैंसर सेल्स को नष्ट कर दिया जाता है या उनके डीएनए को डैमेज करके उनकी ग्रोथ को धीरे कर दिया जाता है। कैंसर सेल्स का डीएनए डैमेज हो जाने के बाद वह खुद को फैला नहीं पाती हैं और नष्ट हो जाती हैं। कैंसरकृत सेल्स के नष्ट हो जाने के बाद वह टूट जाती हैं और शरीर उन्हें बाहर निकाल देता है। रेडिएशन थेरिपी से कैंसरकृत सेल्स को एकदम नष्ट नहीं किया जा सकता। इसके लिए इस थेरिपी को कई दिन या हफ्तों तक जारी रखना होता है। इस थेरिपी के खत्म होने के कई हफ्तों और महीनों बाद तक कैंसरयुक्त सेल्स मरती रहती है।
रेडिएशन थेरिपी कितने प्रकार की होती हैं?
रेडिएशन थेरिपी मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं, पहली एक्सटर्नल बीम और दूसरी इंटरनल बीम। ट्रीटमेंट में रेडिएशन थेरिपी का प्रकार आपके कैंसर के प्रकार, ट्यूमर के आकार, शरीर में ट्यूमर के स्थान, आपके स्वास्थ्य और मेडिकल हिस्ट्री, उम्र आदि पर निर्भर करता है।
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रेडिएशन की प्रोसेस: एक्सटर्नल बीम रेडिएशन थेरिपी
एक्सटर्नल बीम रेडिएशन थेरिपी एक मशीन की सहायता से दी जाती है, जो कि आपके कैंसर पर रेडिएशन देती है। यह मशीन काफी बड़ी होती है और काफी शोर करती है। यह विभिन्न दिशाओं से सिर्फ आपके कैंसर वाले हिस्से पर रेडिएशन डालती है। उदाहरण के लिए, अगर आपको लंग कैंसर है, तो यह सिर्फ आपकी चेस्ट पर ही कार्य करेगी।
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रेडिएशन की प्रोसेस: इंटरनल बीम रेडिएशन थेरिपी
इंटरनल बीम रेडिएशन थेरिपी में रेडिएशन का एक सोर्स आपके शरीर के अंदर डाला जाता है, जो कि सोलिड या लिक्विड हो सकता है। सॉलिड सोर्स वाली इंटरनल बीम रेडिएशन थेरिपी को ब्रैकीथेरिपी और लिक्विड सोर्स वाली इंटरनल बीम रेडिएशन थेरिपी को सिस्टेमिक थेरिपी कहा जाता है। ब्रैकीथेरिपी आपके सिर्फ एक हिस्से पर प्रभाव डालती है, जबकि सिस्टेमिक थेरिपी आपके शरीर के कई हिस्सों पर प्रभाव डालती है।
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रेडिएशन थेरिपी के लिए खुद को कैसे तैयार करें?
सबसे पहले रेडिएशन थेरिपी टीम आपके लिए एक सुविधाजनक पोजीशन को ढूंढने में मदद करती है। क्योंकि, ट्रीटमेंट के दौरान आपको अपने शरीर को स्थिर रखना होता है, जिसके लिए एक सुविधाजनक पोजीशन ढूंढना अनिवार्य है। इसके लिए आपको रेडिएशन टेबल जैसी एक टेबल पर लिटा दिया जाता है और तकियों की सहायता से शरीर को स्थिर रखने का प्रयास किया जाता है। इसके बाद आपकी रेडिएशन टीम ट्रीटमेंट किए जाने वाले हिस्से को मार्क करती है। इसके अलावा, आपकी रेडिएशन थेरिपी टीम आपको कुछ सीटी स्कैन करवाती है, ताकि ट्रीटमेंट किए जाने वाले हिस्से की अंदरुनी स्थिति को अच्छी तरह से समझा जा सके।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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