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महामारी के दौरान टिड्डी दल का हमला कर सकता है परेशान, भारत में दे चुका है दस्तक

महामारी के दौरान टिड्डी दल का हमला कर सकता है परेशान, भारत में दे चुका है दस्तक

भारत इस वक्त कोरोना महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में एक बुरी खबर आई है। संयुक्त राष्ट्र (United Nations)ने जानकारी दी है कि भारत में टिड्डियों (Locust ) का दल भारी मात्रा में फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है। भारत के कई राज्यों में टिड्डी दल का हमला हो चुका है, वहीं कई राज्यों ने टि्ड्डियों से निपटने के लिए तैयारी कर ली है। बताया जा रहा है कि 26 सालों बाद फिर से टिड्डियों का आतंक देखने को मिल सकता है। आपको बताते चले कि टिड्डी कम समय में करोड़ों की फसलों को नष्ट कर सकती हैं।

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टिड्डी दल का हमला : पहले जानिए क्या है टिड्डी ?

टिड्डी इनसेक्ट है जो कि ग्रासहोपर फैमिली से बिलॉन्ग करता है। फूड और एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) ने टिड्डी को ओल्डेस्ट माइग्रेटरी पेट्स की संज्ञा दी है। इनसेक्ट या कीड़े (टिड्डी) एक साथ झुंड बनाकर रहते हैं। ग्रासहोपर फैमिली से बिलॉन्ग करने वाली टिड्डी नॉर्थ-वेस्ट अफ्रीका में पाया जाता है। भारत में टिड्डी का हमला इसलिए खतरनाक है क्योंकि जब ये कीड़े एक साथ मिल जाते हैं तो फसलों को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसा नहीं है कि टिड्डी दल का हमला पहली बार हो रहा हो, लेकिन डरने वाली बात इसलिए भी है क्योंकि ये अधिक संख्या में भारत में प्रवेश कर चुके हैं। अभी भारत में लॉकडाउन चल रहा है और कम ही लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं। ऐसे में पूरी तरह से फसलों की रखवाली करना थोड़ा कठिन काम हो सकता है।

अब आप खुद ही समझ सकते होंगे कि फसलों के अधिक मात्रा में नुकसान होने पर खानपान की समस्या आ सकती है। हरियाली को नुकसान पहुंचाने वाली टिड्डी बारिश के मौसम में प्रजनन के माध्यम से अपनी संख्या को तेजी से बढ़ाते हैं। टिड्डी दल जब अपनी संख्या बढ़ाते हैं तो उसके बाद वो एक स्थान से दूसरे स्थान जाते हैं। टिड्डी का एक स्थान से दूसरे स्थान जाना हवा पर निर्भर करता है। हवा जिस ओर चलती है, टिड्डी दल भी उसी दिशा में आगे बढ़ते हैं। भारत में टिड्डी दल पाकिस्तान के रास्ते से प्रवेश कर चुके हैं।

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भारत पहुंच चुका है टिड्डी दल, जारी कर दिया गया है अलर्ट

मीडिया रिपोर्ट की माने तो टिड्डी दल राजस्थान में प्रवेश करने के बाद आगरा के साथ ही मध्य प्रदेश तक पहुंच चुका है। मध्य प्रदेश में टिड्डी दल के पहुंचने की उम्मीद नहीं थी। टिड्डी दल की तबाही को देखते हुए राज्य में अलर्ट जारी कर दिया गया है। टिड्डी को भगाने के लिए तेज ध्वनि एक उपाय के तौर पर अपनाने की सलाह दी गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि भारत के अंदर 10 लाख टिड्डी प्रवेश कर चुकी हैं। लेकिन राहत भरी खबर ये भी है कि ये दल में बंट चुकी हैं।

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टिड्डी तेजी से खराब करते हैं फसल

भारत में कोरोना महामारी के कारण सभी लोग परेशान हैं, ऐसे में टिड्डी का फसल खराब करना अधिक खतरे का संकेत दे रहा है। भारत के लिए खतरा अधिक इसलिए है क्योंकि टिड्डी का दल फसलों को तेजी से चट कर जाता है। लाखों कीड़े मिलकर पूरे खेत को खराब कर देते हैं। वहीं समय रहते अगर कीटनाशक का प्रयोग किया जाए या फिर ध्वनि के माध्यम से टिड्डी को रास्ता भटका दिया जाए तो फसल हानि से बचा जा सकता है। टिड्डी को भगाने के साथ ही उनकी संख्या में बढ़ोत्तरी न होने देना भी राज्य सरकारों के लिए एक चैलेंज है। आपको बताते चले कि टिड्डे कुछ पेड़ जैसे कि नीम, अंजीर, शीशम और आक को छोड़कर ज्यादातर वनस्पतियों को नष्ट कर देते हैं। टिड्डों का झुंड तेजी से फसलों को खाता है और बची फसल को नष्ट कर देता है। टिड्डी को अगर प्रजनन करने का उपयुक्त स्थान मिल जाए तो ये तेजी से अपनी संख्या बढ़ा लेते हैं। अगर समय रहते इनकी ब्रीडिंग कॉलोनियों के डिस्ट्रॉय कर दिया जाए तो टिड्डी की संख्या में नियंत्रण पाया जा सकता है।

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भारत में टिड्डी दल से बचाव के लिए किए जा रहे हैं इंतजाम

फिलहाल टिड्डी दल के प्रकोप से बचने के लिए 10 जिलों को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दे दिए गए हैं। स्थानीय अधिकारियों को सतर्क रहने की सलाह भी दी गई है ताकि टिड्डी फसलों को नुकसान न पहुंचा सके। कई स्थानों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर दिया गया है। किसानो को सतर्क रहने के लिए और टिड्डी दिखते ही जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं। अभी तक टिड्डी से अधिक नुकसान की खबर नहीं आई है।

आपको बताते चले कि फसलों का नुकसान सिर्फ इनसेक्ट ही नहीं बल्कि कई प्रकार की आपदाओं से भी हो सकता है। अगर सही समय पर बारिश नहीं होती है तो भी फसल खराब हो जाती है। कई बार आंधी और तुफान भी फसल की बर्बादी का कारण बन सकता है। ओलवृष्टि भी फसल को खराब कर सकती है। फसल उगने के लिए सही तापमान के साथ ही साफ वातावरण की जरूरत होती है। जब बड़े पैमाने पर फसलों को नुकसान पहुंचता है तो सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाता है और साथ ही समर्थन मूल्य पर अनाज की खरीद की जाती है। अब कोरोना महामारी के दौरान फसलों को टिड्डी से बचाना भी भारत के लिए एक बड़ा चैलेंज बन चुका है।

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स्वास्थ्य का रखें ख्याल

जिन लोगों को सांस संबंधि बीमारी होती है, उन्हें कुछ इंसेक्ट से एलर्जी हो सकती है। झींगा, टिड्डी, तिलचट्टा, मक्खी आदि कीट एलर्जी की समस्या को अधिक बढ़ाने का काम कर सकते हैं। जिस भी स्थान में टिड्डी की अधिक संख्या पाए जाने की संभावना है, वहां उन लोगों को अधिक सतर्कता की आवश्यकता है, जिन्हें एलर्जी की समस्या है। साथ ही टिड्डी को भगाने के लिए अधिक कीटनाशक का प्रयोग किया जाएगा। ऐसे में घरों में सुरक्षित रहना लोगों के लिए ज्यादा जरूरी है।

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हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी बीमारी या फिर फसलों से जुड़ी कोई जानकारी चाहिए हो बेहतर होगा कि आप एक्सपर्ट से जानकारी प्राप्त करें। सरकार की ओर से जो भी अलर्ट जारी किए जा रहे हैं, उन पर ध्यान जरूर दें और अन्य लोगों को भी जागरुक करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Locust and Grasshopper Management
:https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/30256665 Accessed on 27/5/2020

UN food agency warns North Africa of locust threat, seeks funding help to control swarms:https://news.un.org/en/story/2012/10/424232-un-food-agency-warns-north-africa-locust-threat-seeks-funding-help-control Accessed on 27/5/2020

About locusts:https://www.agriculture.gov.au/pests-diseases-weeds/locusts/about/about_locusts Accessed on 27/5/2020

Locusts in Caucasus and Central Asia:http://www.fao.org/locusts-cca/bioecology/what-are-locusts/en/  Accessed on 27/5/2020

Caution: Reptile pets shuttle grasshopper allergy and asthma into homes  : https://waojournal.biomedcentral.com/articles/10.1186/s40413-015-0072-1

More swarms of locusts attack several residential localities of Jaipur
:https://timesofindia.indiatimes.com/videos/city/jaipur/more-swarms-of-locusts-attack-several-residential-localities-of-jaipur/videoshow/76028775.cms
Accessed on 27/5/2020

Current Version

05/08/2020

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Ankita mishra


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

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Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/08/2020

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