के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
बार्टर सिंड्रोम (Bartter Syndrome) किडनी डिसऑर्डर (Kidney Disorder) का एक समूह है जो शरीर में पोटेशियम, सोडियम, क्लोराइड और अन्य अणुओं के असंतुलन के कारण होता है। आम भाषा में शरीर में नमक की कम मात्रा होने के कारण इसकी समस्या हो सकती है। कुछ मामलों में, इसकी स्थिति जन्म से पहले ही गर्भ में पल रहे भ्रूण (Fetus) को इसका खतरा देखा जा सकता है। भ्रूण के आसपास बढ़े हुए एम्नियोटिक द्रव (Amniotic fluid) के कारण इसकी स्थिति देखी जा सकती है।
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बार्टर सिंड्रोम सामान्य नहीं है। यह महिलाओं और पुरुषों दोनों को सामान रूप से प्रभावित कर सकता है। हालांकि, इसके जोखिम 1 लाख लोगों में से किसी एक में ही देखा जा सकता है। बार्टर सिंड्रोम (Bartter Syndrome) किसी भी जाति या समूह से जुड़े व्यक्तियों में हो सकता है। कृपया अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से चर्चा करें।
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बार्टर सिंड्रोम के सामान्य लक्षण हैंः
अगर गर्भ में पल रहे भ्रूण (Fetus) में इसके जोखिम का पता चल जाए, तो जन्म से पहले ही भ्रूण में एंटिनाटल बार्टर सिंड्रोम (Antinotal Bartter Syndrome) का निदान किया जा सकता है। इसके लक्षणों में शामिल हो सकता है, बच्चे की किडनी (Kidney) सही काम नहीं कर रही है या गर्भ में बहुत अधिक तरल पदार्थ बन रहा है।
इस सिंड्रोम के होने पर नवजात शिशु बहुत बार पेशाब कर सकते हैं या निम्न लक्षण देखें जा सकते हैंः
इसके सभी लक्षण ऊपर नहीं बताएं गए हैं। अगर इससे जुड़े किसी भी संभावित लक्षणों के बारे में आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।
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अगर ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षण आपमें या आपके किसी करीबी में दिखाई देते हैं या इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हर किसी का शरीर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया करता है।
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ऐसे पांच जीन डेफेक्ट्स (Gene difeet) हैं जो बार्टर सिंड्रोम (Bartter Syndrome) का कारण बन सकते हैं। इनमें जन्मजात की स्थिति भी मौजूद है।
इस स्थिति के कारण किडनी (Kidney) सोडियम (Sodium) को दोबारा से अवशोषित करने की क्षमता खो देती है। जिसके कारण मूत्र के माध्यम से शरीर बहुत अधिक मात्रा में सोडियम खो देता है। यह हार्मोन एल्डोस्टीरोन के स्तर (Aldosterone) में वृद्धि के कारण होता है और किडनी (Kidney) के जरिए शरीर से बहुत अधिक पोटेशियम (Potassium) हटा देता है।
इस स्थिति में खून में असामान्य एसिड (Acid) संतुलन हो जाता है जिसे हाइपोकॅलेमिक अल्कलॉसिस (Hypokalemic Alkalosis) कहा जाता है, जो मूत्र में बहुत अधिक मात्रा में कैल्शियम (Calsium) का निर्माण करता है।
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ऐसी कई स्वास्थ्य स्थितियां हो सकती हैं, जो बार्टर सिंड्रोम (Bartter Syndrome) के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। हालांकि, इसकी उचित जानकारी आज्ञात है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप में ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
बार्टर सिंड्रोम का निदान करने के लिए आमतौर पर ब्लड टेस्ट (Blood Test) किया जाता है। इससे खून में कम हुए पोटेशियम की मात्रा (Potassium level) का पता लगाया जाता है। किडनी की अन्य बीमारी की तरह इसके कारण हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) का खतरा नहीं होता है। निम्न स्थितियों में लो ब्लड प्रेशर (Low Blood Pressure) की समस्या हो सकती है, अगर टेस्ट के परिणामों मेंः
किडनी की स्थिति की जांच करने के लिए अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) भी किया जा सकता है।
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बार्टर सिंड्रोम (Bartter Syndrome) का इलाज प्रत्येक व्यक्ति में मौजूद उनके लक्षणों के आधार पर किया जा सकता है। इलाज के दौरान सबसे पहले शरीर में तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स के उचित संतुलन को बनाया जाएगा। इसके लिए शरीर में पोटेशियम की मात्रा बढ़ाने वाली खाने योग्य दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है। उच्च तनाव की स्थितियों, जैसे- बीमारी या स्ट्रोक (Stroke) में, खून (Blood) में इलेक्ट्रोलाइट का स्तर (Electrolyte level) तेजी से बदल सकता है, जिसके लिए तत्काल प्रभाव से नसों के माध्यम से उपचार किया जा सकता है।
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निम्नलिखित जीवनशैली में बदलाव लाने और घरेलू उपायों से आप बार्टर सिंड्रोम (Bartter Syndrome) के खतरे को कम कर सकते हैंः
इस आर्टिकल में हमने आपको बार्टर सिंड्रोम (Bartter Syndrome) से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।
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