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महत्वपूर्ण बातें
कैफीन का ओवरडोज न हो इसके लिए ऐसे कम करें कैफीन का सेवन
किसी भी अन्य नशे की तरह अचानक से कैफीन का सेवन पूरी तरह से बंद करने पर कुछ साइड इफेक्ट नजर आ सकते हैं, जैसे सिरदर्द, थकान, चिड़चिड़ापन, काम पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी आदि। हालांकि कुछ दिनों में ही यह समस्या खत्म हो जाती है। अगर आप बहुत अधिक कैफीन का सेवन करते हैं तो कैफीन के ओवरडोज से बचन के लिए ये तरीके आजमा सकते हैः
खुद पर नजर रखें- आप दिनभर में कितनी कॉफी या कैफीन युक्त अन्य पेय पीते हैं इस पर नजर रखें। किसी भी ड्रिंक को पीने से पहले लेबल पढ़ना न भूलें। इससे आपको अंदाजा लगेगा कि आपने कितना कैफीन लिया है, लेकिन एक और बात का ध्यान रखें कि कुछ फूड और ड्रिंक्स जिसमें कैफीन की मात्रा होती है, लेकिन पैकेट पर लिखा नहीं होता है। इसलिए कोशिश करें कि तय मात्रा से कम कैफीन का सेवन करें।
धीरे-धीरे सीमित करें- आप यदि एक दिन में 4 कप कॉफी पीते हैं तो इसे एक कप तक सीमित कर दें, इसी तरह सोडा की मात्रा भी कम करें। देर रात कैफीन युक्त पेय पीने से परहेज करें। इससे आपके शरीर को कम कैफीन का आदत पड़ जाएगी और इसका सेवन बंद करने पर किसी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होगा।
हर्बल ड्रिंक- कॉफी पीने का मन हो तो उसकी जगह आप हर्बल ड्रिंक पीने की आदत डालें। हर्बल टी में कैफीन नहीं होता है
पैकेट चेक करें- कुछ ओवर द काउंटर पेन किलर में भी कैफीन होता है, ऐसे में दवा लेने के पहले लेबल जरूर पढ़ें।
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निदान
कैफीन का ओवरडोज का निदान
यदि आपको कैफीन का ओवरडोज के लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर को बताएं कि आपने कैफीन युक्त किन चीजों का सेवन किया है। डॉक्टर आपकी हृदयगति, ब्लड प्रेशर, सांस लेने की दर को मॉनिटर करता है। आपकी बॉडी टेम्प्रेचर भी मापता है और आपको यूरिन व ब्लड टेस्ट के कहेगा ताकि शरीर में मौजूद कैफीन की सही मात्रा का आकलन कर सके।
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उपचार
कैफीन का ओवरडोज का उपचार
उपचार के लिए डॉक्टर आमतौर पर एक्टिविटेड चारकोल देता है तो ड्रग ओवरडोज के दौरान दिया जाता है, यह कैफीन को गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल ट्रैक्ट में जाने से रोकता है। यदि कैफीन गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल ट्रैक्ट में जा चुका है तो आपको लैक्सेटिव या गैस्ट्रिक लैवेज दिया जाता है। गैस्ट्रिक लैवेज में एक ट्यूब के जरिए आपके पेट से बाहर चीजों को बार किया जाता है। डॉक्टर वही तरीका इस्तेमाल करेगा जिससे आपके शरीर से कैफीन जल्दी बाहर निकल जाए। इस प्रक्रिया के दौरान EKG के जरिए आपके हार्ट की निगरानी की जाती है और जरूरी होने पर ब्रिदिंग सपोर्ट भी दिया जाता है।