के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
ड्रग एडिक्शन (Drug Addiction) यानी नशे की लत एक पुरानी या लंबे समय से बनी हुई आदत होती है। आमतौर पर ये मस्तिष्क की बीमारी को दूर करने वाली दवा हो सकती है, जिसका इस्तेमाल करते रहना लोगों की आदत बन सकती है। नशे की लत मस्तिष्क की संरचना और कार्य करने की क्षमता में परिवर्तन ला सकता है। हालांकि, इस खतरे को समझते हुए भी अधिकांश लोग नशे की लत का शिकार हैं। ड्रग एडिक्शन का निर्णय स्वैच्छिक होता है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण मस्तिष्क में होने वाले बदलाव किसी व्यक्ति के आत्म-नियंत्रण की क्षमता भी बिगाड़ सकता है।
नशे की लत को रोकना एक चुनौती भरा फैसला होता है। हालांकि, ऐसे उपचार हैं जो लोगों को ड्रग एडिक्शन से छुटकारा दिला सकते हैं। इसके लिए जीवनशैली और चिकित्सक उपचार दोनों ही बेहद जरूरी होते हैं।
अन्य पुरानी बीमारियों, जैसे कि डायबिटीज (मधुमेह), अस्थमा या हृदय रोग के साथ भी, नशीली दवाओं की लत को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है।
ड्रग एडिक्शन की समस्या बहुत ही सामान्य है। साल 2009-10 के ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (विश्व वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण) के मुताबिक तकरीबन 7.13 करोड़ भारतीय तरह-तरह के नशों की गंभीर लत से जुझ रहे हैं। जिनमें सबसे ज्यादा 5.17 करोड़ लोग शराब, 72 लाख लोग भांग, 60 लाख लोग अफीम व चरस और 11 लाख लोग नशीली गोलियों या इंजेक्शन से होने वाले नशे की लत के आदी हैं। इस सर्वे में 70,293 लोग ऐसे भी शामिल हैं, जो नशे के लिए खतरान किस्म के ड्रग्स का भी इस्तेमाल करते हैं। कृपया अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
और पढ़ें : Toothache : दांत में दर्द क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
ड्रग एडिक्शन के सामान्य लक्षण हैंः
इसके सभी लक्षण ऊपर नहीं बताएं गए हैं। अगर इससे जुड़े किसी भी संभावित लक्षणों के बारे में आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।
अगर ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षण आपमें या आपके किसी करीबी में दिखाई देते हैं या इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हर किसी का शरीर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया करता है।
और पढ़ें : Water Retention : वॉटर रिटेंशन क्या है?
कई मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर की तरह, कई कारक नशे की लत बनने वाले पदार्थों और निर्भरता के विकास को बढ़ा सकते हैं। इनके मुख्य कारक हैं:
मस्तिष्क में परिवर्तन
शारीरिक नशा तब होता है जब किसी दवा के बार-बार इस्तेमाल से मस्तिष्क में खुशी महसूस करने का तरीका बदल जाता है। नशे की दवा मस्तिष्क में कुछ तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) में परिवर्तन करती है। न्यूरॉन्स संचार करने के लिए न्यूरोट्रांसमीटर नामक रसायन का उपयोग करते हैं। दवा का उपयोग बंद करने के बाद ये परिवर्तन लंबे समय तक दिमाग में रह सकते हैं।
और पढ़ें : इंकोप्रिसिस (Encopresis) क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
ऐसी कई स्थितियां हैं जो ड्रग एडिक्शन के जोखिम को बढ़ा सकती हैंः
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
और पढ़ें : Vocal Cord Polyps: वोकल कॉर्ड पॉलीप्स क्या है?
नशीली दवाओं की लत जिसे केमिकल सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर(Chemical Substance Use Disorder) भी कहा जाता है) का निदान करने के लिए अक्सर मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक या लाइसेंस प्राप्त शराब और ड्रग काउंसलर की मदद ली जा सकती है। नशीली दवाओं के उपयोग का आकलन करने के लिए रक्त, मूत्र या अन्य लैब टेस्ट किए जा सकते हैं। ये टेस्ट सिर्फ उपचार और रिकवरी की प्रक्रिया की निगरानी करने के लिए किया जाता है।
केमिकल सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर के निदान के लिए, अधिकत तौर पर मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स की मदद ली जा सकती है।
इस मानसिक स्थिती का निदान करने के लिए अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन द्वारा मानसिक विकार के नैदानिक और सांख्यिकीय मैनुअल Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders (DSM-5) प्रकाशित किया गया है। इस मैनुअल का उपयोग बीमा कंपनियों द्वारा उपचार की प्रक्रिया और उसके नियमों के पालन करने के लिए किया जाता है। इस गाइडलाइन को भारत सहित अन्य देशों में भी फॉलो किया जाता है।
सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर के लिए DSM-5 के मानदंड में यह बताया गया है कि रोगी के लत को सुधारने के लिए किस दवा के उपयोग किस तरह से करना है।
और पढ़ेंः Ulnar nerve injury: अलनर नस में चोट क्या है?
नीचे दिए गए उपचार के विकल्प आपको नशे की लत पर काबू पाने और नशीली दवाओं से मुक्त रहने में मदद कर सकते हैं।
इस ट्रीटमेंट के जरिए किया जाने वाला उपचारः
डिटाक्सिफिकैशन को डीटाक्स या विथड्राल थेरेपी भी कहा जाता है। यह नशे की लत को जल्दी से जल्दी और सुरक्षित रूप से रोकने में सक्षम होता है। इस दौरान कुछ लोगों को किसी संस्थान, अस्पताल या घर में उपचार की प्रक्रिया के लिए रखा जा सकता है।
डिटाक्सिफिकैशन के दौरान दवाओं की खुराक दी जाती है। जो धीरे-धीरे नशे की लत को दूर करता है। अधिकांश मामलों में पर उपचार अस्थायी भी हो सकता है।
इसे टॉक थेरेपी या मनोचिकित्सा भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक व्यक्ति और परिवार के साथ अलग-अलग या समूह में सभी के साथ बात करते हैं। जो कई तरह से मददगार हो सकते हैंः
सेल्फ-हेल्प ग्रुप
सेल्फ-हेल्प ग्रुप की मदद से भी लोग अपने नशे की लत पर काबू पा सकते हैं। ऐसे कई संस्थान है जो अलग-अलग देशों में कार्य करते हैं।
स्वंय सहायता समूह की मदद आप इंटरनेट के जरिए भी ले सकते हैं। आपका चिकित्सक या परामर्शदाता भी इसकी जानकारी दे सकते हैं।
[mc4wp_form id=’183492″]
और पढ़ें : Viral pharyngitis: वायरल फैरिन्जाइटिस (ग्रसनीशोथ) क्या है?
निम्नलिखित जीवनशैली और घरेलू उपचार आपको ड्रग एडिक्शन से बचने में मदद कर सकती हैं:
अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो उसकी बेहतर समझ के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
डिस्क्लेमर
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।