के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
हाइपोकैल्शियमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में कैल्शियम की मात्रा बहुत कम हो जाती है। शरीर में कैल्शियम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने का काम करता है। इसी के साथ ही मांसपेशियों के लिए लाभदायक भी होता है। हाइपोकैल्शियमिया होने पर दिल और दिमाग का सामान्य गति से काम करना मुश्किल होता है। यह थायरॉइड की समस्या का कारण भी बनता है।
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यह बीमारी आम है या दुर्लभ, इस बारे में डॉक्टर आपको बेहतर ढंग से बता पाएंगे। इसलिए हाइपोकैल्शियमिया (हाइपोकैल्सीमिया) बीमारी के बारे में डॉक्टर से परामर्श करें।
बच्चों में हाइपोकैल्शियमिया (हाइपोकैल्सीमिया) के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है इसलिए बच्चों के शरीर में चुनचुनी या कंपन पैदा हो सकती है। वहीं वयस्कों में हाइपोकैल्सीमिया के ये लक्षण महसूस हो सकते हैं:
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हाइपोकैल्शियमिया के लंबे समय तक दिखने वाले लक्षण:
ऊपर दिए लक्षणों में कुछ भी नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हर मनुष्य का शरीर अलग-अलग तरह से काम करता है इसलिए बीमारी का सही पता डॉक्टर ही लगा सकते हैं।
हाइपोकैल्सीमिया का सबसे आम कारण हाइपोपैराथायरॉइडिज्म (hypoparathyroidism) है। यह तब होता है जब शरीर में
पैराथायरॉइड हार्मोन (पीटीएच) की मात्रा औसत से कम हो जाती है। कम पीटीएच स्तर आपके शरीर में कैल्शियम को कम कर देता है। हाइपोपैरथायरॉयडिज्म मां-बाप से बच्चों को मिली हुई बीमारी हो सकती है। इसके अलावा यह बीमारी थायरॉइड को
सर्जरी करके निकालने या कैंसर का परिणाम हो सकती है।
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हाइपोकैल्शियमिया (हाइपोकैल्सीमिया) के अन्य कारणों में शामिल हैं:
करने से रोकते हैं
विटामिन डी या मैग्नीशियम की कमी वाले लोगों को हाइपोकैल्शियमिया का खतरा होता है। अन्य जोखिम कारकों में शामिल हैं।
परीक्षण में पहला कदम आपके कैल्शियम के स्तर को जानने के लिए एक रक्त परीक्षण होता है। आपका डॉक्टर हाइपोकैल्शियमिया के संकेतों का परीक्षण करने के लिए मानसिक और शारीरिक परीक्षण का भी उपयोग कर सकता है। शारीरिक परीक्षण में ये अध्ययन शामिल हो सकते हैं:
मानसिक परीक्षण मे शामिल हो सकते हैं:
आपका डॉक्टर च्वॉस्टेक (Chvostek) और ट्रूसो (Trousseau) के संकेतों के लिए भी परीक्षण कर सकता है, ये दोनों हाइपोकैल्शियमिया से जुड़े हैं। जब चेहरे पर टैप किया जाता है तो सेंसेशन होता है, ये च्वॉस्टेक का संकेत है। ट्रूसो का संकेत हाथ या पैरों में ऐंठन है। इसमें हाथ-पैरों में रक्त की आपूर्ति ठीक से नहीं होती है।
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हाइपोकैल्शियमिया के कुछ मामले बिना इलाज के ही ठीक हो जाते हैं। वहीं हाइपोकैल्शियमिया के कुछ मामले गंभीर होते हैं और यहां तक कि जानलेवा भी हो सकते हैं।
अगर आपको तीव्र हाइपोकैल्शियमिया है तो डॉक्टर आपको नसों के जरिए कैल्शियम चढ़वाने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा हाइपोकैल्शियमिया के अन्य उपचारों में निम्न शामिल है –
दवाएं – हाइपोकैल्शियमिया के ज्यादातर मामलों को डायट में बदलाव करके ठीक किया जा सकता है। अपनी डाइट में कैल्शियम, विटामिन डी या मैग्नीशियम सप्लिमेंट शामिल करें। इसके साथ ही आप चाहें तो इन सभी पोषक तत्वों से भरपूर आहारों का भी सेवन कर सकते हैं।
घर पर ध्यान रखें – सूरज की किरणों में कुछ समय बिताने से आपकी विटामिन डी की कमी पूरी हो जाएगी। सूरज के सामने बैठने की अवधि सभी के लिए विभिन्न हो सकती है। ऐसे में अपने डॉक्टर से परामर्श करना न भूलें। साथ ही सूरज की किरणों में जाने से पहले सनस्क्रीम का इस्तेमाल जरूर करें। सुबह की धूप स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है।
डॉक्टर से डायट और होम केयर के लिए सलाह लें।
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निम्नलिखित जीवनशैली और घरेलू उपचार आपको हाइपोकैल्शियमिया से निपटने में मदद कर सकते हैं:
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हाइपोकैल्शियमिया के लक्षण आमतौर पर अपने आप चले जाते हैं। यह स्थिति बेहद कम मामलों में ही जानलेवा होती है। ज्यादातर मामलों में यह सही इलाज की मदद से ठीक हो जाती है। क्राॅनिक हाइपोकैल्शियमिया के मरीजों को दवाओं की आवश्यकता पड़ सकती है।
हाइपोकैल्शियमिया से ग्रसित लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस होने का जोखिम रहता है। क्योंकि इस स्थिति के कारण उनकी हड्डियां रक्त में कैल्शियम छोड़ने लगती हैं। इसकी अन्य जटिलताओं में किडनी स्टोन, किडनी फेल, दिल की अनियमित धड़कन और तंत्रिका प्रणाली में खराबी शामिल है।
अपने शरीर में कैल्शियम का स्वस्थ स्तर बनाए रखने से आप इस स्थिति को रोक सकते हैं। कैल्शियम युक्त आहर का सेवन करें और ज्यादा से ज्यादा विटामिन डी व मैग्नीशियम का सेवन करें। इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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